KORBA:वन मार्गों पर जुर्माना के साथ नजराना, डिप्टी रेंजर घुमा रहा चाबी…!
कोरबा। कोरबा जिले के वन मार्ग चंद अवसरवादी वन कर्मियों के लिए खजाने की चाबी से कम नहीं। जंगल में जिस तरह से कारनामे हो रहे हैं और उन पर सेटिंग से पर्दा डाला जा रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। जंगल से वृक्षों को काटकर लकड़ियां पार हो जाती हैं लेकिन भनक तक नहीं लगती और जब वह सिलपट बन जाता है तब जाकर कुछेक मामले पकड़ में आते हैं।
इस तरह के मामलों के अलावा वन मार्गो से आवागमन करना भी उन कई लोगों के लिए सिरदर्द बन चुका है जो इनकी वसूली का शिकार हो रहे हैं। इन दिनों कटघोरा वन मंडल का पाली वन परिक्षेत्र सुर्खियां बटोर रहा है और जंगल रास्ते से आने-जाने वाले खासकर रेत परिवहन और लकड़हारा लोग खासे परेशान हैं। आवागमन का मार्ग प्रमुख रूप से वन क्षेत्र होने के कारण इनके पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है। वन क्षेत्र से गुजरने पर यदि यह पकड़ में आ गए और संबंधित वनकर्मी की बात नहीं मानी तो इन पर धरपकड़ होना तय है। धर पकड़ हुई तो विभागीय तौर पर लगने वाला जुर्माना के साथ-साथ नजराना देना निहायत ही मजबूरी बन चुका है।
पाली वन क्षेत्र में कार्यरत डिप्टी रेंजर यशमन कुमार आदिल के बारे में महकमा से लेकर इलाके में खासी चर्चा है कि वह इस मामले में माहिर है और यहां तक कि एसडीओ की भी चाबी वही घुमा रहा है। इन दोनों के द्वारा वन क्षेत्र में की जाने वाली कार्यवाही के एवज में वसूली का खूब हल्ला है। विभागीय मद में जुर्माना की राशि जमा कराई जाती है और इसके ऊपर नजराना के तौर पर मोटी रकम ली जाती है क्योंकि कथित तौर पर साहब को देना पड़ता है।
लेन-देन शिष्टाचार का एक कुटिल स्वरूप है और इसे आदत में शामिल कर चुके चंद वन कर्मी यह कहने से नहीं झिझकते कि बिना लिए-दिए तो काम बनेगा ही नहीं क्योंकि ऊपर में कुछ ना कुछ पहुंचाना पड़ता है। अब यह व्यवस्था बीटगार्ड, डिप्टी रेंजर,रेंजर, एसडीओ से लेकर रेंजर तक बनी हुई है या फिर DFO अनजान हैं? SDO स्तर पर ही सारा खेल डिप्टी रेंजर मिलकर कर रहे हैं। रेंजर इससे कितना ज्ञात या अज्ञात है, यह तो रेंजर ही जानें लेकिन जो खेल वन विभाग में चल रहा है उससे भाजपा के सुशासन मूल मंत्र और आगामी होने वाले पंचायत/जनपद के चुनाव में कहीं ना कहीं पीड़ित लोगों के बीच इनकी वसूली का खेल एक मुद्दा बन सकता है।
0 शिकायत पर कार्रवाई नजरअंदाज
पिछले 8-9 वर्षों से आदिल एक ही रेंज में तो एसडीओ सी के टिकरिहा भी एक ही वन अनुविभाग में जमे हुए हैं। आदिल के विरुद्ध क्षेत्र के भाजपा मंडल अध्यक्ष रोशन सिंह ठाकुर, नगर पंचायत अध्यक्ष उमेश चन्द्रा और जनपद उपाध्यक्ष नवीन कुमार सिंह ने गंभीर शिकायत की है। इस शिकायत को गंभीरता से न लेते हुए इसमें राजनीति कराई जा रही है जबकि अभी चुनाव का मौसम है। चुनाव के समय अधिकारियों को तो कोई रिस्क लेना ही नहीं चाहिए किन्तु यह बड़ा ही आश्चर्यजनक है कि वर्षों से पदस्थ डिप्टी रेंजर के ऊपर लगे गंभीर आरोपों को भी डीएफओ नजरअंदाज कर रहे हैं। उनकी यह नजरअंदाजी विभाग में चल रही सांठगांठ और भ्रष्ट कार्यशैली को संरक्षण देने की प्रवृत्ति को बल देने वाली कही जा सकती है। चर्चा है कि इस शिकायत से DFO साहब का ईगो हर्ट हो रहा है क्योंकि आदिल उनका व एसडीओ का खास सिपहसालार है, तो क्या अब वे डिप्टी रेंजर के लिए अपने शीर्ष अफसरों को गुमराह करेंगे..?