रायपुर। बहुचर्चित कोल लेवी घोटाले की जांच अब एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। अब तक राजनीतिक और नौकरशाही हलकों में घूम रही जांच की सुई अब राजधानी के बड़े निजी अस्पतालों की ओर मुड़ गई है। ईडी ने सोमवार को माता लक्ष्मी अस्पताल, अनुपम नगर के संचालक डॉ. नीरज पहलाजानी से अस्पताल परिसर में ही कई घंटों तक पूछताछ की।
ईडी की पूछताछ का मुख्य बिंदु
सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ का केंद्र रहा, कोल स्कैम के आरोपी सूर्यकांत तिवारी द्वारा वितरित किए गए एक करोड़ रुपये।
ईडी को संदेह है कि इस रकम में से 40 लाख रुपये सौम्या चौरसिया के पति सौरभ चौरसिया को हैंडओवर किए गए, जिसमें डॉ. पहलाजानी की भूमिका की जांच की जा रही है।
नोटिस और दस्तावेजों की मांग
ईडी ने पहले ही डॉ. नीरज पहलाजानी को नोटिस भेजकर मामले में जानकारी और दस्तावेज मांगे थे। पूछताछ के दौरान कुछ सवालों पर डॉ. पहलाजानी ने दो दिन का समय मांगा है और कहा है कि वह जानकारी बुधवार तक उपलब्ध कराएंगे। ईडी को पिछले छापों में ऐसे दस्तावेज़ मिले थे, जिनसे यह संकेत मिला कि कोल लेवी के घोटाले की मनी लॉन्ड्रिंग में कई प्रोफेशनल्स की भूमिका रही है। इससे यह भी सामने आ रहा है कि स्कैम के पैसे को निजी अस्पतालों और अन्य प्रोफेशनल चैनलों के जरिए लेयर किया गया।
अस्पतालों पर जांच से मची हलचल
यह पहली बार है जब ईडी की जांच किसी बड़े निजी अस्पताल तक पहुंची है। शहर में डॉक्टरों की कमाई और उनसे जुड़े वित्तीय लेन-देन अक्सर चर्चा में रहते हैं, लेकिन अब कोल स्कैम में नाम आना चिकित्सा क्षेत्र की प्रतिष्ठा पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
छत्तीसगढ़ में कोल परिवहन और खनन से जुड़े इस घोटाले में करोड़ों रुपये की अवैध वसूली और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। ईडी अब तक कई राजनीतिक नेताओं, अफसरों और व्यापारियों पर कार्रवाई कर चुकी है।
डॉ. नीरज पहलाजानी से पूछताछ और उनके द्वारा मांगा गया समय, इस बात का संकेत है कि जांच एजेंसी अब स्कैम में जुड़े हर प्रोफेशनल लिंक को परत-दर-परत उजागर करना चाहती है। इससे यह साफ है कि कोल स्कैम सिर्फ एक राजनीतिक या प्रशासनिक घोटाला नहीं, बल्कि व्यवसायिक और चिकित्सा जगत तक अपनी जड़ें फैला चुका है।