कोरबा। छत्तीसगढ़ का कोरबा जिला यूं तो दूसरों को रोशन कर रहा है पर खुद ही काफी जगह अंधेरे में रहता है। पैसे की कमी नहीं लेकिन खर्च किस तरह से करना है इसकी दूरदर्शिता का अभाव जिम्मेदार लोगों में है। कमीशनखोरी की मार वाली अंधेरी नगरी में व्यवस्था बनाने वाला राजा (आयुक्त) ही चौपट हो तो फिर आम पब्लिक को प्रकाश कर पटाने के बाद भी अंधेरी राहों से ही गुजरना होगा।
समस्या कोई एकाएक उत्पन्न होने वाली या नई नवेली नहीं है बल्कि यह महीनो-वर्षों से चली आ रही है लेकिन समाधान करने का जिसके पास अधिकार है, उसे शायद सड़क पर उतरकर व्यवस्थाओं को सुधारने की फुर्सत नहीं है।
कोरबा कद्दावर नेताओं का जिला और क्षेत्र है, वर्तमान में डबल इंजन की सरकार में कोरबा को नजराने में मंत्री पद मिला है और खुद उप मुख्यमंत्री यहां के प्रभारी मंत्री हैं, मजबूत और सक्रिय नेता प्रतिपक्ष के साथ प्रभावशाली भाजपा अध्यक्ष भी हैं, चुनाव हारने के बाद भी कोरबा का ख्याल रखने का वादा करने वाली पूर्व पालक सांसद का भी लगाव कोरबा से बढ़ा है, लेकिन इस सबका लाभ कोरबा की जनता को नहीं मिल पा रहा है। अभी नवरात्रि का त्यौहार आज दशहरा के साथ बीत जाएगा लेकिन इन 10 दिनों में भी शहर क्षेत्र की अधिकांश सड़कें अंधेरे में ही लोगों को रास्ता दिखाती रहीं, आऊटर की तो बात ही छोड़ दें।
बात सिर्फ सीतामढ़ी चौक से लेकर कोसाबाड़ी के बीच चारों तरफ की करें तो इन रास्तों से गुजरने वाले अंधेरी सड़कों से किस तरह आना-जाना करते हैं, यह तकलीफ वही समझ सकते हैं जिनका वास्ता पड़ता है।अंधेरी सड़कों के कोढ़ में खाज रूपी अनगिनत गड्ढों वाली सड़कें न जाने कब किसके लिए जानलेवा साबित हो जाएं..! यह तो ईश्वर की कृपा है कि इन गड्ढों में सिर्फ वाहनों की चाल बदलती है, हादसे होते-होते रह जाते हैं लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि सब कुछ देख और जानकर भी कोई व्यवस्था नहीं बनाई जाती।
वैसे ही सर्वमङ्गला मंदिर मार्ग व पुल का हाल है, नवरात्रि बीत गई पर इन 9 दिनों में न लाइट जल पाई और न धूल डस्ट से छुटकारा मिला। राताखार अग्रसेन तिराहा से दारू भट्टी होते हुए सर्वमङ्गला रोड तक पूरी स्ट्रीट लाइट विगत चार-पांच माह से बंद है
यह कहने में कोई संदेह नहीं कि नगर निगम में या तो एलईडी का घोटाला हो रहा है या फिर मरम्मत के नाम पर बड़ा खेल खेला जा रहा है, वरना ऐसी कौन सी वजह है कि लगाई गई स्ट्रीट लाईटें कुछ ही महीने कुछ हफ्ते में ही खराब हो जाती हैं और फिर उन्हें महीनो तक बदला नहीं जाता। अधिकांश सड़क तो इनके किनारों पर संचालित होने वाले दुकानों या स्थित मकानों की रोशनी से रोशन होते हैं,उनकी बत्ती बन्द तो सड़क पर स्याह अंधेरा…। यह आलम घण्टाघर चौक के निकट कायम है।
इसी तरह मुख्य सड़क से लेकर आंतरिक मार्गों पर भी बड़े पैमाने पर अंधेरा आज भी देखा जा सकता है। टीपी नगर में भाजपा की पार्षद के पेट्रोल पंप के सामने ही स्ट्रीट लाइट विगत कई दिनों से बंद है। इंदिरा विहार युवा दुर्गा उत्सव समिति ने यहां झालर लगाकर सजावट की है लेकिन इसे भी रोशन करने के लिए बिजली नसीब नहीं हुई।
सीतामढ़ी,नहर मार्ग, मुड़ापार जाने वाला मार्ग हो या कुआं भट्ठा, बाईपास एसईसीएल, बुधवारी से घण्टाघर मार्ग, घंटाघर चौक के इस पार, यहां तक की ओपन थिएटर मैदान में लगने वाली चौपाटी और काशी नगर मोहल्ला की तरफ जाने वाले मार्ग पर भी अंधेरे का साम्राज्य कायम है।
चौपाटी के ठेलों की रोशनी से इधर का इलाका रोशन होता है और दुकान बंद होने के बाद घुप्प अंधेरा छाया रहता है। ना तो स्ट्रीट लाइट जलती है और ना ही हाई मास्ट लाइट।
बुधवारी बाजार में सड़क के किनारे लगाए गए मध्यम स्तर के दो हाईमास्ट लाइट को रोशन होते तो लोगों ने सालों से नहीं देखा है। यह मुख्य चौक है लेकिन यहां भी अंधेरा कायम है। एमपी नगर से रविशंकर शुक्ल नगर जाने वाले मार्ग पर, रविशंकर शुक्ल नगर से दादर खुर्द की ओर जाने वाले मार्ग पर भी रोशनी बीच-बीच में नहीं होती।
शहर से निकलकर दर्री की ओर जाने वाले मार्ग पर, बालको जाने वाले रास्ते पर, आईटीआई चौक से तहसील मार्ग हो या कोसाबाड़ी होते हुए रजगामार को जाने वाले रास्ते हो, इनमें अंधेरे और उजाले का फर्क लोग समझ नहीं पा रहे हैं। अंधेरी सड़कों पर बने छोटे-बड़े अनगिनत गड्ढों से बचने – बचाने की कोशिश में हर दिन लोग लड़खड़ा रहे हैं, फिर भी सड़कों का अंधेरा निगम के अधिकारियों और मैदानी अमलों से देखा नहीं जा रहा।