0 तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा के कार्यकाल में DMF, CSR का मामला
कोरबा। जिले के तत्कालीन कलेक्टर संजीव कुमार झा वर्तमान संचालक समग्र शिक्षा के कार्यकाल में वित्तीय वर्ष 2022 -23 एवं 2023 -24 में डीएमएफ एवं सीएसआर स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी /हिंदी माध्यम के विद्यालयों एवं शासकीय स्कूलों के लिए तकरीबन 100 करोड़ से अधिक के सामाग्री की खरीदी एवं निर्माण कार्यों से जुड़ी फाइल /नस्ती गायब होने के मामले में वर्तमान डीएमसी द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं कराए जाने की वजह उच्च अधिकारियों का दबाव है। यहाँ तक कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत कानूनन अपीलीय अधिकारी डीईओ के आदेश के बाद भी डीएमसी जानकारी प्रदान नहीं कर पा रहे हैं।
कार्यालय समग्र शिक्षा द्वारा गत वित्तीय वर्ष में सम्बंधित कार्यालय से डीएमएफ सीएसआर के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 एवं 2023 -24 में स्वीकृत कार्यों की जानकारी के जवाब में पूर्व डीएमसी द्वारा डीएमएफ एवं सीएसआर से संबंधित फाईल उपलब्ध नहीं कराए गई है, लिख कर जानकारी प्रदाय करना संभव नहीं है कहा जाता है। कायदे से ऐसे प्रकरणों में सम्बंधितों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराए जाने का प्रावधान है लेकिन भ्रष्ट अफसरों को बचाने प्रकरण में एफआईआर तक दर्ज नहीं कराई जा सकी है। कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग में संविधान के अनुच्छेद 275 (1 ) मद के 3 करोड़ के कार्यों की भुगतान से सबंधित नस्ती कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने पर पूर्व सहायक आयुक्त के विरुद्ध शासन ने जांच कमेटी बैठा दी है। डीएमएफ से स्वीकृत कार्यों , टेंडर में हुए अनियमितता के मामले में पूर्व सहायक आयुक्त हिरासत में हैं जबकि समग्र शिक्षा में किसी को आंच तक नहीं आई। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो 2022-23 ,2023 -24 इन दोनों वित्तीय वर्षों में डीएमएफ एवं सीएसआर से सेजेस,स्कूलों के लिए तकरीबन 100 करोड़ रुपए से अधिक के फर्नीचर,बर्तन,भवन,कम्प्यूटर लैब समेत विभिन्न कार्य कराए गए हैं,सामाग्रियों की खरीदी की गई है । लेकिन जिन तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा के कार्यकाल में यह सारी अनियमितता हुई है, वे भी अनजान बने बैठे हैं। इसी साल पीएम श्री स्कूलों के लिए प्राप्त आबंटन में बाजार से 3 गुना अधिक दर पर वाद्य यंत्रों की खरीदी करने के मामले में भी कार्यालय समग्र शिक्षा की कार्यशैली चर्चित रही जिसमें राशि तो वापस करा ली गई लेकिन वित्तीय अनियमितता करने वाले जिम्मेदारों पर आज पर्यंत कानूनी व पुलिस कार्रवाई नहीं की जा सकी है। चोरी पकड़ी गई तो माल लौटाकर साहूकार बन बैठे ऐसे अधिकारी अपनी हरकत से बाज तो नहीं आने वाले, इसलिए कानूनी कार्रवाई होना ही चाहिए। वैसे भी जब डीएमएफ घोटाला पर जांच चल रही है तो इसकी जांच शिक्षा विभाग तक भी पहुंचने की जरूरत है जहां बिना उपयोग सामानों की बेतहाशा खरीदी कराई गई और कमीशन वसूले गए।