कोरबा-करतला। कोरबा जिले की सरकारी चिकित्सा व्यवस्था किसी न किसी मामले को लेकर सुर्खियों में रहती है। कभी चिकित्सा सुविधाओं और संसाधनों की कमी से मरीज दम तोड़ते हैं तो कभी ग्रामीण इलाकों में सेवाओं का अभाव देखने को मिलता है।
इसी कड़ी में एक और मामला सामने आया है जिसमें परिवीक्षा अवधि वाले चिकित्सक को ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर पदस्थ करने के साथ-साथ उसे नियम विरुद्ध तरीके से वित्तीय अधिकार भी प्रदान कर दिया गया है। यह सब क्यों और कैसे हो रहा है, यह तो सीएमएचओ ही जानें लेकिन जिस तरह की कार्यप्रणाली चिकित्सा विभाग में चल रही है, उससे महकमा के लोगों में ही असंतोष देखा जा रहा है।
जो मामला संज्ञान में लाया गया है, उसके मुताबिक करतला विकासखंड में जिन्हें ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के पद पर जनवरी 2024 से पदस्थ किया गया है और जिन्होंने जनवरी 2023 में चिकित्सा विभाग की सेवा ज्वाइन की है, उन्हें 2 साल की परिवीक्षा अवधि पूरी करना है। इस अवधि में वह कार्यों से संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे लेकिन उन्हें बीएमओ बनाने के साथ-साथ वित्तीय अधिकार भी सौंप दिए गए हैं। चिकित्सा विभाग के जानकार बताते हैं कि परिवीक्षा अवधि में वित्तीय अधिकार किसी भी सूरत में नहीं दिया जा सकता और यह नियम विरुद्ध है। इसके अलावा इसी करतला ब्लॉक के ग्रामीण अंचल रामपुर, चिकनीपाली और केराकछार में पदस्थ मेडिकल ऑफिसर को ब्लॉक मुख्यालय में अटैच करके रखा गया है। केराकछार में जो मेडिकल ऑफिसर पदस्थ हैं उन्हें ही बीएमओ बनाया गया है और समझा जा सकता है कि बीएमओ की कुर्सी पर बैठने के बाद मेडिकल ऑफिसर का दायित्व किस तरह से निर्वहन हो रहा होगा। ग्राम चिकनीपाली के मेडिकल ऑफिसर को ड्यूटी के नाम पर ब्लॉक मुख्यालय में अटैच किया गया है और तब से वह स्थाई तौर पर ही मुख्यालय में जम गए हैं। इसी तरह से रामपुर में पदस्थ मेडिकल ऑफिसर को तीन दिन मुख्यालय और तीन दिन स्वास्थ्य केंद्र में सेवा देने का मौखिक निर्देश देकर काम चलाया जा रहा है।
व्यवस्थाएं कुछ तो लिखित में तो बहुत कुछ मौखिक में चल रही हैं। ऐसी व्यवस्था के कारण ग्रामीण अंचल में चिकित्सा व्यवस्था का हाल आसानी से समझा जा सकता है। ग्राम रामपुर, चिकनीपाली और केराकछार एक तरह से चिकित्सकविहीन होकर कामचलाऊ व्यवस्था पर सारा कुछ चल रहा है।
यह तो ईश्वर की कृपा है कि ऐसे चिकित्सक विहीन क्षेत्र में चिकित्सा संबंधी कोई घटना नहीं हो रही, वरना हालात संभाले नहीं संभल पाएंगे।तमाम चेतावनी और शासन से लेकर प्रशासन स्तर तक के निर्देशों के बावजूद व्यवस्थाओं में सुधार के प्रति जिम्मेदार अधिकारी ही गंभीरता नहीं दिखाएंगे तो अधीनस्थ कर्मचारी किस तरह से पालन करेंगे, यह भी समझने वाली बात है। उम्मीद है कि अव्यवस्थाओं और लापरवाही के लिए अक्सर समाचारों की सुर्खियों में बने रहने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस व्यवस्था को दुरुस्त करने का काम करेंगे ताकि ग्रामीण अंचल के चिकित्सकविहीनअस्पतालों को मेडिकल ऑफिसर व अन्य चिकित्सा की सुविधा मिल सके। वहीं करतला में वरिष्ठ चिकित्सकों के होने के बावजूद जिस तरह से नियमों के विरुध्द परिवीक्षा अवधि वाले चिकित्सक को BMO की कुर्सी प्रदान की गई है, उसमें सुधार लाया जाकर जिम्मेदार को बिठाया जाएगा ताकि उनके अनुभव का भी लाभ ग्रामीण चिकित्सा सेवा को मिल सके।
यह कैसी व्यवस्था:परिवीक्षा डॉक्टर को बनाया BMO, वित्तीय अधिकार भी दिया, अटैच पर मेडिकल ऑफिसर, गॉव चिकित्सा विहीन
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