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KORBA:करोड़ों का स्कूल भवन,फिर भी जर्जर में लग रही कक्षाएं

0 पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल की पहल से CSR मद से बना है भवन

0 शिक्षा विभाग के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे

कोरबा। पुराने कमरे और जर्जर स्कूल में आज भी माध्यमिक शाला संचालित हो रही है जबकि उक्त परिसर में करोड़ों की लागत से नया भवन उद्घाटित हो चुका है।
शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला कोरबा (मिडिल स्कूल) मिशन रोड में संचालित है जिसमें माध्यमिक शाला भी शामिल है। यहां प्रदेश के पूर्व मंत्री व कोरबा के पूर्व विधायक जयसिंह अग्रवाल ने अध्ययन किया, और उन्होंने विशेष रुचि लेकर एसईसीएल कोरबा के CSR मद से 7 करोड़ से अधिक लागत से विशाल भवन का निर्माण कराया है। नया भवन के बाद भी कक्षाओं को बिल्डिंग में शिफ्ट नहीं कराया जा रहा है और यह सब शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जानकारी में है।

जानकारी के अनुसार मिडिल स्कूल कोरबा के पुराने कमरे की छत टूटने की कगार पर है, ऐसा देखने से लग रहा है। पुराने स्कूल में लाइट और पंखे भी नहीं लगे हैं। बरामदे की छत तो अब-तब टूट जाएगी ऐसा देखने से लगता है, क्योंकि यहां की छत का प्लास्टर भी उखड़ रहा है जिसके कारण रॉड निकला हुआ पूरा दिखाई दे रहा है। सीलन और बदबू भी रहती है।

स्कूल का टूटा-फूटा टायलेट है जहां बच्चे और टीचर जाने को मजबूर हैं। माध्यमिक शाला स्कूल कोरबा का नया बिल्डिंग पुराने भवन को तोड़कर उसी जमीन पर बनकर तैयार हो गया है फिर भी प्राचार्या द्वारा माध्यमिक शाला को नए बिल्डिंग में शिफ्ट नहीं कराया जाना कई सवालों का कारण बन रहा है।

यह भी आश्चर्यजनक है कि विभागीय अधिकारी जब शाला विजिट करते हैं तो क्या उन्हें यह सब नजर नहीं आता, औऱ देखते हैं तो शिफ्ट क्यों नहीं कराते या फिर शाला विजिट करते ही नहीं…? इसलिए मनमाना काम हो रहा है।

0 पीएम श्री स्कूल का समय पर संचालन नहीं हो रहा
शिक्षकों के बीच से यह बात सामने आई है कि कोरबा टाऊन में संचालित पीएमश्री स्कूल जहां कि पहले प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शाला नीचे व ऊपर संचालित होने के कारण दो शिफ्ट में शाला का संचालन हो रहा था, वहां का पूर्व माध्यमिक शाला मिडिल स्कूल, मिशन रोड वाले स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया है किंतु नया भवन नहीं दिया गया है। दूसरी तरफ जब टाउन स्कूल में प्राथमिक शाला ही संचालित हो रही है, तब भी संचालन का समय एक ही शिफ्ट वाला रखा गया है जबकि यह नियमित समय प्रातः 10 से शाम 4 बजे तक लगना चाहिए। इस तरफ भी शिक्षा अधिकारियों की नजरअंदाजी बनी हुई है।

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