0 नहीं है जन सूचना अधिकारी की पदस्थापना, की जा रही है अधिनियम की गलत व्याख्या
कोरबा। जिला खनिज संस्थान न्यास में बड़ा आर्थिक घोटाला हो रहा है जिसे छिपाने की मंशा अधिकारी रखते हैं। न्यास में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जनसूचना अधिकारी पदस्थ नहीं हैं और RTI के आवेदनों को प्रक्रिया को जानबूझकर जटिल बनाते हुए व अधिनियम की धारा 6 (1) (ख) की गलत व्याख्या कर बिना सूनवाई किए ही जन सूचना अधिकारी एवं अपीलीय अधिकारी द्वारा निरस्त किया जा रहा है। इसका मुख्य कारण संस्थान में बड़े स्तर पर हो रही आर्थिक अनियमितता है।
कोरबा जिला खनिज न्यास संस्थान में जन सूचना प्रधिकारी की नियुक्ति करने का आग्रह करते हुई आवेदन राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त व सामान्य प्रशासन विभाग के मुख्य सचिव को प्रेषित किया गया है।
कोरबा जिला खनिज न्यास संस्थान जो कि छ.ग. लोक न्यास अधिनियम 1951 तहत् गठित एक लोक न्यास है। वर्तमान में इस न्यास के अध्यक्ष सह प्रबंधक जिले के पदेन कलेक्टर होते हैं तथा सदस्य जिले के निर्वाचित सांसद, विधायक व अन्य विभागों के विभागाध्यक्ष होते हैं। जिला खनिज न्यास संस्थान में मुख्यतः जिले में संचालित मुख्य खनिज कोयला एवं गौण खनिज से आने वाली रॉयल्टी का लगभग 20 प्रतिशत राशि न्यास को प्राप्त होता है। वित्तीय वर्ष 23-24 तक उक्त न्यास में लगभग 4000 करोड़ रूपये का अंश जिला खनिज न्यास संस्थान को प्राप्त हुआ। वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगभग 500 करोड़ की राशि न्यास को प्राप्त होने की उम्मीद है। इसके बावजूद वर्तमान में जिला खनिज न्यास संस्थान पृथक लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गयी है जो कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों का पूर्णतः उल्लंघन है। सूचना का अधिकार अधिनियम- 2005 धारा 2 (ज) के भाग (क), (ख), (ग) एवं (घ) के अनुसार कोरबा जिला खनिज न्यास संस्थान में पृथक लोक प्रधिकारी की नियुक्ति होनी चाहिए।
0 यह है स्पष्ट निर्देश
केन्द्रीय-कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय भारत सरकार के पत्र दिनांक 13/07/2007 के अनुसार भी कोरबा जिला न्यास संस्थान एक सांविधिक संस्था है और इसमें पृथक लोक प्राधिकारी की नियुक्ति किया जाना अनिवार्य है। सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग (सूचना का अधिकर प्रकोष्ठ) छ.ग. शासन के द्वारा दिनांक 24/07/2013 को जारी पत्र के अनुसार के अनुसार जिला खनिज न्यास संस्थान कोरबा एक संविधिक निकाय है, और उस संस्थान मे पृथक जन सूचना अधिकारी की नियुक्ति होनी चाहिए। छत्तीसगढ़ राजपत्र दिनांक 15/01/2016 को कोरबा जिला खनिज न्यास सस्थान के गठन की अधिसूचना जारी हुई जिसके अनुसार कोरबा जिला खनिज न्यास संस्थान एक राज्यपोषित संवाधिक संस्था है और उक्त संस्था में लोक प्रधिकारी की नियुक्ति न किया जाना पूर्णतः नियम विरूद्ध है।
वर्तमान में जिला खनिज न्यास संस्थान जन सूचना अधिकारी एवं अपीलीय सूचना अधिकारी की पदस्थापना ही नहीं की गयी है। इसके पूर्व तक यहां पृथक जन सूचना अधिकारी पदस्थ किये गए थे।
0 14 आवेदन बिना जानकारी दिए नस्तीबद्ध
आवेदक ने बताया कि उसके द्वारा 04/10/24 लोक सूचना अधिकारी (डी. एम. एफ.) शाखा कलेक्टर कार्यालय कोरबा को पत्र में उल्लेखित विषय वस्तु के अनुसार आवश्यक जानकारी हेतू आवेदन किया गया। लोक सूचना अधिकारी द्वारा आवेदन को प्रभारी अधिकारी जिला खनिज न्यास संस्थान को हस्तांतरित कर दिया गया। लोक सूचना अधिकारी कलेक्टर कार्यालय पत्र दिनांक 22/11/2024 प्राप्त हुआ जिसे कि डाक द्वारा (RC0527914291N) दिनांक 02/12/24 को प्रेषित किया गया था और आवेदक को दिनांक 04/12/24 को प्राप्त हुआ जो मूल आवेदन के लगभग 60 दिन बाद प्रेषित किया जाता है।
उपरोक्त पत्र के साथ में परियोजना समन्वयक जिला खनिज न्यास संस्थान का पत्र संलग्न प्राप्त हुआ जिसमें बताया गया कि अधिनियम की धारा 6 (1) ख के तहत् उसकेआवेदन को निरस्त किया गया है।
जब जिला खनिज न्यास संस्थान में जन सूचना अधिकारी की नियुक्ति की ही नहीं गयी है तब परियोजना समन्वयक कैसे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6 (1) ख के तहत् आवेदन को निरस्त कर कैसे पुनः आवेदन के लिए कह सकते हैं? जबकि उक्त धारा के अनुसार लोक सूचना अधिकारी को आवेदन में उल्लेखित विषय वस्तु के समझ नही आने पर आवेदक को बुलाकर मौखिक रूप से विषय को दर्ज किये जाने को प्रावधान है।
इसके बाद प्रथम अपीलिक अधिकारी के समक्ष 14/11/24 को आवेदन प्रस्तुत किया। उनके पत्र दिनांक 13/12/24 के माध्यम से अवगत कराया गया कि जन सूचना अधिकारी के द्वारा पत्र 21/11/24 के माध्यम से जानकारी उपलब्ध करा दी गयी है, अतः आवेदन को निरस्त किया जाता है।
यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है, कि जिस पत्र दिनांक 21/12/24 का उल्लेख कर प्रथम अपील आवेदन निरस्त किया गया था, वह मिला ही 04/12/24 को और उसके पूर्व ही दिनांक 14/11/24 को प्रथम अपील कर चुके थे।
जन सूचना अधिकारी कलेक्टर कार्यालय का पत्र मूल आवेदन के लगभग 60 दिन के बाद डाक से दिनांक 04/12/24 को प्राप्त होता है जो कि अपील के 1 महीने बाद मिलता है। इससे स्पष्ट है कि जन सूचना अधिकारी द्वारा जानबूझकर बैक डेट पर प्रेषित किया गया।
प्रथम अपीलीय अधिकारी के द्वारा बिना पक्ष सुने पक्षपात ढंग से आवेदन को निरस्त किया। यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है, कि जन सूचना अधिकारी के द्वारा 21/11/24 को जानकारी प्रेषित करने की बात अपने पत्र में कहीं है और प्रथम अपीलीय अधिकारी को भी 21/11/24 को ही जानकारी उपलब्ध करायी है।
आरोप है कि लोक सूचना अधिकारी एवं अपीलीय अधिकारी कलेक्टर कार्यालय के द्वारा आवेदक लक्ष्मी चौहान के 14 आवेदन को जिला खनिज न्यास मद से संबंधित अधिनियम के प्रावधानों की गलत व्याख्या कर पक्षपात पूर्ण रूप से जानबूझ कर नस्तिबद किया गया।