0 करतला में DMF से कराया जा रहा है बस स्टैण्ड से श्मशान घाट तक RCC नाली का निर्माण
कोरबा-करतला। जिला खनिज न्यास मद से पूर्व के वर्षों में स्वीकृत किए गए विकास कार्यों के नाम से जारी राशि की किश्त आहरण करने के बाद भी निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं करने पर संबंधित सरपंच-सचिव से उक्त राशि की वसूली करने एवं वसूली न होने पर गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने के संबंध में कलेक्टर अजीत वसंत द्वारा दिए गए सख्त निर्देश के बाद से संबंधितों में खलबली मची है।

ऐसे गबनकर्ताओं में करतला ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव भी शामिल रहे जिनके द्वारा मुख्य मार्ग के किनारे नाली निर्माण की राशि आहरण करने के बाद कार्य प्रारंभ नहीं कराया गया।

कलेक्टर के सख्त निर्देश उपरांत अब जाकर वसूली और जेल जाने के डर से सरपंच श्रीमती शीलमणी राठिया और सचिव किशोर राठिया द्वारा अप्रारम्भ कार्य को कराया जा रहा है लेकिन मापदंड व नियमों को ताक पर रखकर। स्थानीय जानकारों के मुताबिक घटिया निर्माण कार्य कराया जा रहा है। काम में नीचे जो बेस तैयार किया जा रहा है, वह तय मापदंड से कमतर है, वाईब्रेटर का भी उपयोग नहीं किया जा रहा है।

इसके संबंध में जानकारी लेने के लिए हमारे समाचार सहयोगी ने सचिव किशोर राठिया को फोन किया तो उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया। इसी तरह नरेंद्र सरकार अनुविभागीय अधिकारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा उपसंभाग करतला द्वारा भी फोन रिसीव नहीं किया गया।

0 सत्यसंवाद ने कराया था ध्यानाकर्षण
गौरतलब है कि रामपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत करतला जनपद पंचायत के ग्राम पंचायतों का मामला प्रमुखता से satysanwad.com ने सामने लाते हुए कलेक्टर अजीत वसंत के संज्ञान में भी लाया जिसमें ग्राम पंचायत करतला का भी मामला शामिल रहा है। यहां बस स्टैण्ड से शमशान घाट तक आरसीसी नाला निर्माण के लिए वर्ष- 2021-22 में जिला खनिज न्यास मद से 18.88 लाख रुपए की स्वीकृति हुई। स्वीकृति के आधार पर उपयंत्री द्वारा 27 नवंबर 2021 को ले-आऊट दिया गया। इसके बाद 27 नवंबर को ही प्रथम व द्वितीय किश्त की राशि जनपद कार्यालय के द्वारा 7 लाख 55 हजार 200 रुपए का भुगतान चेक के जरिए ग्राम पंचायत को कर दिया गया। संबंधित सरपंच-सचिव की उदासीनता के कारण यह कार्य निरीक्षण दिनांक 6 अप्रैल 2023 की स्थिति में बंद पाया गया और आज पर्यंत यही स्थिति है। जनपद द्वारा एक सप्ताह के भीतर कार्य प्रारंभ करने के संबंध में अंतिम नोटिस जारी किया गया और ऐसा न होने पर 7 लाख 55 हजार 200 रुपए की वसूली हेतु प्रकरण अनुविभागीय दण्डाधिकारी राजस्व को भेजने की हिदायत दी गई थी। इस पत्र को भी एक साल होने के बावजूद न तो काम चालू हो सका था और न ही रुपए की वसूली लेकिन कलेक्टर की सख्ती ने गबनकर्ताओं के होश ठिकाने लगा दिए हैं।
