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KORBA:शिक्षा कार्यालय में गजब खेल रहे DEO

कोरबा जिले का शिक्षा विभाग करप्शन का बड़ा केंद्र बन गया है। यहां DEO की कुर्सी प्रभार में संभाल रहे मूलतः प्राचार्य टी पी उपाध्याय की अगुवाई में ट्रांसफर–पोस्टिंग का लंबा खेल चल रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी, कोरबा द्वारा प्राथमिक शाला के सहायक शिक्षकों के प्रधान पाठक (प्राथमिक शाला ) में पदोन्नति में भारी गड़बड़ी की गई है। जिले के पांचों ब्लॉक में कई जगह पूर्व से प्रधान पाठक के पदस्थ रहते हुए भी अन्य प्रधान पाठक को पदोन्नति पश्चात भेज दिया गया है, जबकि पूर्व से पदस्थ बहुत से प्रधान पाठकों का 6 माह से एक वर्ष की सर्विस बची हुई है। यह खेल लगभग सभी ब्लॉक में है।

0 रिटायरमेंट की ‘प्रत्याशा’ में पदस्थापना का ‘खेल’

दरअसल कोरबा जिले में DEO द्वारा करप्शन का जो खेल खेला जा रहा है, वह यहां की परंपरा सी बन गई है। यहां ‘प्रत्याशा’ में पदस्थापना का खेल पूर्व DEO भारद्वाज के समय भी जमकर चला। भारद्वाज ने तो सौ से भी अधिक लोगों का ‘प्रत्याशा’ में तबादला कर दिया था। यही तरीका जिला शिक्षा अधिकारी टी पी उपाध्याय द्वारा अपनाया जा रहा है। इनके द्वारा ऐसे शिक्षकों की सूची सभी BEO से मंगा ली गई है, जो छै महीने यासाल भर के अंदर रिटायर हो रहे हैं। नियम के मुताबिक पदोन्नति उतने ही शिक्षकों की होनी चाहिए, जितने ऊपर के पद खाली हैं, मगर यह जानकारी सामने आ रही है कि कोरबा DEO ने निर्धारित संख्या से ज्यादा सहायक शिक्षकों को प्रधान पाठक पद (प्राथमिक शाला) पर प्रमोशन कर दिया है। अब ऐसे ही प्रधान पाठकों को उन स्कूलों में पोस्टिंग किया जा रहा है, जहां पदस्थ प्रधान पाठक कुछ महीने या साल भर के अंदर रिटायर हो रहे हैं। Deo द्वारा संबंधित प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक के रिटायरमेंट की प्रत्याशा में हाल ही में पदोन्नत किए गए प्रधान पाठकों को पदस्थ किया जा रहा है। सोचने वाली बात यह है कि एक ही शाला में दो–दो प्रधान पाठकों को कैसे पदस्थ किया जा सकता है ?

0 ‘गड़बड़ी’ छिपाने जारी किया जा रहा है सिंगल ऑर्डर

मजे की बात ये है कि ऐसे सभी पदोन्नत प्रधान पाठकों को सिंगल ऑर्डर जारी किया गया है, ताकि किसी को पता ही न चले। बताया जा रहा है कि ऐसा जिले के सभी BEO की मिली भगत से ही हुआ है। विभागीय जांच में इसका खुलासा हो सकेगा।प्रत्याशा में पदस्थापना ‘गलत’

शिक्षा विभाग में पूर्व में कई जिलों में DEO के पद पर पदस्थ रहे एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह प्रत्याशा में किसी की पदस्थापना करना पूरी तरह नियम विरुद्ध है। भविष्य में कोई रिटायर हो रहा है और तब उसका काम संभालने के लिए महीनों पहले किसी और को संबंधित स्कूल में पदस्थ करने का नियम ही नहीं है। कोरबा सहित कुछ जिलों में ऐसा पहले भी हो चुका है और शिकायत जांच के बाद कार्यवाही भी की गई है।बीच सत्र में किसी को रिटायर करना गलत

छत्तीसगढ़ शासन के शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट आदेश जारी किया है कि किसी भी शिक्षक को शिक्षा सत्र के बीच रिटायर नहीं करना है। स्कूलों में पढ़ाई और परीक्षाएं प्रभावित न हों इसलिए यह फैसला किया गया है। इस प्रक्रिया को ‘पुनर्नियुक्ति आदेश’ के तहत पूरा किया जाएगा, इसमें संबंधित आदेश को ही स्थाई आदेश मानने को कहा गया है।

हालांकि आदेश में इस बात का भी उल्लेख है कि अगर कोई अपने रिटायरमेंट की तिथि के आगे कार्य नहीं करना चाहता है तो उसे संबंधित तारीख को रिटायर कर दिया जाए।सीधे रिटायरमेंट का दिया जा रहा है आदेश

बता दें कि प्राथमिक शालाएं खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) के अधीन संचालित होती हैं। कोरबा के BEO ने 31 जनवरी 2025 को रिटायर हो रहे दो प्रधान पाठकों को 28 नवंबर 2024 को पत्र प्रेषित करते हुए सीधे रिटायरमेंट का फरमान जारी कर दिया और उल्लेख किया कि वे 31 जनवरी को वे अपना प्रभार विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक को सौंप दें। इस पत्र में इस बात का उल्लेख भी नहीं किया गया है कि शासन ने शिक्षकों को शिक्षा सत्र के आखिर में रिटायर करने का आदेश दिया है। ऐसे में अगर वे चाहें तो उन्हें सत्र के आखिर तक पुनर्नियुक्ति दे दी जाएगी।

सच तो यह है कि दोनों प्रधान पाठकों की सेवानिवृत्ति की प्रत्याशा में दो सहायक शिक्षकों को महीनों पहले प्रधान पाठक पद पर पदोन्नत करते हुए उनके सकूलों में पदस्थ कर दिया गया है। यही वजह है कि इन प्रधान पाठकों को BEO द्वारा 31 जनवरी को ही सीधे रिटायर करने का आदेश जारी कर दिया गया।

बताया जा रहा है कि कोरबा के DEO ने इस तरह प्रत्याशा में दो दर्जन से अधिक सहायक शिक्षकों को पदोन्नत कर स्कूलों में नियम विरुद्ध पोस्टिंग कर दिया गया है। शिक्षकों से इस ‘उपकार’ के बदले मोटी रकम भी वसूली की गई है

0 लिपिकों की पदोन्नति में भी गड़बड़ी

कोरबा जिले के शिक्षा विभाग में प्रधान पाठकों की तरह सहायक ग्रेड दो एवं तीन के लिपिकों की पोस्टिंग में भी किया गया है। पिछले वर्ष 2023/24 में हाइस्कूल से हायर सेकंडरी स्कूल उन्नयन शालाओं में सहायक ग्रेड 3 का एक पद ही स्वीकृत है, लेकिन कुछ स्कूलों में तो 3–3 लोगों को पदोन्नति पश्चात पदांकन कर दिया गया है। कई जगह स्वीकृत सहायक ग्रेड 3 के पद की जगह सहायक ग्रेड 2 का पदांकन कर दिया है। खास बात यह है कि इस प्रक्रिया में भी सिंगल ऑर्डर जारी किया गया है। ग्राम तरदा एवं बिरदा के स्कूलों में इसी तरह लिपिकों की नियम विरुद्ध पोस्टिंग की गई है। जांच में ऐसे कई स्कूल निकलेंगे। इस आदेश में देखिए कि DEO द्वारा स्कूल प्रबंधन पर लिपिक के 3 पद का प्रावधान होने का उल्लेख करते हुए संबंधित लिपिक को पदस्थ करने का दबाव बनाया जा रहा है।अब जरा उन्नयन वाले स्कूल में लिपिक के सेटअप पर नजर डालिए, जिसमें केवल एक पद का ही उल्लेख है:अटैचमेंट का भी चला खेल

इसी तरह जिले के हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में व्याख्याताओं के अटैचमेंट में भी लंबा खेल हुआ है जबकि अटैचमेंट पर वैसे भी रोक लगा हुआ है। वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अनेक गड़बड़ियां की है, जिसकी जांच होने पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर होगा।शिकायत पत्र कर दिया गया गायब

कोरबा जिले में DEO द्वारा किए गए नियम विरुद्ध कार्यों की विधिवत तरीके से लिखित शिकायत जोहार छत्तीसगढ पार्टी के कोरबा जिला महामंत्री विजय (बादल) दुबे ने पिछले साल अक्टूबर के महीने में कलेक्टर से 09 बिंदुओं पर की थी। मगर जब कोई जांच नहीं हुई तब विजय दुबे ने कलेक्ट्रेट में जाकर पता लगाया तो मालूम हुआ कि उसका शिकायत पत्र ही गायब हो गया है। विजय ने कलेक्टर से मुलाकात कर यह बात बताई तो उन्होंने कहा कि उसके शिकायत पत्र को तो फॉरवर्ड कर दिया गया था।

अचरज की बात तो ये है कि ऐसा सिर्फ कोरबा कलेक्ट्रेट में ही नहीं हुआ है। ठीक इसी तरह का कारनामा बिलासपुर के संयुक्त संचालक (JD) कार्यालय में भी हुआ है। विजय दुबे ने बताया कि उसने JD को शिकायत पत्र रजिस्टर्ड डाक से भेजा था, मगर वहां भी बताया गया कि उसका कोई पत्र आया ही नहीं है। ऐसे में विजय को यह आशंका है कि उसके शिकायत पत्र को गायब कर दिया गया है। विजय दुबे ने रायपुर मुख्यालय स्थित संचालनालय में भी शिकायत की है मगर कही से भी जांच का कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। ऐसे में समझा जा सकता है कि शिक्षा विभाग में करप्शन से जुड़ा नेटवर्क कितना लंबा है।

बहरहाल देखना यह है कि लंबी शिकायतों और मीडिया में खबरें आने के बाद भी शिक्षा विभाग के मुख्यालय में बैठे अधिकारियों की नींद खुलती है या नहीं।

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