0 जोगी कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्का साबित होते सपुरन कुलदीप
कोरबा। कोरबा जिले की चार विधानसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में अब प्रत्याशियों की स्थिति और भी साफ-साफ नजर आने लगी है। हालांकि अभी नाम वापसी का भी इंतजार है जिसके बाद मुकाबला और भी साफ होगा। वैसे मुख्य रूप से चुनावी टक्कर कांग्रेस,बीजेपी, जोगी कांग्रेस में ही है। जोगी कांग्रेस तीसरे विकल्प के रूप में लोगों के बीच धमाकेदार एंट्री के साथ अपने प्रत्याशी लेकर उतरी है। इससे कोरबा जिले की कोरबा विधानसभा के बाद कटघोरा दूसरी ऐसी महत्वपूर्ण सीट हो गई है जहां मुकाबला काफी दिलचस्प होने जा रहा है।
कटघोरा विधानसभा में इस बार राजनीतिक हालात बदले हैं। मुख्य दल कांग्रेस के प्रत्याशी मौजूदा विधायक पुरुषोत्तम कंवर का जहां चौतरफा विरोध है, खासकर भूविस्थापितों की ओर से पूरी तरह नकार दिए गए हैं तो वहीं भाजपा के उम्मीदवार प्रेमचंद पटेल अपने जिला पंचायत क्षेत्र में भी कुछ खास प्रभाव नहीं दिखा सके हैं। भारतीय जनता पार्टी के कैडर वोटों के बलबूते उन्हें उतारा गया है और इसके पीछे यह भी लॉजिक रहा कि कांग्रेस के पुरुषोत्तम कंवर को टिकट मिलने पर उनके विरोध का फायदा भाजपा के उम्मीदवार को मिलेगा,किन्तु हालात इससे इतर हैं और पार्टी में भी उनका विरोध है। कांग्रेस के उम्मीदवार अपने सामाजिक और परंपरागत वोटों के जरिए भले जीत मिलने का दावा करते फिर रहे हैं लेकिन सामाजिक वोटों का ताना-बाना और पिछड़ा वर्ग के वोटों की कहानी इस बार उन्हें मात देती नजर आ रही है। टिकट वितरण की प्रणाली से नाराज कांग्रेसियों का भी उन्हें समर्थन मिलता नहीं दिख रहा, ऐसे में जोगी कांग्रेस ने ऐन वक्त पर नामांकन समाप्ति तिथि के एक दिन पहले जुझारू और संघर्षशील तथा साफ सुथरी छवि वाले और लोगों में लोकप्रिय सपुरन कुलदीप को अपना उम्मीदवार बना कर सबको चौंका दिया। पुरुषोत्तम-प्रेमचंद की राह अब क्षेत्रवासी भी आसान नहीं मान रहे। अब यह तो वक्त बताएगा कि मतदाता किसे फर्श से उठाकर अर्श पर बिठाएंगे।
0 तीसरे से पहले स्थान पर आने के आसार
पिछले चुनाव के नतीजे पर गौर करें तो 11 हजार 511वोटों से पुरुषोत्तम कंवर ने जीत दर्ज की थी। 59227 वोटों से कांग्रेस पहले पर तो 47716 वोटों दूसरे स्थान पर भाजपा के लखनलाल देवांगन और तीसरे स्थान पर जोगी कांग्रेस के उम्मीदवार गोविंद सिंह राजपूत रहे। जोगी कांग्रेस को 30 हजार 509 वोट मिले थे। अगर इन वोटों का गणित निकालें तो कांग्रेस से नाराज लोगों का साथ तीसरे विकल्प के रूप में जोगी कांग्रेस के पलड़े में जाता दिख रहा है। प्रदेश भर में कांग्रेस से नाराज लोगों ने जोगी कांग्रेस का दामन थामना सर्वाधिक पसंद किया है और इस लिहाज से नाराजगी वाले वोटों का संतुलन जोगी कांग्रेस के पलड़े में मजबूत नजर आ रहा है। भाजपा के प्रत्याशी का विरोध करने वाले लोगों का रुझान भी कहीं ना कहीं तीसरे विकल्प जोगी कांग्रेस की ओर ही रहेगा। ऐसे समीकरणों और हालातों में राजनीति के जानकारों का मानना है कि विरोध की मार झेल रहे कांग्रेस और भाजपा को नकार कर इस बार जोगी कांग्रेस का विधायक विधानसभा से चुनकर सामने आएगा।
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बताते चलें कि सपूरन कुलदीप एक ऐसा नाम है जो निर्विवाद होने के साथ-साथ साफ़-सुथरी छवि के रूप में लोगों के बीच जाना जाता है। अपने सिद्धांतों और जुझारूपन तथा कर्मठता से उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना रखी है और वह सभी तरह के वर्गों में लोकप्रिय भी हैं। खासकर एसईसीएल, जीटीपी व अन्य उद्योगों से प्रभावित भूविस्थापितों के अधिकारों की लड़ाई में उन्होंने मुखर होकर नेतृत्व किया है। एसईसीएल हो या अन्य उद्योग, उनके मैनेजमेंट से मैनेज हुए बगैर आमजन के लिए संघर्ष जारी रखा जिसके सकारात्मक नतीजे भी आये। इसका पूरा-पूरा लाभ जोगी कांग्रेस के अपने वोटों के साथ-साथ सपुरन कुलदीप के व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर मिलने वाले वोटों के समर्थन से परिणाम चौंकाने वाले होंगे।
0 वोटकटवा की भूमिका में अन्य…
कोरबा विधानसभा में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल और पूर्व संसदीय सचिव लखनलाल देवांगन के बीच सीधी टक्कर है, बाकी प्रत्याशी वोटकटवा की भूमिका में रहेंगे। रामपुर विधानसभा में फूलसिंह राठिया और भाजपा के ननकी राम कंवर के बीच मुकाबले में गणित बिगड़ने का काम जोगी कांग्रेस के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी करेंगे। तानाखार विधानसभा में कांग्रेस की दुलेश्वरी सिदार, भाजपा के रामदयाल उइके और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के तुलेश्वर मरकाम के बीच त्रिकोणीय संघर्ष है। यहां छत्रपाल सिंह कंवर आदिवासी वोटों को प्रभावित करते जरूर दिखेंगे लेकिन कुछ खास नहीं कर सकेंगे। गोंडवाना, आदिवासी समाज के वोट कांग्रेस और तुलेश्वर के लिए बंटते नजर आ रहे हैं। बता दें कि पाली तानाखार विधानसभा के गोंगपा व समर्थकों सहित इससे लगे मध्य प्रदेश राज्य के गोंडवाना समाज में श्रीमती दुलेश्वरी माताजी के नाम से श्रद्धापूर्वक पूजी जाती हैं। ऐसे में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी व आदिवासी समाज के उनके अनुयायी वोटों का रुझान दुलेश्वरी की ओर होने से इनकार नहीं है।