कोरबा। कोयला उद्योग में कार्यरत 4 लाख कामगारों तथा सेवानिवृत हुए 5 लाख कामगारों को मिलने वाले पेंशन फंड की माली स्थिति ठीक नहीं है। वर्तमान मे पेंशन फंड की परिसंपत्ति लगातार कम हो रही क्योंकि पेंशन मद मे ज्यादा रकम जमा नहीं हो पा रही है। दूसरी ओरं लगातार पेंशन फंड की देनदारी दिनों दिन बढ़ती जा रही जिसके चलते पेंशन फंड में जमा रकम धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। आने वाले प्रत्येक माह में पेंशन फंड और कमजोर हो रहा है क्योंकि पेंशन फंड का आवक और जावक रकम में दिनोंदिन तेज गति से गैप बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही मौजूदा दस्तावेज कहते हैं कि पेंशन फंड भारी घाटे में जा रहा है।
इस संबंध मे प्रदेश एटक कार्यवाहक अध्यक्ष दीपेश मिश्रा ने बताया कि कोयला उद्योग में कार्यरत श्रम संगठन क्रमश: एटक, इंटक, बीएमएस,सीटू तथा एचएमएस ने कोयला कामगारों को थर्ड बेनिफिट (तृतीय लाभ) दिलाने के लिए काफी संघर्ष किया है। उस समय कोयला कामगारों में बहुत भ्रम फैला जिससे बहुत सारे कामगारों ने पेंशन योजना में शामिल होने के लिए अपनी सहमति नहीं दी परंतु धीरे-धीरे कोयला कामगार इस स्कीम में शामिल होते गए और आज सभी कामगार इसमें शामिल हैं। दीपेश मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में पेंशन फंड की स्थिति ठीक नहीं है और न ही सरकार इसमें कोई मदद करेगी। सिर्फ कोयला प्रबंधन ही इस फंड को मजबूत कर सकती है, इसके लिए सिर्फ कोयला प्रबंधन को यह तय करना है कि कोयला का व्यापार कर प्रबंधन जो मुनाफा कमा रही है उसमें से सिर्फ 0.05 फीसदी रकम कोयला प्रबंधन अगर पेंशन फंड मे देता है तो कोयला उद्योग में कार्यरत या सेवानिवृत हुए कामगारों का भविष्य उज्जवल हो जाएगा।
मात्र 0.05 फीसदी रकम से कोयला कामगारों का भविष्य उज्जवल हो जाएगा
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