0 विभागीय और पुलिस जांच जारी, फिर कैसे किया गया उपकृत..?
0 हत्याकाण्ड में शामिल GM पर क्यों मेहरबान अधिकारी?
कोरबा। घातक हथियारों के साथ 5 से अधिक की संख्या में एकत्र होकर, गैरकानूनी भीड़ जमा करते हुए आपराधिक षडयंत्र पूर्वक हत्या करने के मामले में समान धाराओं के तहत अपराधी के रूप में शामिल किए गए एसईसीएल के अधिकारी को सजा की बजाय प्रमोशन दिए जाने पर सवाल उठे हैं। सरायपाली परियोजना में पदस्थ सब एरिया मैनेजर एस.एस. चौहान (सुरेन्द्र सिंह चौहान) का यह मामला है। उनके सर्विस रिकार्ड में यह एक बड़ा दाग लगा है, दाग जब धुलेगा,तब की बात है लेकिन अभी तो वे दागी हैं और पुलिस द्वारा दर्ज गैरजमानती धाराओं में गिरफ्तारी से भी शेष हैं, फिर भी सब कुछ जानते हुए उन्हें प्रमोशन कर जीएम पदस्थापना ने विभागीय अधिकारियों की नीयत और जांच की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
घटना दिनांक 28 मार्च 2025 की रात secl की कोरबा क्षेत्र अंतर्गत संचालित पाली की सरायपाली खुली खदान के लिए काली रात साबित हुई। यहां ट्रांसपोर्टर अनूप उर्फ रोहित जायसवाल (दिव्यांग) की कुछ लोगों ने एस.ई. सी. एल. सराईपाली खुली खदान के बेरियर के आगे धारदार हथियार से हमला कर हत्या कर दी। खदान में काम करने को लेकर आपसी रंजिश और वर्चस्व को लेकर घटित घटना में एसईसीएल प्रबन्धन बराबर टारगेट में रहा।
हत्या के इस मामले में पुलिस ने विभिन्न जमानती और गैर जमानती धाराओं में कुल 16 आरोपियों को नामजद किया है। नामजद आरोपियों में 16 वें नंबर पर तत्कालीन सब एरिया मैनेजर सरायपाली सुरेंद्र सिंह चौहान भी शामिल हैं। प्रकरण में अभी तक इनको गिरफ्तार नहीं किया जा सका है,ये हत्या के बाद से अंडरग्राउंड हैं।
हत्या में इनकी कितनी भूमिका है या नहीं, यह तो जांच और न्यायालय के विचारण पर निर्भर करेगा, लेकिन वर्तमान में तो ये गैर जमानती धाराओं के आरोपी हैं और बिना गिरफ्तारी के उन्हें जमानत मिलना भी संभव नहीं दिखता।
28 मार्च को अपराधी बनाए जाने के बाद 15 अप्रैल 2025 को secl मुख्यालय बिलासपुर से 33 अधिकारियों का प्रमोशन और पदस्थापना की सूची जारी होती है।इसमें 16 वें नंबर पर सुरेंद्र सिंह चौहान का नाम भी शामिल हैं जिन्हें GM (ऑपरेशन) और SO (पी & पी ) बनाकर कुसमुण्डा परियोजना में पदस्थ किया गया है। अब मृतक रोहित जायसवाल के परिजनों का सवाल जायज है कि जब 28 मार्च के घटनाक्रम को लेकर सुरेंद्र सिंह चौहान की भूमिका पर सवाल पूरे कोयला जगत और राजनीतिक से लेकर पुलिस महकमें में बनी रही और वह भी इस हिंसक घटनाक्रम का एक हिस्सा दर्ज हुए हैं तो उन्हें पदोन्नति कैसे मिल गई? क्या उनके लिए कर्मचारी संबंधी नियम लागू नहीं होता या फिर अधिकारी होने के कारण वे गंभीर धाराओं से मुक्त किया जाकर पदोन्नत किए गए हैं। एक सामान्य व्यक्ति के विरुद्ध यदि इन गंभीर धाराओं के तहत अपराध दर्ज होता है तो उसकी भूमिका बाद में तय होती है किंतु गिरफ्तारी पहले कर ली जाती है। यदि वह कोई अन्य शासकीय सेवक होता है तो नियोक्ता विभाग उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर देता है किंतु सुरेंद्र सिंह चौहान के मामले में ऐसा होता नजर नहीं आया है।
क्या एसईसीएल प्रशासन, पुलिस व और स्थानीय प्रशासन सभी मिलकर आरोपी उप क्षेत्रीय प्रबंधक को बचा रहे हैं। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम को लेकर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वह गंभीर विवेचना कर रही है। दोनों पक्ष की ओर से अनेक लोगों पर अपराध पंजीकृत कराए गए हैं और ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि दुर्भावना पूर्वक भी कई लोगों के नाम बिना किसी अपराध के ही दर्ज करा दिए गए हों। किसी भी निर्दोष को सजा ना मिले, यह पुलिस का भरपूर प्रयास है। किस घटनाक्रम में किसकी कितनी भूमिका है, इस पर बारीकी से विवेचना हो रही है।
0 इन धाराओं में दर्ज हैं आरोपी के रूप में
मृतक रोहित जायसवाल के भाई अनिल जायसवाल की रिपोर्ट पर पाली थाना में कुल 16 लोगों पर अपराध पंजीबद्ध किया गया है। इसमें 16 वें नंबर पर सुरेंद्र सिंह चौहान का नाम भी शामिल है। धारा 191(2), 191(3), 190, 103(1), 25, 27 आर्म्स एक्ट व 61(2)(ए) बीएनएस के तहत वे भी अपराधी हैं। धारा 61(2)(ए) बीएनएस, जो कि आपराधिक षड्यंत्र पर लगती है और बीएनएस की धारा 190 में स्पष्ट कहा गया है कि यदि किसी गैरकानूनी समूह का कोई सदस्य समूह के सामान्य उद्देश्य को पूरा करने के लिए कोई अपराध करता है, तो समूह के प्रत्येक सदस्य को उस अपराध के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा। यह कानून उन सभी सदस्यों पर लागू होता है जो अपराध के दौरान मौजूद थे, चाहे इसमें उनकी व्यक्तिगत भूमिका कुछ भी हो। धारा 190 के तहत जमानत की पात्रता गैरकानूनी समूह द्वारा किए गए विशिष्ट अपराध पर निर्भर करती है, किन्तु हत्या जैसे गैर जमानती अपराध में सम्भव नहीं दिखती।

