0 आचार संहिता खत्म होने के बाद सरपंचों और पंचायत पर बढ़ा दबाव
कोरबा-कटघोरा। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार और कटघोरा में कांग्रेस का विधायक रहने के दौरान विधायक के कुछ प्रतिनिधियों की खूब ठाठ रही। इन्हीं में शामिल एक विधायक प्रतिनिधि को गांव के सरपंच अगरबत्ती लेकर खोज रहे हैं।
दरअसल इस विधायक प्रतिनिधि ने कटघोरा विधानसभा के अनेक पंचायत में होने वाले विकास संबंधी कामकाज को करने का जिम्मा (ठेका) ले लिया और इसके एवज में सरपंचों से सांठ-गांठ करके और विधायक प्रतिनिधि होने का प्रभाव दिखाकर अग्रिम तौर से ही चेक कटवा लिया। चेक कटवा कर पंचायत से लाख-लाख रुपये करके करोड़ों रुपए की राशि वसूल कर ली गई लेकिन इसके बाद कामकाज भगवान भरोसे छोड़ दिया गया। कुछ पंचायत में तो संबंधित काम शुरू ही नहीं हुए हैं तो अनेक पंचायत में काम आधा-अधूरा लटक गया है।
इस विधायक प्रतिनिधि को अंदेशा था कि छत्तीसगढ़ में सरकार दोबारा बनेगी भले उनके विधायक जीते या ना जीते। यह भी दूसरी बात थी कि विधायक नहीं भी बने तो सरकार रहेगी तब भी वह अपना काम चला लेगा लेकिन विधायक प्रतिनिधि की किस्मत ऐसी फूटी कि ना उसके विधायक जीते और ना सूबे में कांग्रेस की सरकार दोबारा बनी। अब इन सरपंचों के सिर पर तलवार लटकने लगी है। उन्होंने तो प्रथम किस्त की 40% अग्रिम राशि निकालकर इस विधायक प्रतिनिधि को सौंप दिया लेकिन काम का आता पता नहीं है। अब ऐसे में जब तक संबंधित कार्य पूरे नहीं हो जाते तब तक शेष राशि मिलना संभव नहीं है। सरपंचों के लिए यह विधायक (पूर्व) प्रतिनिधि मुसीबत की जड़ बन गया है। अब उसकी तलाश हो रही है कि वह अपने जिम्मे लिए हुए कार्यों को आगे बढ़ाए। आचार संहिता खत्म होने के बाद अब जब सत्ता बदल गई है तो प्रशासनिक तौर पर भी कामकाज को लेकर सरपंचों और पंचायत पर दबाव बढ़ना स्वाभाविक है। ऐसे में इस विधायक प्रतिनिधि के प्रभाव में आकर अग्रिम राशि दे देने वाले सरपंचों की जान सांसत में फंस गई है।