0 सत्ता परिवर्तन के बाद भी कायम है संरक्षण…
कोरबा। आकांक्षी जिला कोरबा में कार्यालय समग्र शिक्षा केंद्रीय सूचना का अधिकार के कानून का मजाक उड़ाने में अव्वल है। प्रथम अपीलीय अधिकारी डीईओ के आदेश के बाद भी डीएमएफ एवं सीएसआर के कार्यों से संबंधित जानकारी दबा दी गई है। उपरोक्त योजनाओं के कार्यों में भ्रष्टाचार की आशंका है।
दरअसल, कार्यालय समग्र शिक्षा में आवेदक ने दिनांक 31.07.2024 को पत्र क्रमांक 5167 से 5172 तक कुल 6 पृथक-पृथक आवेदन सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रस्तुत कर वित्तीय वर्ष 2023 -24 में जिला खनिज संस्थान न्यास एवं सीएसआर के अंतर्गत कराए गए कार्यों के पूर्णता प्रमाण ,चालू वित्तीय वर्ष 2024 -25 में जिला खनिज संस्थान न्यास एवं सीएसआर के अंतर्गत कराए गए कार्यों के प्रशासकीय स्वीकृति आदेश,एवं वित्तीय वर्ष 2023 -24 एवं चालू वित्तीय वर्ष 2024 -25 में जिला कार्यालय में संधारित कैश बुक की सत्यप्रतिलिपि उपलब्ध कराए जाने का अनुरोध किया गया था। लेकिन जन सूचना अधिकारी ने निर्धारित दिवस दिवस की मियाद में न तो पत्र व्यवहार किया न जानकारी प्रदान की। इसके बाद 10 -09 -2024 को प्रथम अपीलीय अधिकारी सह कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी के यहाँ प्रथम अपील प्रस्तुत किया गया जिसकी दिनांक 24 .10 .2024 को विधिवत सुनवाई में प्रस्तुत प्रथम अपील के प्रकरण को वैद्य पाया गया। लिहाजा कार्यालयीन पत्र क्रमांक 5576 दिनांक 11 /11/2024 को अपने कार्यालय में दर्ज अपील प्रकरण क्रमांक 115 -120 से संबंधित जानकारी जिला मिशन समन्वयक (डीएमसी) को नियमानुसार 7 दिवस के भीतर प्रदाय करने का आदेश दिया था लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि 15 दिवस बीतने के बाद भी जानकारी आज पर्यंत प्रदाय नहीं की गई।
जानकारी छिपाने से प्रबल आशंका है कि उपरोक्त प्रकरणों में करोड़ों रुपए के स्वीकृत कार्यों में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती गई है जिसके साक्ष्य का वांछित प्रकरणों में समावेश है। कहा जा सकता है कि वास्तविकता उजागर हो जाने के डर से वांछित जानकारी छुपाई जा रही है।
हालांकि जनसूचना अधिकारी डीएमसी मनोज कुमार पांडेय के द्वारा जानकारी शीघ्र प्रदाय करने की बात कही गई है लेकिन यह जानकारी कब प्रदान करेंगे इसके संदर्भ में उन्होंने कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है।
0 पूर्व डीएमसी करोड़ों की फाईल ले उड़े,आज तक दर्ज नहीं एफआईआर
पूर्व डीएमसी द्वारा डीएमएफ एवं सीएसआर से संबंधित फाईल उपलब्ध नहीं कराए गई है, जानकारी प्रदाय करना संभव नहीं है लेख किया गया था। जबकि कायदे से ऐसे प्रकरणों में सम्बंधितों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराए जाने का प्रावधान है लेकिन भ्रष्ट अफसरों को बचाने प्रकरण में एफआईआर तक दर्ज नहीं कराई जा सकी है जबकि कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग में संविधान के अनुच्छेद 275 (1 ) मद के 3 करोड़ के कार्यों के भुगतान से सबंधित नस्ती कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने पर पूर्व सहायक आयुक्त के विरुद्ध शासन ने जांच कमेटी बैठा दी है। डीएमएफ से स्वीकृत कार्यों, टेंडर में हुए अनियमितता के मामले में पूर्व सहायक आयुक्त हिरासत में हैं जबकि समग्र शिक्षा में किसी को आंच तक नहीं आई।
0 करोड़ों की गड़बड़ी
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो 2022-23 ,2023 -24 में डीएमएफ एवं सीएसआर से सेजेस,स्कूलों के लिए 60 करोड़ रुपए से फर्नीचर, बर्तन, भवन ,कम्प्यूटर लैब समेत विभिन्न कार्य कराए गए हैं। सामाग्रियों की खरीदी की गई है लेकिन जिन तत्कालीन कलेक्टर के कार्यकाल में यह सारी अनियमितता हुई है, सत्ता परिवर्तन के बाद उसे उसी विभाग का संचालक समग्र शिक्षा का महत्त्वपूर्ण पद पदिया गया है। इसी साल पीएम श्री स्कूलों के लिए प्राप्त आबंटन में बाजार से कई गुना अधिक दर पर वाद्य यंत्रों की खरीदी करने के मामले में भी कार्यालय समग्र शिक्षा की कार्यशैली चर्चित रही जिसमें जिम्मेदारों पर आज पर्यंत कार्रवाई नहीं की जा सकी है।