KORBA:IT कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य पोछा लगाते हैं, उठाते हैं कुर्सियां
0 बदहाली की ओर अग्रसर है कॉलेज, प्रभारी प्राचार्य के भरोसे प्राचार्य ने छोड़ी व्यवस्था
कोरबा। यह तस्वीर जो दिखाई दे रही है वह किसी सफाई कर्मी या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का नहीं है, वह आईटी कॉलेज झगरहा के सहायक अध्यापक मैकेनिकल एवं विभागाध्यक्ष सिविल, प्रभारी प्राचार्य गेंदलाल सोनकर हैं जो विगत कई वर्षों से महाविद्यालय के साफ सफाई एवं झाड़ू पोछा का कार्य कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इस महाविद्यालय में सफाई कर्मचारियों की कमी है। इस महाविद्यालय में चार सफाई कर्मी की नियुक्ति की गई है जो नियमित सफाई का काम कर रहे हैं। आप सोच रहे होंगे कि प्रभारी प्राचार्य होते हुए भी इनको सफाई करने की जरूरत क्यों पड़ी। इस संबंध में जानकारी लिया गया तब पता चला कि इस महाविद्यालय को विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं का केंद्र बनाया गया है जिसमें इस संस्था को परीक्षा कराने के लिए रुपए दिया जाता है और विभिन्न मदों में इसका खर्च किया जाना होता है जिसमे सफाई एवम अन्य कार्य भी शामिल है इसके बाद भी प्रभारी प्राचार्य स्वयं झाड़ू पोछा कर सफाई कर रहे हैं। पिछले रविवार को पीएससी की परीक्षा के लिए एक दिन पहले तैयारी की यह तस्वीर है।
वे विभिन्न कक्षाओं की कार्यालीन समय में झाड़ू पोछा का काम करते दिखते हैं। बदहाली से जूझ रहा यह अर्धशासकीय कॉलेज जल्दी ही बंद हो जायेगा, यदि सरकार ने ध्यान नहीं दिया। प्रभारी प्राचार्य का यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण ,तकनीकी विश्वविद्यालय के प्रावधान के विपरीत है, यह पद के गरिमा के विपरीत है। वे अपरिहार्य मानवीय कारणों से विवश भी बताए जाते हैं।
0 नियमों के विपरीत हो रहा काम
इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी कोरबा की स्थापना भाजपा सरकार के शासन काल में 2008 में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में की गई थी ताकि इस आदिवासी अंचल के गरीब छात्र छात्राओं को बेहतर तकनीकी शिक्षा दिया सके ।जिसके प्रथम प्राचार्य डाक्टर बलबीर सिंह चावला थे, वे बेहतर प्रशानिक प्राचार्य के रूप में जाने जाते थे , पूर्व छात्र की माने तो यदि डॉक्टर चावला अभी इस कालेज के प्राचार्य होते तो इस महाविद्यालय की इतनी बुरी स्थिति कभी भी न होती ।उनके कार्यकाल में कॉलेज बेहतर प्रगति किया एवम लगभग 20 छात्र छात्राओं का छत्तीसगढ़ प्रशानिक सेवा में एवम अन्य जगहों पर चयन हुआ है जो कोरबा के लिए गौरव की बात है किंतु उसके बाद डॉक्टर मोहन लाल अग्रवाल के आने के बाद से ही कॉलेज की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती गई। स्थापना कल के बाद से कभी भी इस महाविद्यालय को नियमित प्राचार्य नहीं मिला , जिसके कारण आज यह कालेज अपनी पहचान बचाने के लिए तरस रहा है विगत 10 सालों तक या महाविद्यालय बहुत ही अच्छे प्रगति पर रहा एवम इस कॉलेज के विद्यार्थी देश के विभिन्न शासकीय राष्ट्रीय , निजी संस्था में सेवाए दे रहे है किंतु जैसे-जैसे समय बीतता गया और अनुभवी जागरूक,ऊर्जावान प्राचार्य,प्रभारी प्राचार्य का अभाव होता गया , प्रवेश में लगातार गिरावट आती गई महाविद्यालय का कैंपस न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि भारत के बेहतरीन कैंपस में एक माना जाता है ,जहां सभी सर्व सुविधायुक्त उपकरण,संसाधन मौजूद है कमी है तो यहां की प्रशासनिक व्यवस्था की क्योंकि यहां की जो नियमित प्राचार्य डॉक्टर एमएल अग्रवाल है। छात्र सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वह 1 साल में मुश्किल से कम से कम 12 या 15 बार ही कॉलेज आते हैं इसेमें कालेज का संचालन कैसे होगा,यह सोचने का विषय है कि बिना प्राचार्य के कॉलेज कैसे चलेगा? सूत्रों की माने तो प्राचार्य की इस महाविद्यालय में कोई रुचि नहीं है क्योंकि उनका वेतन छत्तीसगढ़ शासन से आता है वह शासकीय अधिकारी है ,इसी कारण आज यह संस्था बदहाल स्थिति में है । इस महाविद्यालय का संचालन प्रभारी प्राचार्य प्रोफेसर गेंदलाल सोनकर जिनकी शैक्षणिक योग्यता केवल बैचलर आफ इंजीनियरिंग है , जो विगत 10 सालों से प्रभारी प्राचार्य बने हुए हैं। एक ही फैकल्टी को लंबे समय तक प्रभार दिया जाना भी नियमों के विपरीत है ।