0 नगर निगम के अधिवक्ता को चीफ जस्टिस ने कहा- आपके पॉकेट से शासन का पैसा निकलवाऊंगा..
बिलासपुर/कोरबा। नगर पालिक निगम कोरबा की आयुक्त के द्वारा मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण कर रही ठेका कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर देने और अमानत राशि राजसात करने के मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका पर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के कथन को सुनते हुए मुख्य न्यायाधीश ने व्यवस्था और कोरबा निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगाई पर तल्ख टिप्पणी की है।
मामले में ठेकेदार की ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए न्यायाधीश द्वय के समक्ष बताया कि दो फाइनल नोटिस जारी किया गया था जिसमें एक 19 अप्रैल 2024 को और दूसरा 5 जुलाई 2024 को दिया गया और इसके बाद हवाला देकर ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। ब्लैक लिस्ट करने के संबंध में आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। ब्लैक लिस्ट करने का आदेश विधि की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना पारित किया गया है तथा याचिकाकर्ता को सुनवाई का उचित अवसर दिए बिना तथा कारण बताओ नोटिस दिए बिना ब्लैक लिस्ट किया गया है जबकि पहले दी गई नोटिस का जवाब दिया गया ।
इस तर्क को सुनते हुए मुख्य न्यायाधीश ने नगर पालिक निगम के अधिवक्ता से जवाब पूछा और तल्ख लहजे में कहा कि आप लोग ब्लैक लिस्ट बड़ी आसानी से कर देते हैं। 70% कम किया गया, 30% काम बाकी है तो क्या पार्किंग में अस्पताल बन जाएगा..? पार्किंग से अस्पताल बनाने का काम दिया और पार्किंग को अस्पताल बनाने 70% काम किया, उसका जो पैसा लगा उसका क्या होगा? क्या पार्किंग की जगह बेड लगने लगेंगे….? आपका विजन कुछ और है एक लाइन खींच दी जाती है की बाहर नहीं जाना है और फिर एक लक्ष्य से काम नहीं करते। 70% जो लागत लगी वह भी खत्म हो गया और कितने करोड रुपए खर्च हो गए..?
सवाल पर निगम के अधिवक्ता ने बताया कि मल्टीलेवल पार्किंग के लिए NIT वर्ष2017 में जारी की गई। इसके बाद लास्ट में 70 प्रतिशत काम हो गया जिसका पैसा भी मिल गया, बचे हुए 30% कार्य पर समय मांगा गया लेकिन काम नहीं कर रहे। बीच में कोविड के दौरान निर्णय लिया गया था कि मल्टी लेवल पार्किंग की जगह अस्पताल बनाया जाएगा…
इस पर बीच में टोकते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कितने प्रोजेक्ट इस तरह से कर रखे हैं, कितनी गलत बात है।
ठेकेदार के अधिवक्ता ने कहा कि यह सिर्फ कमिश्नर का ईगो है। उनके 5 जुलाई 2024 को दिए गए नोटिस से पहले 19 जून 2024 को एक पत्र लिखकर एक्सपायरी डेट के 15 दिन पहले बोला गया था कि बरसात का मौसम है और रिवाइज दर के साथ मल्टी लेवल पार्किंग का शेष कार्य करने के लिए तैयार हैं और एक माह का समय मांगा गया था।
इस तर्क पर मुख्य न्यायाधीश ने निगम के अधिवक्ता से तल्ख लहजे में मुखातिब होते हुए कहा कि आखिर शासन का 70% पैसा कहां गया, आपकी पॉकेट से मैं निकलवाऊंगा। यह तो बड़ा मजाक है कि ना अस्पताल बन पाया ना पार्किंग बन पाया और पैसा चला गया, टैक्सपेयर्स का मनी सब चला गया, यह किसकी गलती है ? यह जो आप करते हैं ना.. सुबह उठे कुछ, रात में उठे कुछ भी, क्या चल रहा है। 70% काम में कितना करोड़ रूपया लग गया, यह दुखद है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यदि किसी का इंटेंशन ही बेड हो जाए तो क्या कर सकते हैं। यह सबसे बड़ा दुखद है कि एक तो प्रॉपर फैसिलिटी नहीं दोगे तो क्या काम होगा..! यदि कोई आदमी काम करेगा भी तो उसको आधे में लटका कर लिटिगेशन में इंवॉल्व कर देंगे, यह सब देखकर बहुत दु;ख होता है।
अंत में मुख्य न्यायाधीश ने ठेकेदार की दाखिल याचिका पर काउंटर फाइल करने के लिए निर्देशित किया। ठेका कंपनी की ओर से दायर आवेदन पर न्यायाधीश द्वय बिभु दत्ता गुरु व मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने नगर निगम की ओर से उपस्थित अधिवक्ता को रिटर्न- शपथपत्र दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। तत्पश्चात याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को प्रत्युत्तर-शपथपत्र दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। इस मामले को उसके पश्चात सूचीबद्ध किया जाएगा।
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