KORBA:मेडिकल कॉलेज के डीन को नोटिस,3 दिन में देना होगा जवाब
0 मरीजों के भोजन का टेंडर में बड़ा झोलझाल,शिकायत पर शुरू हुई पड़ताल
कोरबा। जिला चिकित्सालय में मरीजों के लिए भोजन व्यवस्था हेतु जारी किए गए निविदा को लेकर इसमें भाग लेने वाली एक फर्म ने गड़बड़ी उजागर करते हुए शासन से शिकायत किया है। इस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए अंत:रोगी मरीजों व जेएसएस के अंतर्गत प्रसूताओं को भोजन प्रदाय करने के संबंध में डाइट्री सर्विस हेतु आमंत्रित निविदा की शिकायत पर पत्र का अवलोकन/परीक्षण कर तीन दिवस के भीतर स्पष्ट अभिमत सहित बिन्दुवार जानकारी प्रेषित करने के निर्देश दिए गए हैं। तत्संबंध में छत्तीसगढ़ सरकार के संचालनालय चिकित्सा विभाग के संचालक द्वारा शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, कोरबा के डीन को पत्र जारी कर तीन बिन्दुओं पर किये गए शिकायत पर बिन्दुवार जानकारी संचालक चिकित्सा शिक्षा छत्तीसगढ़ को भेजना सुनिश्चित करनें कहा गया है।
0 यह है पूरा मामला
स्व. बिसाहू दास महंत स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध इंदिरा गांधी चिकित्सालय कोरबा में मरीजों की भोजन सेवा के काम के लिए टेंडर जारी किया गया है। इसकी शर्तें बार-बार बदली जा रही हैं। दो फर्मों ने नियमानुसार जीएसटी सार्टिफिकेट भी जमा नहीं किए हैं, फिर भी उन्हें वर्क ऑर्डर जारी करने के नियम विरुद्ध प्रयास किया जा रहा है। इन अनियमितताओं को चिन्हित करते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त और उपमुख्यमंत्री अरुण साव को पत्र लिखा गया है।
जिला चिकित्सालय में सेवा दे रही कोरबा की मौजूदा फर्म लाइफ लाइन कैंटीन एंड रेस्टुरेंट की ओर से विभाग के आयुक्त और उप मुख्यमंत्री अरुण साव को पत्र लिखा गया है। पत्र के अनुसार निविदा की शर्तें देखकर प्रतीत हो रहा है कि किसी विशेष फर्म को लाभ पहुंचाने की कोशिश संस्था द्वारा की जा रही है। निविदा की शर्तें बार बार बदली जा रही है और कुछ अनिवार्य दस्तावेज जमा नहीं करने पर ब्लैक लिस्टेड करने की बजाय एल 1 और कार्यादेश जारी करने की कोशिश से प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं। मौजूदा फर्म ने इस प्रकार के अनुचित प्रयास पर रोक लगाते हुए वर्तमान सत्र तक भोजन प्रदाय सेवा जारी रखे जाने की गुजारिश की है।
पूर्व में तीन बार यह निविदा जारी की जा चुकी है। जिसमे लगने वाले दस्तावेज नियम व शर्तों को बार-बार बदला गया है। जैसा कि पहले दो निविदाओं में (डाइट सर्विस) से संबंधित सारे दस्तावेज मंगाए गए थे। तीसरी निविदा में (डाटरीय सर्विस) से संबंधित सारे दस्तावेज मंगाए गए थे। इस प्रकार तीनों निविदाओं में नियम व शर्तों को बदलने से ऐसा प्रतीत होता है कि संस्था द्वारा किसी विशेष फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए निविदा में परिर्वतन कर निविदा जारी कि गई है। नियमानुसार भोजन प्रदाय करने के लिए (सेम नेचर वर्क) के दस्तावेज मंगाए जाने थे।
0 फर्मों को ब्लैक लिस्टेड करने के बजाय उन्हें एल-1 तथा कार्यादेश जारी करने का प्रयास
दूसरी बात यह कि विभाग द्वारा निकाली गई निविदा में जमा करने की तिथि 31 अक्टूबर 2023 थी, जो कि अस्पताल के लिए भोजन व्यवस्था (डाइटरी सर्विस) के लिए निकाली गई थी। उस निविदा में दो पात्र फर्मों जिनमें पहला फिलिप्स केटरर्स एवं दूसरी फर्म जलाराम भोजनालय रायपुर, इन दोनों फर्मों ने शासन को गुमराह करने के उद्देश्य से जीएसटी सर्टिफिकेट (डाइटरी सर्विस) से संबंधित दस्तावेज जमा नहीं किया है। अतः विभाग द्वारा इन फर्मों को ब्लैक लिस्टेड करने के बजाय उन्हें एल-1 तथा कार्यादेश जारी करने का प्रयास किया जा रहा है, जो कि अनुचित है।
0 नहीं हैं प्रावधान एचएस एन कोड, तो क्यों मांग रहे..?
इस निविदा में जी.एस.टी. से संबंधित डाइटरी सर्विस आपके नियम एवं शर्तों की कंडिका कमाक -4 के अनुसार जिस सामाग्री के लिए निविदा किया जा रहा है उसका जीएसटी नंबर का होना अनिवार्य है। हमारी जानकारी और तथ्यों के अनुसार जीएसटी भारत सरकार द्वारा डाइटरी सर्विस से सबंधित किसी भी प्रकार का एचएस एन कोड जारी नहीं किया गया है। अतः जो चीज पैदा ही नहीं हुई है, उससे संबंधित (यानी डाइटरी सर्विस) के लिए निविदा कैसे जारी की जा सकती है। अतः निविदा ही पूर्ण रूप से गलत है।
डिप्टी सीएम से निवेदन किया गया है कि मार्च 2024 तक हमारी फर्म, जो अभी भोजन प्रदाय का कार्य कर रही है उसे यथावत रखा जाए। यह भी लिखा गया है कि आगामी निविदा सही नियम एवं शर्तो के साथ बिना भेदभाव के जारी करने का कष्ट करें।