0 वर्षों से जमे मनरेगा संविदा कर्मियों के सख्त फेरबदल की जरूरत,गड़बड़ियों की होती रहती हैं शिकायतें
कोरबा। कोरबा जिले के मनरेगा विभाग में भ्रष्टाचार और संलग्नीकरण का खेल जमकर चल रहा है। इसे वर्षों से एक ही स्थान पर जमे मनरेगा के संविदा कर्मचारी जो अपने आपको अधिकारी से कम नहीं समझते, के द्वारा अंजाम दिया जा रहा है। इसके संबंध में छत्तीसगढ़ मनरेगा आयुक्त से शिकायत कर निष्पक्ष जांच की मांग करने की तैयारी की जा रही है।
कोरबा जिला के मनरेगा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और सलंग्नीकरण की की तरफ कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ को गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता बताई जा रही है। ग्रामीणों को उनके गांव में रोजगार देने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गरीब मजदूरों को कितना लाभ दे रही है, यह तो रोजगार और इसके भरोसे जीवन यापन करने वाले गरीब ही जानें लेकिन योजना की वजह से PO, APO, कई रोजगार सहायक,तकनीकी सहायक कुछ ज्यादा की फल-फूल रहे हैं। शीर्ष अधिकारियों की अनदेखी के कारण आलम यह है कि कई रोजगार सहायक स्वयं ही ठेकेदार और सप्लायर की फर्जी भूमिका में हैं तो कुछ स्वयं व उनके आश्रित मनरेगा जॉब कार्डधारी बनकर बिना मजदूरी बराबर मेहनताना हासिल कर रहे हैं। इनकी शिकायत पर जांच का अता-पता नहीं है और न कोई रिपोर्ट सार्वजनिक की जाती है। अभी तो मनरेगा के एक प्रमुख के द्वारा मिलीभगत से पूर्व् जिला सीईओ कंवर के कार्यकाल के समय दबाव देकर जो शेड निर्माण का कार्य व मूल्यांकन कटघोरा जनपद अंतर्गत लगभग सभी ग्रामों में कराया गया है,उसका राशि भी फर्म को प्राप्त हो गया है लेकिन आज भी शेड जिस कार्य के लिए बनवाए गए हैं, वो उस लायक हैं ही नहीं। इसकी जांच कराना चाहिए।
इसके अलावा मनरेगा में यह देखा गया है कि कुछ ही कर्मचारियों का स्थानांतरण और सलंग्नीकरण किया जाता है, जो कि एक खानापूर्ति प्रतीत होती है। इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
कोरबा जिले में कई जनपद पंचायतों में पदस्थ मनरेगा कर्मचारी वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं और निःसन्देह भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
मनरेगा के पुष्ट सूत्रों ने बताया कि जनपद पंचायत पाली में लेखापाल वैभव कुलकर्णी का स्थानांतरण जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा हुआ था, जबकि आशीष लेखापाल का स्थानांतरण जनपद पंचायत पाली हुआ था। यह स्थानांतरण प्रभावशील नहीं हुआ है जिसमें पैसों के लेन-देन की सुगबुगाहट है।
जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा में तकनीकी सहायक, दिलीप मेहता, शिवरतन पोर्ते और अन्य सभी तकनीकी सहायक का स्थानांतरण आज तक नहीं हुआ है। संत राम यादव, प्रहलाद सहायक ग्रेड- 3, रविंद्र डाटा एंट्री ऑपरेटर और रोशन तिग्गा सहायक प्रोग्रामर का भी स्थानांतरण नहीं हुआ है।
जनपद पंचायत करतला में लेखापाल पूजा गवेल, मनोरंजनी लेखपाल, शैलेष सिंह सहायक ग्रेड 3, किरण स्वर्णकार और तकनीकी सहायक चंदेल का स्थानांतरण शिकायतों के बावजूद नहीं हुआ है।
जनपद पंचायत कटघोरा में डाटा एंट्री ऑपरेटर गणराज, सरिता लेखपाल और शाहिद अली का स्थानांतरण नहीं हुआ है।
जनपद पंचायत कोरबा में अनिता,तकनीकी सहायक प्रवीण, निखिल और शमीना सहायक प्रोग्रामर का भी आज तक स्थानांतरण नहीं हुआ है।
इन सभी मामलों में यह स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार और संलग्नीकरण के कारण कर्मचारियों का स्थानांतरण नहीं हो रहा है। अपुष्ट तौर पर यह भी सुनने को मिलता है कि जिला पंचायत में भारी रकम भेजी जाती है जिससे इन कर्मचारियों का स्थानांतरण प्रभावित होता है।
इस तरह के मामले में निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। वर्षों से एक स्थान पर जमे रहकर तथा पदस्थापना व प्रभार सौंपने में की गई विसंगतियों को दूर करते हुए व्यापक फेरबदल कर उसका प्रभावी क्रियान्वयन कठोरता से कराने की आवश्यकता है।