0 नगर पंचायत पाली के भी चुनाव में कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन
कोरबा-पाली। नगरीय निकाय चुनाव- 2025 कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत बुरा अनुभव रहा। प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा की सुनामी में कांग्रेस डूब गई। इस सुनामी से नगर पंचायत पाली भी अछूता नहीं रहा जबकि यहां कांग्रेस के दिग्गज, कद्दावर और पाली की राजनीति में चाणक्य की संज्ञा प्राप्त नेता माने जाने वाले सांसद प्रतिनिधि और कांग्रेस प्रदेश महासचिव जैसे पद को सुशोभित करने वाले प्रशांत मिश्रा भी अपनी पार्टी की नैया पार नहीं लगा पाए, बल्कि उनके नेतृत्व में पिछले कई चुनाव में पार्टी को बुरा दौर देखना पड़ा है। आलम य़ह है कि उनके खुद के वार्ड क्रमांक 9 में भी कांग्रेस प्रत्याशी की हार हुई है।
नगर पंचायत पाली में कांग्रेस और भाजपा में कई दिग्गज नेता है जो प्रदेश स्तर पर अपनी पैठ रखते हैं, इनमें कांग्रेस के नेता प्रशांत मिश्रा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वे विगत 3 दशक से स्थानीय, जिले और प्रदेश की राजनीति में विशेष कर कांग्रेस पार्टी में बड़ी दखल रखते हैं।
अब बात चुनाव की करें तो 2024 के विधानसभा चुनाव में प्रशांत मिश्रा ने तत्कालीन कांग्रेस विधायक मोहित राम केरकेट्टा तक की टिकट कटवा दी थी। 10 साल पहले नगर पंचायत चुनाव में भी अपने मनपसंद प्रत्याशी को टिकट दिलाने के लिए तात्कालिक विधायक रामदयाल उईके के विरुद्ध खड़े हो गए और अपने प्रत्याशी को पार्टी का बी-फॉर्म दिला दिया था। इतनी पहुंच होने के बाद भी नगर पंचायत पाली में अपनी पार्टी के लिए कोई बड़ा काम नहीं कर पाए हैं, बल्कि बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को छोड़कर बड़ी संख्या में भाजपा में शामिल हुए कई नेताओं ने खुलेआम पार्टी छोड़ने का कारण ही प्रशांत मिश्रा को बता दिया था। हालांकि सांसद का चुनाव कांग्रेस को जिता कर ग्रामीण कार्यकर्ताओं ने लाज रख ली, ये अलग बात है कि उसका श्रेय श्री मिश्रा ले गए जिसमें वह माहिर भी हैं और यह कुशल राजनीतिज्ञ की पहचान होती है।
अब निकाय चुनाव के बाद क्षेत्र के कांग्रेसजनों के साथ-साथ आमजनों में चर्चा है कि नगर पंचायत में बड़े नेता होने के बाद भी कांग्रेस के प्रत्याशी जीत नहीं पाए और जो प्रत्याशी पार्षद पद जीतकर आए हैं उनमें भी कई अपने बूते और खर्च करके जीते हैं। प्रशांत मिश्रा वर्तमान में एकमात्र बड़े नेता हैं और पार्टी में गुटबाजी भी नहीं है, कांग्रेस के पक्ष में माहौल होने के बावजूद कांग्रेस की एकतरफ़ा हार के बाद क्या श्री मिश्रा से जवाबदेही पूछी जाएगी या पार्टी फिर इसे भी भूलकर श्री मिश्रा को अपने पलकों पर बिठाएगी, य़ह देखने वाली बात होगी। यह तो होता आया है कि यदि चुनाव में पार्टी की हार हुई हो तो उसकी समीक्षा भी होती है और जिम्मेदारों पर संगठन कार्रवाई की गाज भी गिराता है।