0 नगर पंचायत अध्यक्ष भी पहुंचे थे मौके पर, काम नहीं आई समझाइश
0 मजबूर पुलिस फैना काट रही,विवाद रोकने सख्ती नहीं
कोरबा। कोरबा जिले के पाली थाना अंतर्गत नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड क्रमांक -1 बाजारपारा निवासी ज्ञानेश्वर साहू के पूर्व निर्मित निर्माण को दूसरे पक्ष के द्वारा मजदूर लगाकर बलपूर्वक तोड़फोड़ करने के घटनाक्रम से माहौल तनावपूर्ण और विवादग्रस्त हो गया है। यहां आज सुबह से विवाद की स्थिति निर्मित हुई है लेकिन दबंगई के आगे कमजोर परिवार बेबस नजर आ रहा है। पीड़ित पक्ष के थाना पहुंचने और आवेदन देने के बाद उसे पुलिस हस्तक्षेप आयोग्य अपराध बताकर चलता कर दिया गया लेकिन घटनास्थल पर निर्मित तनावपूर्ण हालात की रोकथाम और व्यवस्था बनाने की कवायद होती नजर नहीं आई। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर स्थानीय लोगों में भी नाराजगी देखी जा रही है कि न्यायालय में मामला लंबित होने के बाद भी इस तरह की दबंगई उचित नहीं है। बताया जा रहा है कि प्रदेश के एक निगम-मण्डल अध्यक्ष के एप्रोच के कारण मनोबल बढ़ा हुआ है।
पाली के हमारे समाचार सहयोगी ने बताया कि बाजार पारा निवासी ज्ञानेश्वर साहू का पटवारी हल्का नंबर 20 में खसरा नंबर 43/1/ क / 2 की 6 डिसमिल भूमि तारकेश्वर साहू व अन्य रिश्तेदारों के नाम दर्ज है। इस जमीन के पीछे जसपाल सिंह छाबड़ा की जमीन स्थित है। जमीन को लेकर तारकेश्वर साहू विरुद्ध जसपाल सिंह का मामला पाली के न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन इससे पहले न्यायालय और कानून प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए जसपाल सिंह के द्वारा आज सुबह 7 बजे अन्य ग्राम ढुकुपथरा से जाति विशेष के मजदूरों को लाकर तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया गया। ज्ञानेश्वर साहू के मकान और अहाता को तोड़फोड़ करने से रोके जाने पर विवाद की निर्मित की जा रही है।
स्थानीय लोगों ने भी बताया कि इस मामले में पीड़ित पक्ष कुछ ज्यादा ही पीड़ित हो रहा है और यहां एससी- एसटी एक्ट का भी दुरुपयोग किया जा रहा है जिसमें लगाए जाने वाले मजदूरों के द्वारा रोकने पर बेवजह विवाद उत्पन्न करते हुए जातिगत मामलों में फंसा देने की धमकी जैसी बातें भी सामने आई हैं। यह भी बताया जा रहा है कि यहां बुलाए गए लोग कोई न कोई हथियार से लैस नजर आए हैं जिसमें टांगिया खासकर शामिल रहा।
इधर, शिकायत लेकर थाना जाने पर पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य अपराध बताया गया। हालांकि, संपत्ति संबंधी मामलों में पुलिस का कोई सीधा हस्तक्षेप कानूनी तौर पर नहीं होता लेकिन पीड़ित पक्ष को इस बात की अपेक्षा जरूर है कि जब मामला न्यायालय में चल रहा है तो मौके पर होने वाली बलपूर्वक तोड़फोड़ की कार्रवाई अथवा किसी तरह की विवाद की स्थिति निर्मित होने से रोकने के लिए प्रारंभिक कार्रवाई तो करना चाहिए।

शाम होते-होते हालात और भी तनावपूर्ण हो गए जिसका वीडियो भी वायरल है। शाम को बढ़ते तनाव के बीच जब साहू की तरफ से ग्रामीण व साहू समाज के लोग यहां इकठ्ठा होना शुरू हुए तो दूसरा पक्ष व उसके मजदूर भाग निकले।
यहां यह सवाल भी लोगों ने उठाया है कि जब मामला न्यायालय में चल रहा है तो फैसले के आने का इंतजार जसपाल सिंह छाबड़ा के द्वारा क्यों नहीं किया जा रहा? बताया जा रहा है कि तहसीलदार द्वारा दिये गए आदेश के बाद पटवारी ने कोई सीमांकन भी नहीं किया है और साहू ने न्यायालय में अपील कर दी है जो विचाराधीन है। जसपाल सिंह को अपने जमीन पर जाने के लिए रास्ता चाहिए जिसके लिए साहू के निर्माण को बलपूर्वक तोड़े जाने का विरोध है। इस पूरे मामले में पुलिस को कानून व्यवस्था के मद्देनजर बनते-बिगड़ते हालातों पर नजर रखनी होगी।