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हाल-ए-कोरबा: साहब ! गड्ढे तो भरवा दीजिये,सड़क जब मन करे तब बनवा दीजिएगा

0 मुख्य मार्ग से लेकर आंतरिक सड़कों पर व्यवस्था को कोसते लोग

कोरबा। छत्तीसगढ़ के सीधे, सरल और सहज मंत्री लखनलाल देवांगन और सांसद श्रीमती ज्योत्स्ना महंत के गृह जिला में कुछ महीने पहले ही खराब सड़कों को लेकर संबंधित ठेकेदारों को जेल भेजने की चेतावनी कलेक्ट्रेट परिसर में दी गई लेकिन सड़क सुधार के नाम पर इस चेतावनी का कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है। जब भी इन रास्तों से लोग गुजरते हैं, व्यवस्था को मन ही मन कोसते जरूर हैं। लोग तो यह कहने लगे हैं कि साहब, कम से कम गड्ढे तो भरवा दीजिए और जब आपका मन करेगा तब नई सड़क बनवा दीजिएगा। वैसे, जिले के कद्दावर और सक्रियता दिखाने वाले पक्ष-विपक्ष के नेताओं की भी जनहित के मामलों में निष्क्रियता काबिल- ए- तारीफ है जबकि उनका भी वास्ता इन सबसे रोज पड़ता है।

ऐसा नहीं है कि आम जनता को गड्ढे वाली सड़कों से राहत नहीं मिली हो, दिवाली के बाद कुछ क्षेत्र की खराब होती,उखड़ती सड़कों पर पेंचवर्क/डामरीकरण का कार्य कराया गया लेकिन इसके अलावा जिन क्षेत्रों में सड़के गड्ढों में तब्दील होकर उखड़ चुकी हैं और उनके नीचे की परत नजर आने लगी है, यहां तक की कुछ सड़कों का तो WBM भी दिखने लगा है,तब भी इन गड्ढों से हपटाते हुए- बचते हुए लोग आना-जाना कर रहे हैं। सुबह के वक्त इन रास्तों पर चहल-पहल कुछ ज्यादा ही रहती है जिससे कि स्कूली बच्चों का भी आवागमन होता है।

बच्चे पैदल,सायकल,दोपहिया वाहन से आना-जाना करते हैं। 24 घंटे आवागमन वाले इन रास्तों से होकर अधिकारियों का काफिला भी गुजरता रहता है। महत्वपूर्ण विभागों के दफ्तर और इनके सरकारी आवास भी इन्हीं रास्तों पर हैं लेकिन गड्ढों को भरवाने की जहमत उठाना तो दूर इनके किनारों से होकर निकलने के चक्कर में रॉन्ग साइड निकलते हैं।

0 शहर के अंदर भी और बाहर भी

यह नजारा पावर हाउस रोड व्यस्त मार्ग से लेकर पुराना शहर तक देखा जा सकता है। इसके अलावा दर्री रोड, मुड़ापार, गुरु घासीदास चौक, नमन विहार से शारदा विहार जाने वाला मार्ग, पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बगल से लेकर तहसील कार्यालय तक जाने वाला पूरा मार्ग गड्ढों से भरपूर है। शहर के भीतर निर्मित ओव्हर ब्रिज की सड़क के जोड़ भी उखड़ने लगे हैं और सर्वमङ्गला पुल की सड़क भी झटके दे रही है। क्या कोई हादसा होने के बाद ही इन सड़कों के गड्ढों को भरने का काम होगा..?

इस रास्ते में यातायात थाना, पंडित जवाहरलाल नेहरू सभागार, आजाक थाना, PWD, PHE, ESIC अस्पताल, उद्यानिकी विभाग, दिव्य ज्योति छात्रावास, ब्लॉक शिक्षा विभाग, श्रम विभाग, आदिवासी विकास परियोजना प्रशासक, किशोर न्याय बोर्ड, नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय, परिवहन विभाग, क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण विभाग, मत्स्य विभाग, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना तहसील व एसडीएम कार्यालय के दफ्तर स्थापित हैं। इन दफ्तरों में कामकाज के सिलसिले में आने-जाने के अलावा इन रास्तों पर स्थित स्कूलों और छात्रावासों के बच्चों का भी आना-जाना लगा रहता है।

इसी तरह पावर हाउस रोड से लेकर पुराना कोरबा मार्ग 24 घंटे व्यस्त रहता है यह मार्ग संकरा होने के साथ-साथ सड़क के दोनों तरफ दुकानों के सामने सड़क तक बनाए गए दुकानदारों के निजी निर्माण और उसके बाद खड़े किए जाने वाले वाहनों, ग्राहकों के वाहनों के कारण सड़क और भी संकरी हो जाती है।

सड़कों पर खड़े वाहनों और सजे दुकानों के बाद जो जगह बचती है उस पर भी गड्ढे ही गड्ढे भरे पड़े हैं। उषा काम्प्लेक्स रेलवे क्रॉसिंग पर अटकते-झटकते आगे बढ़ते हैं तो फाटक के ठीक बाद दोनों तरफ गड्ढों को ईंट और मलबे से भरकर पाटने की कवायद होती ही रहती है।

आगे की सड़क भी उखड़ चुकी है। इसी तरह आंतरिक मार्ग भी वाहनों की आवाजाही के कारण तथा अपने-अपने निजी निर्माण के कारण सड़कों को खोदने की वजह से गड्ढों से युक्त हो चले हैं। यह सभी रास्ते चलने लायक नहीं रह गए लेकिन उदासीनता और देखकर भी अनदेखी करने की हद है। ये तो शहर के भीतर की बात है, शहर से लगे वार्डों और बाहरी इलाकों में भी सड़क व पहुंच मार्गों के हालात बेहतर नहीं हैं।

0 जितना डामर बिछाया,उसमें सब गड्ढे भर जाते
हाल ही में नगर निगम द्वारा पेंच वर्क के लिए करीब 4-4 लाख के टेंडर निकाले गए थे जिससे टीपी नगर, VIP बुधवारी मार्ग,साकेत मार्ग और निहारिका क्षेत्र की उखड़ती सड़कों पर डामरीकरण कराया गया। इनमें टीपी नगर को छोड़कर कहीं भी सड़क इतनी खराब न थी कि पूरा डामर बिछाना पड़े। यदि इन्हीं डामर से अन्य गड्ढों को ही भर दिया जाता तो बड़ी राहत मिल जाती किन्तु ऐसा हो न सका।

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