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KORBA: मनरेगा के घोटालेबाजों को अभयदान!, न कार्रवाई न FIR…क्यों न बढ़े मनोबल

0 जनपद अध्यक्ष ने केन्द्र सरकार से की है शिकायत,लेकिन उनके पति भी फंसे हैं घोटाला में

0 वर्षों से तकनीजी सहायकों के भरोसे महत्वपूर्ण योजना

कोरबा। कोरबा जिले में मनरेगा के नाम पर जमकर धांधली, घोटाले और बंदरबांट हुई है। भले ही इसका स्वरूप डीएमएफ घोटाले से छोटा हो सकता है लेकिन सही पड़ताल के अभाव और चंद अधिकारियों के द्वारा घोटालेबाजों को संरक्षण दिए जाने के कारण संबंधितों के मनोबल बढ़े हुए हैं। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को आकांक्षी कोरबा जिला में पलीता लगाया जा रहा है। कागजों में बहुत कुछ OK बताकर, थोड़ा बहुत काम करवाकर,सप्लाई की आड़ में कमीशन से जेब भरी जा रही है। यह आश्चर्यजनक है कि तकनीकी सहायकों को कई वर्षों से मनरेगा जैसे महत्वपूर्ण शाखा में पोड़ी, पाली, कटघोरा में परियोजना अधिकारी (संविदा) बनाकर बिठाया गया है, जिला पंचायत से सारा खेल संचालित हो रहा है।
इसी कड़ी में करतला जनपद पंचायत की अध्यक्ष सुनीता देवी कंवर ने तो जिला पंचायत में बैठे मनरेगा APO संदीप डिक्सेना की शिकायत केंद्र सरकार से कर दी है, लेकिन उनके पति लखन कंवर भी मनरेगा घोटाला की जांच से गुजर रहे हैं। 2 साल से ज्यादा समय बीत चुका है किन्तु 7 साल पहले किए गए आर्थिक गड़बड़ी के मामले में अब तक उन पर न तो कार्रवाई सुनिश्चित हो सकी है और ना ही एफआईआर दर्ज की जा रही है।

0 फर्जी बिल से 43 लाख का गबन जांच में साबित,FIR का इंतजार

जनपद अध्यक्ष सुनीता देवी कंवर के रोजगार सहायक पति लखन कंवर द्वारा फर्जी रसीद और बिल के जरिए लाखों रुपए का गबन किया गया है। ग्राम पंचायत साजापानी में शासन के राशि को अवैध गबन एवं फर्जी रसीद/कैश मेमो जो जय हनुमान ट्रेडर्स काशीरानी चौक, क्रमांक निरंक 15 जून 2017 राशि 1 लाख 50 हजार रुपए, मोबाईल क्रमांक 7697132403 लेख है एवं 31 जून 2017 राशि 25000 रुपए के जरिए ग्राम पंचायत के तत्कालिन सरपंच, सचिवगण एवं रोजगार सहायक के द्वारा फर्जी रसीद से आहरण किया गया है। भ्रष्टाचार में यह भी ध्यान नहीं रहा कि जून महीने में 31 तारीख होती ही नहीं। शिकायत पर जनपद करतला सीईओ के द्वारा जांच कर ज्ञापन 9 मई 2022 के जरिए पुलिस अधीक्षक को आवश्यक कार्यवाही हेतु भेजा गया लेकिन आज तक पुलिस अधीक्षक के द्वारा संबंधित के विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं कराया जा सका है।

0 47 नग फर्जी बिल, बिना स्वीकृति राशि आहरण,राशि घटाने लीपापोती

जनपद पंचायत करतला के जांच रिपोर्ट अनुसार ग्राम पंचायत साजापानी के द्वारा 2015 से 2018-19 तक कुल 47 नग बिल एवं राशि 43 लाख 10 हजार 200 रुपए का (बिना प्रशाासनिक स्वीकृति के राशि आहरण हुआ है।) उपयोग किया जाना पाया गया है। 2015-16 से 2018-19 तक सरपंच पद पर श्रीमती मोहन बाई कंवर थी तथा 2015 से मार्च 2018 तक सचिव पुष्पेन्द्र पैकरा था उसके बाद सचिव परमानंद राजवाड़े है। रोजगार सहायक लखन कंवर है, इन सभी के द्वारा 47 नग बिल से शासन की राशि का अवैध गबन कर लिया गया है। इस मामले में जांच के दौरान यह आरोप भी लगते रहे कि दस्तावेजों/बिल में छेड़छाड़ कर राशि का अंतर घटाया गया है। छत्तीसगढ़ मानव जेजेएफ के स्टेट सेके्रटरी शिवचरण चौहान ने FIR न होने पर मामला हाईकोर्ट में दाखिल कर दिया है जबकि fir के लिए उरगा थाना में निर्देश भेजा जा चुका था।

0 13 लाख का तालाब बना ही नहीं, राख की आड़ में गबन

कोरबा जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत बरीडीह के धनवार पारा में पूरा का पूरा मनरेगा तालाब मनरेगा के नाम पर अधिकारियों से लेकर पंचायत के प्रतिनिधियों ने मिलकर 13 लाख रुपये डकार लिया है। यहां जब रेत के लगातार अवैध खनन से तालाबनुमा गड्ढा बन गया और भरे पानी मे डूबकर 3 बच्चो की मौत हुई तो इसे राख से पटवाने के लिए एसडीएम से अनुमति ली गई। इसे राख से पाटने के साथ कथित तौर पर निर्मित मनरेगा तालाब को भी पाट दिया गया। अब या तो तालाब का निर्माण हुआ ही नहीं और हुआ भी है तो उसे राखड़ पटवा कर, शिलापट्टिका उखड़वा कर अस्तित्व ही खत्म कर दिया गया और तालाब निर्माण के लगभग 13 लाख रुपए की बंदरबांट कर ली गई। इसकी जांच करने दो टीम पहुंची तो ऊपर मिट्टी पाटी जा रही थी। इसके बाद कई कलेक्टर, जिला व जनपद सीईओ बदल गए लेकिन आंच किसी पर नहीं आई। बदलते शीर्ष अधिकारी इस मामले की फाइल को दबाते चले गए। लोग जानने को आतुर हैं कि आखिर वो कौन हैं जिनके खातिर 13 लाख का तालाब भेंट चढ़ा दिया गया। इस मामले में एसपी कार्यालय से 29 अगस्त 2024 को एक पत्र जिला पंचायत CEO को जारी कर प्रतिवेदन मांगा है ताकि आपराधिक कृत्य में fir दर्ज की जा सके। डेढ़ माह बाद भी मामला जस का तस है व पुलिस के हाथ खाली हैं।

0 ये मामले भी सुर्खियों में रहे
इसी तरह पाली विकासखंड के ग्राम कुटेलामुड़ा में मनरेगा के करीब 10 लाख रुपए की लागत से निर्मित तालाब को पाट कर खेत बना दिया गया। मनरेगा के अलावा वन विभाग द्वारा जंगलों में निर्मित कराए गए तालाबों में भी बड़ा झोलझाल रहा जिसमें एक चर्चित मामला कटघोरा वनमंडल के तुमान वन परिसर अंतर्गत कुटेशरनगोई में फर्जी मजदूरों के जरिए निर्माण करा कर 12 लाख रुपए से भी अधिक की रकम वन कर्मी प्रद्युम्न सिंह द्वारा अपने ही नाते रिश्तेदारों के खाता में जमा करने का भी सामने आया। इसमें कार्यवाही के नाम पर काफी लीपा-पोती हुई।

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