0 मेहर वाटिका में कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज करा रहे भागवत का रसपान
कोरबा। नगर के मेहर वाटिका में ठण्डु राम परिवार (कादमा वाले) के द्वारा आयोजित हो रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान संगीतमय कथा की गंगा प्रवाहित हो रही है। कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज के श्रीमुख से कथा श्रवण का पुण्य लाभ प्राप्त करने बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन उमड़ रहे हैं। संगीतमय भजनों और प्रसंगों पर भक्त और आयोजक परिवार के सदस्य गण झूमते-नाचते हुए भागवत की भक्ति में लीन हो रहे हैं।
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कथा के छठवें दिन मंगलवार को कंस वध, गोपी गीत और रुक्मणि विवाह का प्रसंग सुनाया गया। आचार्य ने भगवान श्री कृष्ण की लीला के प्रसंगों को बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया जिसे सुनकर श्रृदालुगण राधा-कृष्ण की भक्ति रस में सराबोर रहे। पूज्य व्यास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की ओर से की गई रासलीला- “जीव एवं परमात्मा के मिलन का रास्ता दिखाती है” गोपी- याने जीवात्मा, कृष्ण अर्थात ईश्वर परमात्मा ने रास रचाया। काम को पराजित करने की लीला साक्षात जीव एवं परमात्मा का मिलन है। हम परमात्मा को चाहते हैं, परन्तु अपने चारों ओर अनेक प्रकार के आडम्बर को फैलाए रखते हैं। यदि ईश्वर को जानना अथवा पाना है, तो सबसे पहले अपने आप को जानना पड़ेगा और अपने ऊपर पड़े हुए मोह के परदे को हटाना पड़ेगा।
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कथाव्यास ने कहा कि कृष्ण रूपी ईश्वर और गोपी रूपी जीव के ऊपर पड़े अज्ञान व मोह के परदे को चीर हरण रूपी लीला से हटाते हैं। गोपी यानि जीव. कृष्ण यानि परमात्मा, वस्त्र यानि अविद्या। कृष्ण ने कोई लाल, हरे एवं पीले वस्त्रों को नहीं चुराया बल्कि जल में नग्न होकर स्नान करने से वरूण देवता का अपमान होता है, इसीलिए वस्त्र को चुराया अर्थात चीर-हरण हुआ। उस समय भगवान श्री कृष्ण की अवस्था 5 वर्ष की थी अर्थात 5 वर्ष के बालक में कोई काम वासना नहीं होती। भगवान ने कहा कि इसी बात को हमें समझना है, यदि तुम नहीं समझ सकोगे और ना देख सकोगे, मैं तुम सब के सर्वत्र व्याप्त हूँ। आवश्यकता है अपने भीतर के चक्षुओं को खोलकर देखने की। रास-लीला वास्तव में जीव और परमात्मा के मिलन की एक आध्यात्मिक यात्रा है जिस पर चलकर असीम शांति एवं आनंद का अनुभव प्राप्त होता है। कृष्ण ने कंस रूपी अभिमान को मारा, अभिमान रूपी कंस की दो पत्नी आस्ती अर्थात प्राप्ति माने होगा।
0 रूकमणि साक्षात लक्ष्मी, कृष्ण साक्षात नारायण
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आचार्य ने कहा कि भगवान ने रूकमणि का हरण करके उसके भाई रूकमी को ब्रम्ह होने का प्रमाण दिया। राजा भीस्मक ने भगवत दर्शन करके अपनी कन्या रूकमणि का विवाह श्री कृष्ण से किया, अर्थात लक्ष्मी नारायण का पुनः मिलन हुआ।
0 आज सुदामा प्रसंग
कथा के अगले क्रम में कल 11 सितम्बर, बुधवार को सुदामा प्रसंग, परीक्षित मोक्ष एवं व्यास पूजन का प्रसंग वर्णित किया जाएगा। कथा में आयोजक रामचन्द्र रघुनाथ प्रसाद अग्रवाल, लक्ष्मीनारायण रामानंद अग्रवाल, कांशीराम रामावतार अग्रवाल, प्यारेलाल रामनिवास अग्रवाल सहित समस्त परिजन, नगरजन शामिल हो रहे हैं। आज मारवाड़ी युवा मंच के प्रदेश अध्यक्ष मनीष अग्रवाल, सुमित अग्रवाल, पारस अग्रवाल,अंजय अग्रवाल, राकेश गोयल,अरुण केडिया, बिट्टू ने भी पुण्य लाभ प्राप्त किया। आयोजक परिवार ने भागवत कथा का श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित करने नगरजनों से सपरिवार उपस्थिति का आग्रह किया है। 12 सितम्बर गुरुवार को पूर्णाहुति एवं प्रसाद वितरण के साथ कथा को विराम दिया जाएगा।