रायपुर/कोरबा। छत्तीसगढ़ के हास्य हस्ताक्षर और देश-विदेश में अपनी हास्य कविताओं व रचनाओं के माध्यम से नाम रोशन करने वाले प्रसिद्ध हास्य रस के कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे नहीं रहे।
पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे का निधन की खबर से छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी उनके काव्य प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।
पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक सुरेन्द्र दुबे का जन्म 8 अगस्त 1953 को छत्तीसगढ़ के बेमेतरा, जिला- दुर्ग में हुआ था। उन्होंने पाँच पुस्तकें लिखी हैं, भारत सरकार ने उन्हें साल 2010 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया था। वे 2008 में काका हाथरसी से हास्य रत्न पुरस्कार के प्राप्तकर्ता भी रहे हैं। टाइगर अभी जिंदा है….., सांस लेना है जैसी तुकबंदी वाली रचनाओं से भी उन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी।
कोरबा जिले से भी उनका काफी लगाव रहा है। विभिन्न अवसरों पर वह आयोजित होने वाले कवि सम्मेलनों में अपनी रचनाओं की प्रस्तुति से कोरबा शहर व जिला वासियों को हंसाते- गुदगुदाते हुए भाव विभोर भी करते रहे हैं।
