कोरबा। महानगरीय शैली में विकास की ओर शहर को अग्रसर कर रहे स्वायत्तशासी संस्था नगर पालिक निगम कोरबा के जिम्मेदार अधिकारियों के दिमाग और अदूरदर्शी सुझाव की दाद देनी पड़ेगी। जनता से टैक्स के रूप में मिलने वाले पैसों का कैसा उपयोग और दुरुपयोग करना है, यह इनसे बेहतर कोई नहीं जान सकता। अनुपयोगिता में उपयोगिता ढूंढने का भी इनका गजब का हुनर है।
“एक प्रचलित व्यंग्य वाक्य है कि- घोड़े को मिलती नहीं घास और गधे खा रहे च्यवनप्राश”….। अब इस विषय में घोड़ा अर्थात सड़कें और गधा अर्थात सड़कों के किनारे/फुटपाथ/नालियों का ढक्कन (स्लैब) पर्याय हैं।
शहर में हो रहे अद्भुत विकास की लिखी और लिखाई जा रही इबारत में टाईल्सीकरण पर रह-रह कर निगाह जाती है कि इसका आखिर औचित्य और उपयोगिता कहां पर कितनी है या सिर्फ सुंदरता के नाम पर सरकारी धन को खपाना है, इसलिए कुछ भी करा दो, बोलने वाला कौन है..!
![](https://satysanwad.com/wp-content/uploads/2024/10/1001974993-819x1024.jpg)
हम बात कर रहे हैं निगम क्षेत्र के सड़कों की जो बारिश की मार से अपनी औकात पर आ गए हैं। इनकी मरम्मत के नाम पर शुरू हुआ विवाद तो हाईकोर्ट तक पहुंच गया है, फजीहत के बाद अब डामरपोती शुरू हो गई है।
इधर दूसरी तरफ कुछ सड़कों के किनारे-किनारे खाली जगहों पर कई दिनों से टाइल्स बिछाए जा रहे हैं। एक तरफ अतिक्रमण तो दूसरी तरफ स्लैब वाली नाली, किन्तु इन दोनों पर टाइल्स/पेवर ब्लॉकिंग के काम हुए हैं। काम होते ही फिर वही ठेला,गुमटी रखा गया है, फुटपाथ नाम की चीज तो है नहीं।
![](https://satysanwad.com/wp-content/uploads/2024/10/IMG_20241011_171002-1024x576.jpg)
दूसरी तरफ स्लैब तक के ऊपर टाइल्स लगाया गया है जो चंद दिनों में उखड़ना भी शुरू ही गए हैं। इनका लाभ इंसानों को मिले या न मिले लेकिन घूरे(कचड़े) के दिन जरूर फिर गए। कहाँ सीलन वाली घास-फूस की जमीन पर उन्हें फेंका जाता था,अब तो टाइल्स नसीब हो गई है। इंसान तो इस पर चलते नहीं,पर गौवंशों सहित अन्य वंशों का गोबर/गंदगी जरूर बिखरे नजर आते हैं। इसी तरह से मुख्य सड़क हो या आंतरिक इलाकों के मार्ग, पेवर ब्लॉक कूड़ा-कचरा फेंकने के ही काम आ रहा है और सड़कें बदहाली के आंसू रो रही हैं।
0 फुटपाथों के नाम पैसों की बर्बादी
![](https://satysanwad.com/wp-content/uploads/2024/10/IMG_20241013_195655-1024x576.jpg)
आम जनता,पदयात्री मुख्य सड़क पर जोखिमपूर्ण न चलें इसके लिए कालांतर में फुटपाथ बनवाये गए। उस पर टाइल्स (पेवर ब्लॉक) लगवाए गए लेकिन सभी फुटपाथ अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए हैं। इन पर अतिक्रमणरोधी दस्ता की खास कृपा बरस रही है, फिर बड़ी बात वोट बैंक की राजनीति ने भी तो मनोबल बढ़ा रखा है।
![](https://satysanwad.com/wp-content/uploads/2024/10/IMG_20240706_175914-1024x576.jpg)
दो पैसे कमाने की मजबूरी बता कर जगह कब्जाने और दूसरों को भी बेजा कब्जा कराने के बाद धीरे-धीरे सिस्टम को ही अतिक्रमणकारी आंख तरेरते दिख जाते हैं और फिर इन्हें सुसज्जित फुटपाथ,सड़कों के किनारे भी निःशुल्क मिल जाते हैं। इनका नगर विकास में कोई योगदान हो, न हो किन्तु सूरत बिगाड़ने में बड़ा योगदान है। इन्हें निगम अमले का, जोन अधिकारियों का भी प्रारम्भिक संरक्षण प्राप्त होता है।
![](https://satysanwad.com/wp-content/uploads/2024/10/IMG_20240706_175838-1-1024x576.jpg)