आस्था नहीं किसी मंदिर,महल और अटारी की मोहताज……
कोरबा। भगवान श्री राम की मनमोहक छवि के साथ उनकी आकर्षक और मन मोह लेने वाली प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में निर्मित भव्य और विशालकाय मंदिर में धूमधाम से की गई।
कोरबा जिले में भी लोगों ने अपनी-अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुसार रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव मनाया। इस उत्सव में बहुत लोगों ने हजारों-लाखों रुपए खर्च कर बड़े-बड़े आयोजन किये। कईयों ने बड़े-बड़े बैनर और पोस्टर लगवा कर, सजावट कर और अन्य तरीकों से अपनी रामभक्ति के उल्लास को प्रदर्शित करने का भी काम किया। भगवान राम की भक्ति को अपनी आर्थिक शक्ति से प्रदर्शित करने वालों से इतर ऐसे भी लोग रहे जो हजारों- लाखों रुपए तो खर्च नहीं कर सकते लेकिन उनके मन में राम बसे हुए हैं। उन्होंने अपने ही कार्य स्थल पर दीए जलाकर सादगी पूर्वक बिना किसी लाग लपेट और दिखावे के ही अपनी आस्था को प्रकट किया। उनकी आस्था और भक्ति शांत, सौम्य और मनहर्षक रही।
भक्ति के अपने अनेक रूप हैं, कोई इसे बढ़ा चढ़ा कर दिखा कर जाहिर करता है तो जो इन सब में सक्षम नहीं होते, उनकी भी आस्था भगवान के प्रति उतनी ही रहती है, कम नहीं होती। जाति-पाति, ऊंच-नीच,सामाजिक- आर्थिक, शिक्षित-अशिक्षित,रंग-वर्ण के भेदभाव से परे होकर इनकी भी श्री राम के प्रति राममय होने की भावना निश्चित ही अनुकरणीय और स्मरणीय है।
रोज कमाकर रोज खाने वाले ये लोग यह बताने में सफल रहे कि आस्था किसी मंदिर, महल और अटारी की मोहताज नहीं होती,वो तो बस कहीं भी प्रकट हो जाती है, फिर भगवान भी तो भाव के ही भूखे होते हैं। (चित्र-साभार प्रकाश साहू जी)