0 भाजपा की संजू और कांग्रेस की ऊषा में टक्कर काँटे का,प्रदेश की भी निगाह
कोरबा। छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी कोरबा सहित प्रदेश के 10 नगर निगमों में शहर की सरकार चुनने को लेकर मुकाबला दिलचस्प हो चला है। मतदान के तारीख की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और चुनावी शोर 9 फरवरी की शाम तक थम जाएगा। वक्त काफी कम बचा है, प्रचार-प्रसार बहुत ज्यादा करना है। कोरबा निगम में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने पुरबइया उम्मीदवार पर दॉव खेल है। कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती उषा तिवारी के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ.चरणदास महंत, पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल की टीम और कांग्रेसजन जोर-शोर से लगे हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ कोरबा के विधायक और छत्तीसगढ़ के श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन और उनकी भारतीय जनता पार्टी की टीम महापौर प्रत्याशी संजू देवी राजपूत के लिए जोर-शोर से जुटे हैं। हालांकि इन पर पूरे प्रदेश का भी दारोमदार है।
वैसे कोरबा का हर चुनाव हर वक्त हाई प्रोफाइल ही रहा है। विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा का चुनाव या फिर शहर सरकार चुनने का मसला, दिल्ली से लेकर प्रदेश की निगाहें यहां के परिणाम पर टिकी रहती है। मौजूदा चुनाव में एक तरफ नेता प्रतिपक्ष तो दूसरी तरफ कैबिनेट मंत्री की प्रतिष्ठा दॉव पर लगी हुई है। जनचर्चाओं में यह बात काफी गहरे शुमार है कि डॉ. चरणदास महंत राजनीति में एक अच्छे रणनीतिकार माने जाते हैं। जब बात सत्ता की लहर की चलती है तो लोग यह भी कहने से नहीं चूकते कि डॉक्टर महंत की रणनीति के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता और वह बाजी पलटने में माहिर हैं। कांग्रेस के परंपरागत वोटों के अलावा श्रीमती उषा तिवारी के अपने व्यक्तित्व कृतित्व और सामाजिक वोटों के साथ-साथ लोगों के रुझान परिणाम तय करेंगे।
दूसरी तरफ संजू देवी राजपूत भी कमतर नहीं हैं। वे एक बड़ा जाना पहचाना नाम हैं। भारतीय जनता पार्टी में पार्षद से लेकर संगठन के विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने अपनी एक अलग पहचान अपने व्यक्तित्व व कृतित्व के जरिए सामाजिक स्तर के साथ ही जन मानस में स्थापित की है। मंत्री लखन लाल देवांगन की अपनी एक अलग छवि है और शहर सरकार में उनकी अच्छी खासी दखल से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि वे भी यहां के महापौर रह चुके हैं। संजू देवी राजपूत का भी परम्परागत वोटों के साथ अपना सामाजिक वोटों का ताना-बाना है।
0 60-40 का अनुपात है अब तक, कब किसका पलड़ा भारी हो,कह नहीं सकते
जब आम लोगों से शहर के मौजूदा चुनाव पर चर्चा करते हैं तो अनायास 60 और 40% का रेशियो वे अपनी जुबान पर लाते हैं लेकिन यह बताने से जरूर परहेज कर रहे हैं कि 60% कौन है और 40% कौन..? मुकाबला बहुत ही कांटे का है जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी खासकर आम आदमी पार्टी की लखनी साहू और निर्दलीय दिनेश मालती किन्नर भी लोकल वोटों का समीकरण बिगाड़ती नजर आ रही हैं। इस बीच प्रत्याशियों से लेकर उनके नेताओं में आपसी जुबानी जंग जारी है।
0 घोषणा पत्र और बैठकों का जारी
भारतीय जनता पार्टी ने अपना घोषणा पत्र अटल संकल्प पत्र के रूप में जारी कर दिया है जबकि कांग्रेस का अभी इंतजार में है। इसके साथ-साथ कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेताओं, पदाधिकारी के द्वारा बैठक दर बैठक लेने का सिलसिला चल पड़ा है। वार्डों में भी चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ लिया है। पार्टी के पदाधिकारी महापौर पद जीतने के लिए वार्डों में दौरे पर दौरा कर रहे हैं, साथ ही पार्षद प्रत्याशियों का भी प्रचार-प्रसार हो रहा है।
0 भीतरघात करने वालों की कमी नहीं
चुनाव में भीतरघात का खतरा दोनों ही दलों में बना हुआ है। इसे पार्टी के नेता भी भली भांति जानते हैं। उनके द्वारा टिकट वितरण को लेकर वार्ड-वार्ड चली आ रही नाराजगी से होने वाले संभावित डैमेज को कंट्रोल करने की कवायद लगातार की जा रही है। इसमें काफी हद तक सफलता भी मिलती दिख रही है और नाराज लोगों को मनाया जा रहा है। वैसे पूर्व पदाधिकारियों की भी पूछ परख तीनों चुनाव में घटी-घटी सी नजर आई है। मान-मनौव्वल का यह दौर कुछ दिन बाद थम जाएगा।