0 काश ! जिले की सड़कों से गुजरे vip काफिला तो बदल जाए सूरत, और भी मुद्दे हैं जिले में एक एयर स्ट्रीप के सिवा
कोरबा। कोरबा जिले में लंबे समय से सड़कों की हालत काफी बदहाल है। आम सड़क हो या vip रोड या फिर चार्टर प्लेन उतारने वाला रास्ता, इन सब ने व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है।
सड़क पर वैसे तो अक्सर पक्ष और विपक्ष के दलीय नेताओं में रार मची रहती है और एक-दूसरे पर दोषारोपण कर कर्तव्यों की इति श्री कर लेते हैं, इनके आपसी टशन में बचा-खुचा कम निगम प्रशासन भी पूरा कर लेता है।
सड़क के निर्माण में लीपा पोती जग जाहिर है लेकिन ऐसा भी क्या कि सरकार को बात-बात पर टैक्स देने वाली जनता सुविधाओं के लिए तरस जाए..! अभी कोरबा औद्योगिक जिला में एयर स्ट्रिप पर प्रदेश के वित्त मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा नेताओं को लेकर आए हुए चार्टर प्लेन के उछलने का मुद्दा गर्माया हुआ है। वैसे तो घटना दिनांक को ही मंत्री के निर्देश पर कलेक्टर ने सीएसईबी और बालको को नोटिस जारी करवा दिया और fir के निर्देश भी दे दिए लेकिन इसके बाद भी राजनीतिक दखल दिखाना जरूरी है, ऐसी चर्चा है।
भाजपा के जिला अध्यक्ष डॉ. राजीव सिंह ने एक ज्ञापन सौंपते हुए मांग कर डाली कि जो इस तरह की सड़क बनाते हैं, उनसे ही काम कराया जाए। उनकी मांग अपनी जगह पर जायज है लेकिन यह आश्चर्य की बात है और इसे लेकर प्रबुद्ध जनों के बीच से भी यह बात निकल कर आई है कि क्या जिला अध्यक्ष को सिर्फ रन-वे की चिंता है। रन-वे की सड़क पर तो प्रशासन ने संज्ञान ले लिया है लेकिन एक लीडिंग पार्टी सत्तारूढ दल के जिला अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने या उनके दूसरे जिम्मेदार पदाधिकारियों ने प्रदेश में 9 महीने से बन चुकी सरकार और प्रशासन को इस बात के लिए आगाह किया कि जिले की प्रारंभिक से लेकर अंतिम सीमा तक की सड़क की क्या दुर्दशा है? उन्होंने जर्जर सड़कों के मामले में कितनी बार प्रशासन को ज्ञापन सौंपा, कितने आवेदन दिए या सड़क पर उतरकर कोई जनआंदोलन खड़ा किया ताकि कम से कम सड़क तो चलने लायक बनाई जा सके। जिले की सड़कों पर वाहनों और इंसानों दोनों का अस्थि पंजर ढीला हो रहा है। बिखरी गिट्टियों और गड्ढों से बचने के फेर में तनाव के साथ वाहन चलाना पड़ रहा है।
बरसात के दिनों में यह हकीकत पता चली कि कौन सी सड़क कितने पानी में है। जिले में न सिर्फ सड़के, बल्कि रेलिंग विहीन पुल-पुलिया, यहां तक की प्रदेश के श्रम मंत्री के निवास क्षेत्र से लगे हुए सड़क पर निर्मित पुल के रेलिंग विहीन जीर्ण-शीर्ण होने पर भी कोई बात राजनीतिक तौर पर नहीं चली।
जिले की अनेक सड़कें, इलाके अंधेरे में हैं, स्ट्रीट लाइट कभी जलती है तो अधिकांशत: बंद रहती है, मुख्य शहर के भीतर भी आए दिन अंधेरा कायम रहता है।
नगर निगम क्षेत्र में यातायात व्यवस्था बदहाल है, यातायात पुलिस अपना काम कर रही है लेकिन निगम प्रशासन का कोई सहयोग नहीं मिल रहा और करोड़ों रुपए के फुटपाथ बेतहाशा कब्जे की चपेट में है और बेतहाशा कब्जा बढ़ता ही जा रहा है।
अनेक डेली व साप्ताहिक बाजारों की हालत खराब है। बरसात में लोग नालियों के भरने वाले पानी से गुजरते हैं तो सूखे दिनों में उखड़े cc रोड के गड्ढे बाजार के भीतर भी परेशान करते हैं।
क्या जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का वास्ता इनसे नहीं पड़ता?
बढ़ती राखड़ की समस्या, बढ़ता प्रदूषण, नदी-नालों में बहाई जा रही राख, राख पाट कर नदी-नालों, तालाब व जल स्त्रोतों का अस्तित्व खतरे में डालने वालों पर भी क्या भाजपा के जिम्मेदार नेताओं या कांग्रेस के ही नेताओं ने कोई बात की है? व्यवस्था बनाने में कोई सहयोग मिलता नगण्य ही नजर आया है।
0 सुशासन की सरकार में अवैध कारोबार को “फीलगुड”
पिछले 9 महीने से प्रदेश में काबिज भाजपा की सरकार सुशासन की बात तो करती है लेकिन कोरबा जिले में अवैध कारोबार करने वालों के लिए खासकर रेत चोरों के लिए शत- प्रतिशत “फीलगुड” का माहौल सत्ता नेताओं की जानकारी में तैयार कराया गया है।
क्या भाजपा के नेताओं को या जिला अध्यक्ष को जिले में हो रही रेत चोरी, 15 जुलाई से 15 अक्टूबर के बीच रेत का किसी भी तरह से खनन नहीं करने के संबंध में जारी निर्देशों का पालन कराने के प्रति शासन-प्रशासन को लिखने, सस्ती रेत मुहैया कराने, सड़कों-गलियों में बेधड़क बिना नम्बर के दौड़ाए जा रहे ट्रेक्टर/रेत वाहनों की रोकथाम, केंद्र सरकार के अधीन एनजीटी के नियमों का पालन कराने की अपनी जिम्मेदारी का आभास नहीं होता…! कांग्रेस की सरकार में विपक्ष की भूमिका में रहने के बावजूद कोई खास हलचल जनहित को लेकर नजर नहीं आई (राजनीतिक लाभ वाले मुद्दों को छोड़कर)। चुनाव के दौरान, सरकार बन जाने पर यह कर देंगे-वह कर देंगे, सब को ठीक कर देंगे, सुशासन लाएंगे का दावा करने वाले भाजपाई अब दूर-दूर तक नजर नहीं आते।
बात सड़क की हुई है तो बरसात के 3 महीने छोड़कर इससे पहले भी सड़क की दुर्दशा थी। शहर के हृदय स्थल जहां से भाजपा के नेता हों या कांग्रेस के, सभी तरह के नेताओं/जनप्रतिनिधियों, निगम के अधिकारियों का आना-जाना अक्सर होता है लेकिन निर्मित गड्ढों तक को भरवाने की जहमत नहीं उठाते। ऊषा काम्प्लेक्स रेलवे क्रॉसिंग पर अक्सर दोपहिया वाहन जाम के वक्त फंसते हैं, हादसे का डर बना रहता है, गुजरते वक्त अक्सर दोपहिया वाहनों के चक्के लड़खड़ाते हैं, क्या इन्हें या दूसरे क्रासिंग को भी समतल कराने के लिए कभी किसी ने कोई पहल की है जबकि अभी तो डबल इंजन की सरकार है और दखल केंद्रीय से लेकर राज्य स्तर के उपक्रमों तक है। जिले में सिर्फ रन-वे ही एक मुद्दा नहीं, मुद्दे तमाम हैं लेकिन अपने आकाओं की नजर में अच्छा बनने के लिए ही राजनीति करना जनसेवा का माध्यम नहीं हो सकता, इस पर भी ध्यान देना चाहिए।