0 निगरानी दल का कई काम कागज में,निर्देश का आधा-अधूरा क्रियान्वयन
कोरबा। विधानसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू होने के साथ ही निष्पक्ष चुनाव कराए जाने की कवायद में जिला प्रशासन तेजी से जुटाहुआ है। चुनाव की तारीख की घोषणा होने के साथ ही सबसे पहला काम संपत्ति विरूपण की कार्रवाई का होता है जिसमें निजी से लेकर सार्वजनिक संपत्ति पर नेताओं से लेकर सरकार की योजनाओं वाले चस्पा बैनर,पोस्टर, पंपलेट, भूमिपूजन/लोकार्पण वाले शिलापट्ट आदि,दीवार लेखन आदि को मिटाया जाना प्रमुख है। इस कार्य के लिए अलग-अलग दल बनाए जाकर निगरानी की जिम्मेदारी अधिकारियों को सौंप गई है। प्रतिदिन किए गए संपत्ति विरूपण की कार्रवाई की रिपोर्टिंग भी देनी है।
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राज्य में 9 अक्टूबर 2023 को दोपहर 12 बजे से आचार संहिता लागू हो चुकी है और इसके बाद कोरबा जिले में कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी सौरभ कुमार के मार्गदर्शन में समस्त विभागों के द्वारा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई है। नगर निगम आयुक्त सुश्री प्रतिष्ठा ममगाई के निर्देश पर सभी 8 जोन में अलग-अलग दल गठित कर संपत्ति विरूपण नियंत्रण के लिए कार्रवाई प्रारंभ की गई। यह कार्य प्रारंभ हुए 10 दिन हो चुके हैं और दल का ऐसा मानना है कि उन्होंने अपनी कार्रवाई पूरी कर ली है लेकिन जब शहर क्षेत्र में इसका अवलोकन किया गया तो कई ऐसे इलाके मिले जहां संपत्ति विरूपण नियंत्रण का दल पहुंच भी और लीपा पोती भी किया लेकिन आधा अधूरा।
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अनेक वार्डों में वार्ड के प्रवेश सीमा पर लगाए गए पार्षदों के नाम पर सफेदी पोतकर नाम मिटा दिया गया है तो अनेक पार्षदों के नाम अभी भी साफ तौर पर दिख रहे हैं। इसी प्रकार शिलापट्टीकाओं में काला रंग पोतने अथवा पेपर चिपकाकर उसे पूरी तरह से ढकने की बजाय जिस रंग का इस्तेमाल किया गया है, उससे सारा कुछ साफ-साफ देखा और पढ़ा जा सकता है, फिर विरूपण नियंत्रण के मायने क्या हुए?
शासकीय भावनों की चार दिवारी के बाहरी तरफ विभिन्न दलों के लिखे गए स्लोगन पर भी कई ऐसे स्थान है जहां पहुंचने के बाद भी नाम और उनके दल के चिन्ह दिख रहे हैं। इसे तस्वीरों में सहज ही देखा जा सकता है।
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शिलापट्टी,दीवार लेखन,पोस्टर को कई जगह आधा-अधूरा पोता गया है कि देखने कौन आ रहा है। एक बार उस क्षेत्र से निकल जाने के बाद दल की दोबारा वहां पर वापसी संभव नहीं लेकिन छोड़-छोड़ कर की गई संपत्ति विरूपण नियंत्रण की कार्यवाही और लीपापोती से निष्पक्ष चुनाव पर सवाल तो उठेंगे ही।
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निर्वाचन आयोग के निर्देश का पालन किस तरह से मैदानी अमला कर रहा है और मैदानी अमले के ऊपर तैनात अधिकारी इसकी निगरानी किस तरह से कर रहे हैं, इसकी बानगी जहां शहर में नजर आ रही है वहीं उपनगरीय और ग्रामीण इलाकों में तो ज्यादातर किसी को झांकने की फुर्सत नहीं मिलती। पुरानी बस्ती, सर्वमङ्गला रोड, सीएसईबी कॉलोनी से लगे पथर्रीपारा के नीचे पारा मोहल्ला, रोजगार दफ्तर, सिंचाई कालोनी मार्ग, तहसील मार्ग सहित अन्य स्थान पर इस तरह की लीपापोती देखने को मिले हैं।
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संपत्ति विरूपण में आधा-अधूरा कार्रवाई कर दल के द्वारा तैयार कर भेजी गई रिपोर्ट कहीं ना कहीं गलत है और वह अधिकारी को गुमराह कर रहे हैं। निगम में प्रतिदिन की जाने वाली संपत्ति विरूपण की कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी गई है तब ऐसे में निगरानी दल प्रभारी के द्वारा गलत जानकारी पेश कर गुमराह करने का काम किया गया है। निगम आयुक्त को चाहिए कि वह इस कार्य की सख्ती से निगरानी कराते हुए छोड़े गए स्थान पर भी कार्रवाई सुनिश्चित कराएं ताकि निष्पक्ष चुनाव की निर्वाचन आयोग की मंशा पूर्ण हो सके।