0 बांगो पंचायत के 9 पूर्व सचिवों कों भी बुलाया गया, उनके पास भी कोई रिकार्ड नहीं, जांच ज़ारी
कोरबा-बांगो। कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकास खंड का बांगो बस्ती हमेशा से विवादों मे रहा है। सरपंच का पंचों से विवाद तो कभी ग्रामीणों से विवाद, इन उलझनों मे ग्राम का विकास कार्य अधर मे लटक गया। ग्राम पंचायत बांगो सरपंच वर्तमान सचिव को पूर्व मे हुए कार्यो के भुगतान राशि पर हस्ताक्षर करने की बात कही जा रही है उस पर सचिव ने राशि भुगतान पर सहमति तों जताई लेकिन बिना रिकार्ड देखें किसी कार्य का भुगतान नहीं करने की भी बात कही, जिसको लेकर पंचो ने भी जनपद सीईओ से शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत मे कहा की सरपंच द्वारा मनमाने तरीके से 15 लाख रूपये राशि भुगतान करने का दबाव वर्तमान सचिव पर डाला जा रहा है वहीं बिना जांच किये राशि भुगतान नहीं करने पंचो ने सीईओ से निवेदन किया है। इधर मामला उजागर करने पर धमकी-चमकी देने का भी काम शुरू हो गया है।
0 2011 से कार्यो के रिकार्ड नहीं लेकिन 15 लाख का भुगतान चाहिए
बता दें की वर्तमान मे बांगो सरपंच धनकुंवर के द्वारा ये कहा जा रहा है की वर्ष 2011 से उनके कुछ कार्यो की राशि पंचायत फंड से भुगतान नहीं की गई है। सरपंच के मुताबिक लगभग 15 लाख की राशि है जिसको लेकर सचिव के हस्ताक्षर से वर्तमान मे पंचायत फंड से उक्त राशि का भुगतान करने की बात कही जा रही है जबकि मामले में ना ही कार्यों की सूची है ना ही कार्यों के रिकार्ड। ऐसे मे भुगतान करना पंचायत के विकास कार्यों को प्रभावित करना है।
0 जनपद अधिकारी कर रहे जांच, पुराने 9 सचिव भी रहे मौजूद
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जांच अधिकारियों मे सिबि सिंह (करारोपण अधिकारी), प्रमोद भगत (ado), लाल देव भगत (संकाय सदस्य) ने बताया कि बांगो सरपंच के द्वारा वर्ष 2011 से लगभग 15 लाख रुपय की भुगतान करने की बात कहीं जा रहि, जबकि सरपंच के पास उक्त कार्यो के रिकार्ड ही नहीं हैं न ही दस्तावेज हैं। जांच दल ने बताया की सरपंच द्वारा राशि भुगतान की मांग को लेकर जितने सचिव बांगो पंचायत में नियुक्त हुए थे, उन सभी 9 सचिव कों भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था लेकिन उनके पास भी किसी प्रकार के रिकार्ड दर्ज नहीं थे। बताया जा रहा है कि 2020 से 2024 तक के ही रिकार्ड है, उसके पहले के रिकार्ड ही नहीं हैं। इसे पूरी तरह से लापरवाही कहा जा सकता है जो कि सरकारी दस्तावेजो मे हेराफेरी पूर्ण सम्भावित है। सरपंच द्वारा 2011 से कार्य काराये जाने के रिकार्ड ही नहीं व ऐसे मे कौन से वर्ष मे क्या काम कराया गया, सरपंच को जानकारी ही नहीं।
0 राशि भुगतान करने वर्तमान सचिव पर बनाया जा रहा दवाब, फंसा देने की धमकी,
भुगतान पर हस्ताक्षर करने वर्तमान सचिव पर दबाव बनाया जा रहा है। वही सरपंच की बात नहीं मानने वाले सचिव कों झूठे मामलो मे फसा देने की भी बात सामने आ रही है। ग्राम का विकास कार्य उन्ही उलझनों मे लटका हुआ है ना कार्य आगे बढ़ रहे न प्रगति कर रहे। ग्राम के तमाम योजनाओं से जुड़े हुए कार्यो का लाभ नहीं मिल पा रहा, वही अधिकारियों के भी कार्य शैली पर सवाल खड़ा होता है कि आखिर इस मामले में जांच पूर्ण कर ग्रामीणों के हित मे कोई समाधान क्यों नहीं निकाला जा रहा ? अगर कार्यों के रिकार्ड नहीं तों जांच प्रतिवेदन पंचानामा बनाकर सीईओ समक्ष पेश करते ताकि विकास कार्यों की गतिविधि आगे बढ़े। सूत्र बताते हैं ग्राम पंचायत सरपंच पुराने रिकार्ड के फर्जी दस्तावेज जुटाने मे लगा हुआ है और ऐसे में अधिकारियों के द्वारा भी संरक्षण देने की बात सामने आ रही है।
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