0 ग्राम मलगांव का विवादित सर्वे,मेजरमेंट,मुआवजा बना टीम और अधिकारियों के गले की फांस
0 सुआभोडी औऱ मलगांव का प्रकरण CBI जांच में….! सारा मामला सन्देहास्पद
कोरबा। एसईसीएल की दीपका विस्तार परियोजना से प्रभावित ग्राम मलगांव के भू विस्थापितों का मुआवजा प्रकरण एक बार फिर गर्म हो गया है। भले ही इस गांव का अस्तित्व मिटा दिया गया है और खदान का काम आगे बढ़ गया है लेकिन मुआवजा घोटाला अभी भी जीवित है।
पिछले दिनों जिस तरह से जिला प्रशासन की ओर से बताया गया कि 152 मकान काल्पनिक मिले हैं,1638 मकानों के मेंजरमेंट उपरांत मुआवजा प्रकरण यहां बनाए गए जिनमें से 152 पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। इनका मुआवजा निरस्तीकरण की प्रक्रिया हो रही है, फिर अब इस बात पर संदेह लगातार बना हुआ है कि यह 152 लोग कौन-कौन हैं? क्या वे वाकई में फर्जी लोग हैं या फिर समय-समय पर SECL और उसके दलालों के खिलाफ आवाज उठाने वाले वास्तविक भूविस्थापित..! जब तक यह 152 नाम सार्वजनिक नहीं होंगे तब तक SECL और प्रशासन की भूमिका व कार्यवाही संदेह के दायरे में ही नजर आएगी। क्या प्रबन्धन को इनके नाम सामने लाने में कोई भय महसूस हो रहा है…?
0 ढाई साल की कोशिश, ईमानदारी पर सवाल
SECL व प्रशासन की संयुक्त टीम के द्वारा करीब ढाई वर्ष की तीन कोशिशों, गुणा-भाग, जोड़-घटाव के बाद मेजरमेंट और मुआवजा पत्रक तैयार हुआ था लेकिन इसमें भी गड़बड़ी के लगातार लगते आरोपों के बीच अंत में गड़बड़ी उजागर हो जाने के बाद टीम में शामिल अधिकारियों की ईमानदारी पर संदेह के बादल गहराए हैं। कौन कितना सच बोल रहा है और कौन-कौन दस्तावेजों से खेल गया, इसका उजागर होना बेहद जरूरी है वरना करोड़ों रुपए का घोटाला यूं ही कागजों में घुट कर दम तोड़ देगा और सार्वजनिक तौर पर यह कभी भी उजागर नहीं हो पाएगा कि आखिर इस पूरी साजिश के पीछे किस-किस का हाथ था। निष्पक्ष और पारदर्शिता पूर्ण जांच की जरूरत बनी हुई है।
0 CBI जांच की धीमी रफ्तार, गांव खाली कराने 2 करोड़ की चर्चा
फर्जी साबित हो चुके 5 प्रकरण में fir कराने की बात पर एक अधिकारी ने बताया कि सुआभोडी और मलगांव का मुआवजा प्रकरण सीबीआई की जांच के दायरे में आ चुका है तो अब सवाल है कि सीबीआई जांच इतना धीमा क्यों? दूसरी तरफ, क्या कोई भूविस्थापित नेता या फिर वास्तविक ग्रामीण,किसान टारगेट में है या फिर करोड़ों के फर्जी मुआवजा प्रकरण में घालमेल करने तथा किसी दूसरी मंशा को अंजाम देने के लिए ध्यान भटकाने की गरज से 152 प्रकरण को सामने लाया गया है। इन सब में एक दलाल की भूमिका काफी चर्चित है जो मौका परस्ती के साथ कभी इस अधिकारी तो कभी उस अधिकारी की गोद में बैठकर राज खोल रहा है।
वैसे,चर्चा तो भूविस्थापितों के बीच इस बात की भी है कि अंतिम दौर में पूरा गांव खाली कराने के लिए कथित तौर पर 2 करोड़ का ठेका दिया गया था। अब यह राशि किसके द्वारा किस मद में खर्च करना साबित किया जाएगा, यह अलग बात है लेकिन घटनाक्रम हुआ है तभी तो इसकी चर्चा है। 50 लाख रुपए दे दिए गए हैं और डेढ़ करोड़ रुपए देने में पसीने छूट रहे हैं। कुल मिलाकर मलगांव एक ऐसा विस्थापित गांव है जो कोरबा जिले में संचालित SECL की तमाम परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित गांवों से बिल्कुल अलग और विवादों के लिए चर्चित हो चुका है।
0 आम आदमी पार्टी ने की कार्रवाई की मांग

दीपका परियोजना क्षेत्र मलगांव में आपराधिक मामले पर सख्त से सख्त कार्यवाही की मांग आम आदमी पार्टी ने की है। ज़िलाधीश को संबोधित पत्र में कहा गया है कि एसईसीएल दीपका विस्तार परियोजना के तहत ग्राम मलगांव में अधिग्रहित की गई भूमि को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम कटघोरा द्वारा की गई जांच में सामने आया है कि मुआवजे की सूची में दर्ज 152 मकान भौतिक रूप से अस्तित्व में ही नहीं हैं। ये सभी मकान काल्पनिक पाए गए हैं। प्रशासन की तत्परता का स्वागत आम आदमी पार्टी के द्वारा किया जा रहा है। ऐसे में पार्टी मांग करती है कि सभी लाभार्थियों के नाम को सार्वजानिक किया जाए, आरोपियों पर वैधानिक रूप से सख्त कार्यवाही की जाए ताकि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति ना हो। मामला बेहद ही गंभीर है, मांग जल्द पूरी नहीं होने की स्थिति में आम आदमी पार्टी कोरबा आंदोलन करने को बाध्य होगी।