कोरबा। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में एक बड़े प्रत्याशी के साथ गुगली हो गई। अप्रत्याशित घटनाक्रम में और मतगणना के दौरान आंकड़ों के खेल में उलझ कर चुनाव जीत जाने के अति आत्मविश्वास में जीत बेआबरू होकर गणराज सिंह कंवर की चौखट से लौट आई।
23 फरवरी को तीसरे चरण का मतदान संपन्न होने के बाद मतगणना प्रारंभ होने के उपरांत धीरे-धीरे रूझान सामने आने लगे थे। इस दौरान एक ऐसा भी क्षण आया, जब जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 9 से प्रत्याशी गणराज सिंह कंवर को उनके लोगों ने बताया कि वह चुनाव जीत रहे हैं और लगभग 500 से अधिक वोटों के अंतर से उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस समर्थित कौशल नेटी को हरा दिया है। 23 फरवरी की रात होते-होते और 24 फरवरी की सुबह तक गणराज सिंह को इस बात का आभास हो गया कि वे चुनाव जीत चुके हैं और इसके बाद उन्हें बधाईयां मिलने लगी। बधाई देने के लोग उनके पास उमड़ने लगे, समर्थकों ने मिठाईयां बांट दी, जमकर आतिशबाजी की और गणराज सिंह ने भाजपा के नेताओं से मिलकर उनका आशीर्वाद और शुभकामना संदेश भी प्राप्त किया। भगवान के दर मंदिर पर पहुंचकर माथा भी टेक लिया और फेसबुक, सोशल मीडिया में स्टेटस भी पोस्ट कर दिया।
अपनी जीत के प्रति पूर्ण रूप से आश्वस्त गणराज सिंह को झटका तब लगा जब वैधानिक रूप से अधिकृत परिणाम की घोषणा हुई और वह 3271 मतों के बड़े अंतर से चुनाव हार गए। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद गणराज सिंह ने अपना माथा पीट लिया तो उनके समर्थक भी बगलें झांकने लगे। अब कुछ सूझ नहीं रहा कि आखिर इस हार को कैसे स्वीकार करें लेकिन चुनाव तो चुनाव है,हार-जीत लगी रहती है। मतदाताओं ने भाजपा के साथ-साथ भाजपा से बागी हुए गणराज सिंह और अन्य प्रत्याशियों को भी नकार कर पूरे 12 जिला पंचायत क्षेत्र में से कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों में से एकमात्र कौशल नेटी को जीत का स्वाद चखाया है। वैसे श्री कंवर ने अपनी हार स्वीकार कर मतदाताओं का आभार सहयोग के प्रति जाहिर कर दिया है।
0 कांग्रेस का सुपड़ा साफ,विधायक-पूर्व् विधायक के खास भी हारे
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा एक तरह से साफ हो गया है। पूर्व विधायक पुरुषोत्तम कंवर के खास समर्थकों में शामिल रहने वाले भी क्षेत्र में अपनी पकड़ कायम नहीं रख पाए और चुनाव हार गए। उनके करीबी लोगों में शामिल लता कंवर उनके पति मुकेश कंवर, प्रभा तंवर (महिला कांग्रेस ग्रामीण जिला अध्यक्ष), विशाल शुक्ला, गजेंद्र कौशिक जैसे लोग अपना चुनाव हारे हैं तो वहीं रामपुर के विधायक फूलसिंह राठिया की बहू कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी कोमल राठिया और कांग्रेस समर्थित रिश्तेदार प्रत्याशी कुसुमलता राठिया भी चुनाव हार गए। स्वयं पूर्व विधायक श्यामलाल कंवर की धर्मपत्नी सरोज देवी भी चुनाव हार गई हैं। प्रमोद राठौर पहले ही नामांकन वापस ले लिए तो पूर्व् विधायक मोहित केरकेट्टा,उनके पुत्र शंकर केरकेट्टा ने भी मैदान छोड़ दिया। कांग्रेस के घोषित 5 समर्थित प्रत्याशियों में एकमात्र नेटी ने जीत हासिल की। जीत के मामले में कुछ भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्यों को छोड़कर अधिकांश निर्दलीयों ने मैदान मार लिया है।