कोरबा । आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में शासन की अदूरदर्शिता एवं मार्कफेड की लापरवाही से 57 सहकारी समितियों को इस साल करोड़ों रुपए के धान के शार्टेज (खरीदे गए धान के वजन में मौसमी मार की वजह से कमी ) आने का डर सता रहा है। राइस मिलरों की मनमानी पर अंकुश लगाने में विफल मार्कफेड की लचर परिवहन व्यवस्था से ग्यारहवें साल कोरबा जिले का जीरो शार्टेज देने कीर्तिमान का सिलसिला टूट सकता है। कुछ समितियों में बड़े शार्टेज की सुगबुगाहट भी होने लगी है जहां के कर्ताधर्ता की कार्यप्रणाली चर्चा में रहती हैं।
शासन द्वारा निर्धारित समय पर हुए धान खरीदी को समाप्त हुए लगभग एक माह हो गया है। जिले के 65 में से 57 सहकारी समितियों में अभी भी 1 लाख 6 हजार 648 .40 क्विंटल समर्थन मूल्य पर 23 करोड़ 28 लाख 13 हजार 457.2 रुपए का धान जाम पड़ा है । जारी डीओ समाप्त होने के बाद भी उपार्जन केंद्रों से धान के उठाव में विफल मार्कफेड राइस मिलरों से सवा करोड़ रुपए से अधिक की पेनाल्टी वसूल अपने कार्यदायित्वों से मानो इति श्री कर लिया है। लचर परिवहन व्यवस्था से शार्टेज के नुकसान से बचने लाखों का धान समिति को प्राप्त कमीशन से भरने वाली सहकारी समितियों ने मार्कफेड को राईस मिलरों से समय पर धान का उठाव नहीं कर पाने की स्थिति में मिलने वाले अर्थदंड की राशि समितियों को दिए जाने की मांग को लेकर न्यायालय की शरण में जाने का ऐलान किया है।
यहाँ बताना होगा कि प्रदेश में में इस साल खरीफ विपणन वर्ष 2023 -24 में 1 दिसंबर से 4 फरवरी तक समर्थन मूल्य के आधार पर धान खरीदी की गई । जिले में इस साल लाख 25 लाख 70 हजार क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया था।
तय मियाद में 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से पंजीकृत किसानों में से 43 हजार 412 किसानों से रिकार्ड 28 लाख 67 हजार 331 क्विंटल समर्थन मूल्य पर 625 करोड़ 93 लाख 84 हजार 882 रुपए के धान की आवक हुई थी। किसानों को धान के भुगतान योग्य राशि उनके बैंक खातों में भुगतान कर दिया गया है। खरीफ वर्ष 2023 -24 में ‘मोदी की गारंटी’ पर मोहर लगते ही जिले में न केवल धान बेचने वाले किसानों की संख्या 4 हजार 418 ( 10.17 फीसदी) बढ़ गई ,वरन 7 लाख 38 हजार 80.2 क्विंटल ( 25 .74 फीसदी ) अधिक धान की आवक हुई है । इस साल जिला रिकार्ड 25 लाख 70 हजार क्विंटल धान खरीदी के लक्ष्य को भी जिला लांघ गया । जिले में लक्ष्य से 2 लाख 97 हजार 331 क्विंटल ( 10.36 फीसदी )अधिक धान की आवक हुई थी। लेकिन धान खरीदी के बाद सबसे महत्वपूर्ण कार्य धान के उठाव को लेकर इस बार मार्कफेड की लचर परिवहन व्यवस्था ने सहकारी समितियों को इस साल संकट में डाल दिया है। अमूमन 15 फरवरी तक पिछले 10 सालों से शत प्रतिशत धान का उठाव कर लिया जाता रहा है ,जिससे कोरबा जिला लगातार 10 साल से शत प्रतिशत धान का परिदान कर कीर्तिमान रचते आ रहा है ,लेकिन इस साल ग्यारहवें वर्ष यह कीर्तिमान कोरबा से छिन सकता है। जिले में कुल खरीदे गए धान में से 29 फरवरी की स्थिति में 65 में से 57 सहकारी समितियों में अभी भी 1 लाख 6 हजार 648 .40 क्विंटल समर्थन मूल्य पर 23 करोड़ 28 लाख 13 हजार 457.2 रुपए का धान जाम पड़ा है ।
0 डीओ के 10 दिन बाद भी उठाव नहीं
मार्कफेड द्वारा मुख्यालय से लक्ष्य मिलने पर 17 फरवरी को अंतिम बार उपार्जन केंद्रों में शेष शत प्रतिशत धान के उठाव के लिए सभी 110 राइस मिलरों को डीओ जारी किया गया था। लेकिन डीओ की मियाद 10 दिवस बीतने के उपरांत भी राईस मिलर उक्त धान का उठाव नही कर सके। लिहाजा तेज धूप में लगातार खरीदे गए धान के वजन में कमी आ रही है। जिससे इस साल समितियों को बड़े पैमाने पर शार्टेज का डर सता रहा। महज 8 उपार्जन केंद्रों करतला ,जटगा (तुमान),जवाली ( रंजना ),पाली (नुनेरा),फरसवानी,बिंझरा (तानाखार )लाफा (पोटापानी) एवं श्यांग चिर्रा ही शत प्रतिशत धान का परिदान कर सके हैं। साथ ही ऐसे उपार्जन केंद्र जहां 500 क्विंटल से कम धान जाम हैं वे भी शत प्रतिशत धान परिदान की स्थिति में हैं ,लेकिन इससे अधिक मात्रा में जिन उपार्जन केंद्रों में धान जाम हैं वहाँ शार्टेज की स्थिति निर्मित हो सकती है। हालांकि डीएमओ ने 8 मार्च महाशिवरात्रि तक शत प्रतिशत धान के उठाव का दावा कर रही हैं लेकिन ये दावे परिणाम में बदलते हैं या फिर महज वादे मात्र रह जाते हैं यह हफ्ते भर बाद पता चल जाएगा।
0 घाटे की भरपाई समिति से, लाभ मार्कफेड को
एक तरफ शत प्रतिशत धान का परिदान नहीं कर पाने की स्थिति में शार्टेज की वसूली सहकारी समितियों से ही शासन करती है ,वहीं डीओ जारी करने के बाद भी उपार्जन केंद्रों से समय पर धान का उठाव नहीं कर पाने पर राईस मिलरों से प्रति क्विंटल 10 रुपए की दर से लगाई जाने वाली पेनाल्टी राशि की मार्कफेड को मिलती है । जिससे सहकारी समितियां नाराज हैं वे पेनाल्टी की इस राशि को सहकारी समितियों को दिए जाने की मांग के साथ कोर्ट का रुख करने वाली हैं।
0 प्रत्येक राईस मिलरों को पड़ेगी 4 लाख की पेनाल्टी
जिले में 110 पंजीकृत राइस मिलर्स हैं ,जिनका शासन की धान परिवहन नीति के तहत अनुबंध हुआ है । मार्कफेड के डीएमओ के अनुसार प्रत्येक राइस मिलरों को समय पर धान का उठाव नहीं कर पाने पर लगभग 4 लाख रुपए की पेनाल्टी लग गई है । कुल कितनी पेनाल्टी लगी बिलिंग मॉड्यूल आने के बाद ही स्पष्ट होगा।