0 पंडित मुकुटधर पाण्डेय साहित्य समिति का आयोजन
कोरबा। बुजुर्गों की सेवा के 20 साल के उपलक्ष्य में प्रशांति वृद्धाश्रम में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से आश्रम के वरिष्ठ नागरिकों के चेहरों पर खुशियां बिखेरी।
नवदृष्टि समाजसेवी संस्था द्वारा संचालित प्रशांति वृद्धाश्रम में पं. मुकुटधर पाण्डेय साहित्य समिति, कोरबा ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए कवि सम्मेलन का आयोजन किया। इस अवसर पर पं. मुकुटधर पाण्डेय साहित्य समिति के संरक्षक मोहम्मद युनुस दनियालपुरी ने कहा कि बीमारी, लाचारी और परिवार के अंदर सम्मान की कमी से बूढ़ा व्यक्ति टूट जाता है। श्री युनुस ने कहा कि प्रशांति वृद्धाश्रम में रहने वाले तमाम बुजुर्ग एक सम्मानित तरीके से जीवन जी रहे हैं।

पं. मुकुटधर पाण्डेय साहित्य समिति के सचिव एवं प्रसिद्ध कवि डा. कृष्ण कुमार चन्द्रा ने बेहद रोचक तरीके से कवि सम्मेलन का संचालन शुरू किया। उन्होंने कहा कि वृद्धाश्रम का संचालन एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। नवदृष्टि समाजसेवी संस्था बुजुर्गों के चेहरों पर मुस्कान लाने का कार्य कर रही है। डा. कृष्ण कुमार चन्द्रा ने छत्तीसगढ़ी रचना सुनाते हुए कहा, भुइंया के भगवान बरोबर दाई- ददा ला जानव, दाई- ददा हर आशीष देथे कचरा नो है जी। उन्होंने हास्य व्यंग्य भरी बातों से बुजुर्गों और उपस्थित लोगों का खासा मनोरंजन किया। बलराम राठौर की हास्य रचना ने लोगों को गुदगुदाया। अनुसुईया श्रीवास ने कहा, मुस्कुरा कर जीने में मचा आएगा, गम का गहरा समंदर भी सूख जाएगा। अनुसुईया श्रीवास ने छत्तीसगढ़ी रचना की भी प्रस्तुति दी। वीणा मिस्त्री ने आश्रम में निवासरत बुजुर्गों को अपनी रचना समर्पित करते हुए कहा, क्या करना है सोचकर क्या खोया क्या पाया है, मेरे ही अपने थे सब जिस पर सब लुटाया। पं. मुकुटधर पाण्डेय साहित्य समिति के अध्यक्ष दिलीप अग्रवाल ने कहा, कागज की नाव बनाकर पानी में छोड़ देते हैं, फिर पत्थर मारकर पानी में डूबो देते हैं। किरण सोनी ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा, वैसे कोई नहीं है किसी का यहां, बस ये दिल है तो दुनिया का अहसास है। मोहम्मद युनुस दनियालपुरी ने अपनी गजल से बुजुर्गों का दिल जीत लिया। नवदृष्टि समाजसेवी संस्था के पदाधिकारियों, सदस्यों द्वारा कवियों का स्वागत किया गया। गौरतलब है कि नवदृष्टि समाजसेवी संस्था द्वारा प्रशांति वृद्धाश्रम के संचालन को 20 साल पूरे हो गए हैं। संस्था द्वारा सरकारी, गैर सरकारी अनुदान प्राप्त किए बगैर जनसहयोग से वृद्धाश्रम का संचालन किया जा रहा है। वर्तमान में वृद्धाश्रम में 24 महिला, पुरुष निवासरत हैं।