0 नियम-कायदे तो महज कागजी दिखावा और खनापूर्ति
कोरबा। कोरबा शहर में रात के सन्नाटे में इस भरी ठंड में जब कुत्तों के भौंकने की आवाज तक सुनाई नहीं पड़ रही तब रेत तस्करों की दौड़ गेरवाघाट से अघोषित भंडारण स्थल तक लगातार लग रही है। इनके लिए कागजों में घोषित तौर पर बन्द सीतामणी का रेत घाट हो या बरमपुर,बरबसपुर, भिलाई खुर्द का ठिकाना,सब अघोषित तौर पर खुला दरबार है। रात में पुलिस चौकी और थाना के बन्द दरवाजे इनके लिए सोने पर सुहागा हैं तो दिन में राजस्व अमले की आंखों पर पर्दा डालकर चोरी कर रहे हैं। रात 10 बजे से लेकर तड़के 5 बजे तक लगातार ट्रेक्टर और टिपर रेत ढोने का काम कर रहे हैं। रात भर गेरवाघाट से होते हुए वीआईपी मार्ग,घण्टाघर मार्ग के सन्नाटे को चीरते हुए रेत ढोने का हो रहा काम प्रशासन,माइनिंग और राजस्व अमले की आंख में रेत झोंकने जैसा है, फिर पुलिस की आंख से तो न सिर्फ रेत चोर बल्कि कोयला चोर,डीजल चोर,कबाड़ चोर,ताम्बा चोर भी काजल चुरा ही रहे हैं। कप्तान भले सख्त हैं पर मातहत तो मस्त हैं। सत्ता बदलने का कोई फर्क कहीं भी नजर नहीं आ रहा,सब कुछ पूर्ववर्ती सरकार के ढर्रे पर चल रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि वजीर और प्यादे बदल गए हैं। काम करने-कराने का तरीका बदल गया,लेन-देन की चाबी कोई और घुमा रहा है,बाकी सब राम राज्य है। सूत्र बताते है कि इन्हें पूरी शिद्दत से संरक्षण देने का काम हो रहा है तो फिर भला कौन क्या कर सकेगा ! वैसे भी राम-राम जपना और सरकारी माल अपना, के ढर्रे पर तस्कर चल रहे हैं,जिसमें जितना दम हो,पैसा फेंके और तमाशा देखे।