0 संस्था प्रमुख को संलग्नीकरण करने का खेल
0 कई साल से विद्यालय एकल शिक्षकीय और संस्था प्रमुख विहीन
0 शिक्षा विभाग और आदिवासी विकास विभाग का है मामला
कोरबा। यूं तो जिले का शिक्षा विभाग अक्सर अपने कारनामों की वजह से सुर्खियों में रहा है, कभी प्रमोशन घोटाले को लेकर तो कभी संलग्नीकरण को लेकर। यहां ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें एक प्रधान अध्यापिका पर आरोप है कि उन्होंने उच्च न्यायालय, बिलासपुर के समक्ष झूठे शपथ पत्र देकर अपने वर्तमान संलग्न हॉस्टल में अटैच होकर एक साल से स्टे ले रखा है।
मामला कोरबा जिला के पोङीउपरोड़ा विकासखंड की एक प्रधान पाठिका पुष्पलता मनहर से जुड़ा है जिन्हें विगत कई वर्षों से संलग्नीकरण कर हॉस्टल का इंचार्ज बनाया गया है। इस मामले में जब शिकायत हुई तो हॉस्टल वार्डन के रूप में प्रभार देख रही श्रीमती पुष्प लता मनहर को मूल पदस्थापना स्थल के लिए 6 अक्टूबर 2023 को कार्यमुक्त किया गया लेकिन धन्य है शिक्षा विभाग और कानूनी दावपेच खेल कर हाईकोर्ट को भी गुमराह कर स्टे का खेल खेला है इस मामले में श्रीमती मनहर ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपने मूल पद को छुपा कर गंभीर अपराध किया है और जिसके कारण उच्च न्यायालय ने उन्हें यथावत पद दे रखा है।
श्रीमती पुष्प लता मनहर प्राथमिक शाला कुलहरिया में सहायक शिक्षक के पद पर 2010 से नियुक्त हुई हैं और इसके बाद कभी भी सहायक शिक्षिका का कर्तव्य उन्होंने नहीं निभाते हुए अपने राजनीतिक पहुंच से कन्या आदिवासी आश्रम घरीपखना में हॉस्टल वार्डन का प्रभार देखती रही। इसके अलावा सवाल यह भी है कि सहायक शिक्षिका को प्रधान अध्यापिका के पद पर कैसे प्रमोशन दिया गया? साफ है कि इस मामले में विभाग के बड़े अधिकारी शासन और न्यायालय को गुमराह कर रहे हैं।
0 क्यों और कैसे मिला स्थगन
इस पूरे मामले से जुड़े शख्स ने बताया कि दरअसल श्रीमती मनहर की मूल पदस्थ संस्था प्राथमिक शाला कुलहरिया है जो की पाली संकुल के अंतर्गत कोरबा जिला में विकासखंड पोङीउपरोड़ा में आता है। वर्ष 2010 में उनकी नियुक्ति सहायक शिक्षक के पद पर हुई थी जैसा उन्होंने अपने याचिका में बताया है वह कुछ माह पदस्थ रहीं। एक प्रभावशाली राजनेता के संपर्क में रहकर स्कूल से हटी तथा मलाईदार पद हॉस्टल वार्डन का प्रभार लिया। मूल पदस्थ संस्था मुख्यालय व शहर से काफी दूर है तथा जिला के अंतिम छोर में स्थित है तो पुनः एप्रोच भिड़ाकर आदिवासी कन्या आश्रम घरीपखना में प्रभारी वार्डन बन गईं। अब उनकी संस्था शहर के पास व कटघोरा से मात्र 7 किलोमीटर हो गई।विद्यालय के सूत्र बताते हैं कि श्रीमती मनहर ने पदस्थापना दिनांक से एक दिन भी कक्षा में पढ़ाई नहीं कराई है और झूठा सी.आर.प्रमाण पत्र कार्यालय में जमा किया। अधिकारी सब जानते हुए भी श्रीमती मनहर को पदोन्नति हेतु पात्र घोषित कर दिए। 2018 में संविलियन हुआ और प्रमोशन हेतु एक बार नियमों में शिथिलता देते हुए 5 वर्ष की अवधि को 3 वर्ष शासन ने निर्धारित किया।हेड मास्टर पर प्रमोशन सूची 14 अक्टूबर 2022 को व्यक्तिगत जारी की गई जिसमें गंभीर त्रुटियां थीं। इसी समय लेनदेन का आरोप तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी गोवर्धन भारद्वाज और अन्य अधिकारियों पर लगा था। फलस्वरुप शिकायत के आधार पर तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा ने पदोन्नति पर स्थगन कर समस्त शिक्षकों की पदस्थापना काउंसलिंग के माध्यम से करने 19 अक्टूबर 2022 को आदेशित किया जिसके कारण कई शिक्षक हाईकोर्ट जाकर स्थगन लेने लगे। अधिकांशतः पदोन्नति प्रधान पाठकों ने स्थगन लिया और दो माह बाद जस्टिस पार्थ पी साहू ने फैसला दिया कि प्रमोशन में गंभीर विसंगति हुई है और लोक शिक्षण संचनालय के 7 फरवरी 2022 के आदेश का पालन करने शासन और शिक्षा विभाग को निर्देश दिया गया। स्थगन खारिज करते हुए सबको मूल शाला के लिए भेज दिया गया और श्रीमती मनहर भी इसी से प्रभावित हुईं। किन्तु अपने विद्यालय वापस न जाना पड़े, इसके लिए प्रय्यास करने लगी। कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा के आदेश क्रमांक 700 स्थापना 02 टी संवर्ग पदोन्नति 2023-24 कोरबा दिनांक 3.5.2023 के सरल क्रमांक 838 में पुष्पलता मनहर को प्रधान पाठक बनाकर मूल शाला कुलहरिया में पदस्थ किया गया। हॉस्टल में अवैध गतिविधियां नाबालिक पुत्र का हॉस्टल में बच्चियों के साथ रहना, मारपीट अनियमिता व पढ़ाई के प्रति ध्यान नहीं देने को लेकर विभाग प्रमुख को कई शिकायत हुई और 9 हेड मास्टरों ने 3 अगस्त 2023 को जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा को पत्र देकर श्रीमती मनहर को पढ़ाने का आदेश देने कहा तो DEO कोरबा और सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग ने श्रीमती मनहर को मूल शाला के लिए कार्य मुक्त करने 6 अक्टूबर 2023 को आदेशित किया। इसके विरुद्ध श्रीमती मनहर ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका लगाकर कोर्ट को गुमराह कर और झूठा शपथ पत्र देकर स्थगन लिया।इस स्थगन को एक साल से अधिक हो गया है और श्रीमती मनहर अपने पद पर बनी हुई हैं। दूसरी तरफ उच्च न्यायालय में तारीख पर तारीख लेने का खेल चल रहा है। शासन के अधिवक्ता को WPS/ 9355 / 2023 के माध्यम से दो सप्ताह में जवाब पेश करने समय दिया लेकिन एक साल से अधिक होने पर भी कोरबा के जिला शिक्षा अधिकारी और अन्य प्रतिवादी जवाब पेश नहीं कर पा रहे हैं। इससे समझा जा सकता है कि उच्च न्यायालय में झूठा शपथ पत्र देकर गुमराह करना और तथ्यों को छिपाना इनके लिए आम बात हो गई है।
0 संस्था प्रमुख विहीन हुआ प्राथमिक शाला
श्रीमती मनहर ने अपनी मूल पदस्थापना को छिपाकर हॉस्टल इंचार्ज बनकर कोर्ट से स्थगन लिया और आज तक स्थगन चल रहा है जिसके कारण मूल संस्था प्राथमिक शाला कुलहरिया संस्था प्रमुख विहीन और एकल शिक्षकीय हो गया है जो की न केवल हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत है बल्कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 एवं 2020 में उल्लेखित गाइडलाइन के विपरीत भी है। शासन के दिए गए निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। खबर लिखे जाने तक स्थगन लगा हुआ है और झूठे तथ्यों को रखकर एक साल से स्थगन के सहारे अन्यत्र संलग्न होकर आदिवासी आश्रम की प्रभारी इंचार्ज बनी हुई हैं
0 क्या हॉस्टल से नहीं हटना चाहती हैं मनहर
श्रीमती मनहर का नियम विरुद्ध प्रमोशन तो हो गया और अब तो वह हॉस्टल से हटना ही नहीं चाहती हैं। शासन का आदेश के साथ-साथ उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना उनके द्वारा झूठे तथ्यों और शपथ पत्र के आधार पर तो की गई है लेकिन क्या उनके इस गंभीर अपराध में जिला शिक्षा विभाग भी सहभागी है?
जिला शिक्षा अधिकारी उच्च न्यायालय में जवाब पेश क्यों नहीं कर रहे हैं?
0 अधिकारी नहीं दे रहे हैं जवाब
उच्च न्यायालय में यह प्रकरण WPS/9355/2023 लम्बित और विचाराधीन है। सच और झूठ का फैसला न्यायालय को करना है। पुष्पलता मनहर ने अपने आपको हॉस्टल इंचार्ज बताकर कोर्ट को गुमराह किया है जबकी प्रधान पाठक प्रमोशन के आदेश के अनुसार उन्हें प्रधान पाठक बनाकर प्राथमिक शाला कुलहरिया में पदस्थापना दी गई है वहीं श्रीमती मनहर ने शासन के आदिवासी विकास विभाग के सचिव, शिक्षा विभाग के सचिव, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग जिला कोरबा, जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा और विकास खंड शिक्षा अधिकारी के साथ ही श्रीमती सीमा मिरी को भी पार्टी बनाया गया है। सीमा मिरी को छोड़कर अन्य किसी के द्वारा भी अब तक उच्च न्यायालय में जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है जिसके कारण उक्त विद्यालय एक साल से प्रधान पाठक विहीन हो गया है और शासकीय कार्य प्रभावित हो रहा है। समझा जा सकता है कि बिना हेड मास्टर के विद्यालय चल रहा है तो शिक्षा की गुणवत्ता कैसी होगी ?
0 इस ऑडियो की भी चर्चा
इसी कड़ी में हॉस्टल वार्डन का वह ऑडियो भी चर्चा में है जिसमें एक हेड मास्टर से बातचीत हो रही है जिसमें वह कुलहरिया नहीं जाने की जिद करती है और यह भी बताती है कि काउंसलिंग के दौरान उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किया फिर भी उनकी पदस्थापना की गई है इसके अलावा वह यह भी मिन्नत करती हैं कि किसी भी सूरत में पदस्थापना आदेश होने से पहले उनका आदेश निकल जाए जिसमें उन्हें हॉस्टल का वार्डन की नियुक्ति मिल जाए। हालांकि श्रीमती पुष्पलता मनहर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया है। न्यायालय से अंतिम फैसले का इंतजार है।