मजदूरों के अधिकारों पर BJMTUC छत्तीसगढ़ की बैठक
रायपुर। संगठित एवं असंगठित मजदूरों के अधिकारों पर भारतीय जनता मजदूरी ट्रेड यूनियन काउंसिल कोर ग्रुप की बैठक भारतीय जनता मजदूरी ट्रेड यूनियन काउंसिल की अध्यक्ष ब्रजेश शर्मा ने संगठित एवं असंगठित मजदूरों के पुनर्वास के लिए एक एकीकृत और दीर्घकालिक रणनीति पर जोर दिया, ताकि उन्हें सम्मान के साथ समाज में पुनः शामिल किया जा सके।
उन्होंने कहा, इसके निवारक उपायों में जन जागरूकता अभियान, अधिकार शिक्षा, वयस्क साक्षरता कार्यक्रम, श्रमिक संगठन, आय सृजन और व्यावसायिक कौशल विकास शामिल होना चाहिए।
बैठक में कई सुझावों के साथ- साथ, अपने राज्यों के बाहर नौकरी की तलाश करने वाले अनौपचारिक श्रमिकों के पंजीकरण के लिए एक पोर्टल बनाने पर भी जोर दिया गया
भारतीय जनता मजदूरी ट्रेड यूनियन काउंसिल ( BJMTUC ), छत्तीसगढ ने प्रदेश में संगठित एवं असंगठित मजदूरो के उन्मूलन में आने वाली बाधाओं और उनके बचाव, राहत और पुनर्वास में आने वाली कमियों पर चर्चा करने के लिए कोर ग्रुप की एक बैठक का आयोजन किया । बैठक की अध्यक्षता भारतीय जनता मजदूरी ट्रेड यूनियन काउंसिल BJMTUC कार्यवाहक अध्यक्ष ब्रजेश शर्मा ने की, जिसमें छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रवक्ता डॉ.सत्येन्द्र कुमार सिंह और अन्य संगठन के पदाधिकारी, जिलाअध्यक्ष और संरक्षक मौजूद थे
ब्रजेश शर्मा ने कहा कि प्रयासों और कानूनी प्रावधानों के बावजूद, कई लोग अभी भी जबरन मजदूरी और ऋण बंधन में फंसे हुए हैं भारतीय जनता मजदूरी ट्रेड यूनियन काउंसिल ने संगठित एवं असंगठित मजदूरों की पहचान, और पुनर्वास के लिए परामर्शी जारी करने सहित महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हालांकि, विभिन्न उद्योगों में बंधुआ मजदूरी का बने रहना यह दर्शाता है कि अभी और बहुत कुछ करने की जरूरत है
BJMTUC के प्रवक्ता सत्येन्द्र कुमार सिंह ने संगठित एवं असंगठित की समस्या को खत्म करने के लिए ठोस सुझावों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ में अभी भी ऐसे मूल्य प्रणालियां हैं जो इस मुद्दे से निपटने के लिए नैतिक प्रेरणा प्रदान करती हैं। इसलिए, कानूनी प्रावधानों के कार्यान्वयन को लागू करते समय, छत्तीसगढ में संगठित एवं असंगठित मज़दूर समास्याओं को कम करने के लिए साथी मनुष्यों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करने वाली मूल्य प्रणालियों के बारे में सामाजिक जागरूकता का प्रसार किया जाना चाहिए
उन्होंने यह भी बताया कि हर साल लगभग 2 करोड़ लोग भारत के कार्यबल में शामिल हो रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि श्रम की मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन है, जिसके कारण कुछ मानव-विरोधी श्रम प्रथाएँ हो रही हैं। हाल ही में, आयोग ने एक बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों से लगातार 10 घंटे तक काम करवाने के समाचार पर स्वतः संज्ञान लिया था। डिलीवरी सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां आज भी, कभी-कभी, 15 मिनट की डिलीवरी और इसी तरह की सेवाओं को सुनिश्चित करते हुए, अपने कार्यकारियों के जीवन को जोखिम में डालती हैं, जिससे पूरी पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। घरेलू कामगार भी इसी दायरे में आते हैं।
इससे पहले, प्रवक्ता सत्येन्द्र कुमार सिंह ने कोर ग्रुप की बैठक का संक्षिप्त विवरण देते हुए कहा कि संकटग्रस्त प्रवासी परिवारों के कई बच्चे कपड़ा, पटाखा निर्माण, ईंट भट्टों और ग्रेनाइट निष्कर्षण इकाइयों जैसे क्षेत्रों में बंधुआ मजदूर बन जाते हैं। हाशिए पर रहे समुदायों, खासकर अनुसूचित जातियों और जनजातियों की महिलाओं और बच्चों को अक्सर कृषि और कपड़ा उद्योग में बंधुआ मजदूरी के लिए निशाना बनाया जाता है। एक अध्ययन से पता चला है कि पुनर्वासित बंधुआ मजदूरों में से 83% अनुसूचित जातियों या जनजातियों के हैं। बचाए गए बंधुआ मजदूरों को धमकियों का सामना करना पड़ता है और प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने में देरी होती है, जिससे न्याय पाने का उनका रास्ता जटिल हो जाता है।
बैठक का एजेंडा तीन तकनीकी विषयों पर केंद्रित था जो इस प्रकार थे: –
1.संगठित एवं असंगठित मजदूरो पर मौजूदा संवैधानिक और वैधानिक प्रावधान और उनका कार्यान्वयन।
2.कृषि, कपड़ा उद्योग और ईंट भट्ठा संस्थानों के उद्योग में बंधुआ मजदूरों की उपस्थिति।
3.ठेका कर्मचारी एवं मजदूरों की समस्याओं विषय पर चर्चा।
4.संगठित एवं असंगठित मजदूरो का लगातार निशाना बनने वाली महिलाओं और बच्चों की स्थिति….
5.उनके रहने का के स्थान को भी ध्यान देना होता है ताकी मजदूर स्वास्थ बातावरण में रहेंगे तो बीमार कम पढंगे- और गदी बीमार कम पढ़ेंगे तो मालिक और मजदूर दोनों को फायदा है।
6.मजदूर और उसको परीबार को शिक्षित करना भी जरूरी होता है। उनमें शिक्षा के महत्व के बारे में जागरुक करना चाहिए
7.नशा के प्रवृत्ति में कभी कभार लाने की ओर विषेश ध्यान दिया जाना चाहिए
8.मजदूरों को और उनके परिवारों को मनोरंजन की भी योजना बनायी जानी चाहिए।
9.वाकी उनका मतिरक सवस्थ रहे जिससे उमको सिकाने की गति व उत्सुकता कार्य के प्रति बनी रहे, छत्तीलगढ़ में कम्पनी मालीकों की तानाशाही और नौकर शाही के चलते मजदूर परेशान है।
10.सिर्फ न्यूनतम मजदूरी का किसी भुगतान भी पूरी नहीं दि जाती उसमें कोई भत्ता नहीं दिया जाता है और ना ही अतिरिक्त कार्य जमय का मूल्यांकन सही तरीके से किया जाता है।
11.मजदूरों की शोषण की प्रक्रीया जारी हैं।
12.मजदूरी समय पर भुगतान नहीं दी जाती है। हेकेदारी पद्यत्ती के तहत पूरी मजदूरी नहीं दी जाती है।
13.इसके चलते नौजवान पीढ़ी का दूसरे राज्यों में पलायन।
14.मनरूंगा के मजदूरी आनलाईन होने के कारण मजदूरी 2-3 माह बाद मिलते है। जिससे मजदूर परेशान रहते हैं। साथ ही साथ मजदूरी बहुत कम होने से मजदूर नहीं मिलने
15.मजदूरों को मेडीकल की परेशानी
16.उनके सेफ्टी का भी ध्यान नहीं दिया जाता।
17.भर मजदूरों का जीवन बीमा या दुर्घटना बीमा नहीं कराया जाता नियोक्ता द्वारा ताळी उसके जीवन के साथ ही साथ परीबार भी आर्थीक सुरक्षा में रहे।
चर्चा के बाद विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए बैठक में विभिन्न जिलों से पदाधिकारी सम्मिलित हुए। दिन में विशेष रूप से दुर्ग जिला रायपुर, बिलासपुर,राजनांदगांव कवर्धा, रायगढ़, कोरबा एवं जगदलपुर के पदाधिकारी सम्मिलित थे सभी पदाधिकारी ने अपने-अपनी बातों को स्पष्ट रूप से मजदूर हितों के लिए रखा जिसमें प्रदेश अध्यक्ष जानकी मारकंडे महिला प्रकोष्ठ संगीता चौहान प्रदेश सचिव महिला प्रकोष्ठ एवं अन्य पदाधिकारी मनोज सुख, तेल, वेद कुमार साहू, हकीम खान, रिजवान कुरैशी, योगेंद्र बघेल, गुरनाम सिंह, चंद्रशेखर, राजेश सिंघानिया,जितेंद्र कुमार साहू, ओमप्रकाश साहू, जोसेफ ,शरद कुमार एवं परमीत तिवारी , असीम कुमार दास एवं अन्य कार्यकर्ता शामिल हुए।