0 ऐतमानगर वन रेंज में 5 चेकडैम पर उठे सवाल, ठेकेदार-सप्लायर बिलासपुर के,मजदूर दूर-दूर तक नहीं
कोरबा-कटघोरा। जंगल में जल संचयन के लिए बनाए जाने वाले स्टॉप डैम लाभ कम, भ्रष्टाचार के मामले में सुर्खियां ज्यादा बटोर रहे हैं। इस मामले में कोरबा जिले का कटघोरा वन मंडल कुछ ज्यादा ही सुर्खियों में रहता आया है। पूर्व के स्वीकृत और निर्मित तथा निर्माणधीन स्टाप डेम जहां सवालों के दायरे में रहे हैं तो वहीं सत्ता बदलने के बाद भी सुशासन वाली सरकार में भ्रष्टाचार की नई इबारत लिखी जा रही है। टेंडर उपरांत इनके निर्माण सामग्री की खरीदी जेम पोर्टल से किए जाने के स्पष्ट निर्देश के बावजूद कटघोरा वन मंडल में 95 लाख रुपए से अधिक के पांच स्टाप डेम के निर्माण हेतु मनमाने तरीके से काम शुरू कर दिया गया है।
वन विभाग के एक अधिकारी के बताए अनुसार यह वर्ष 2020-21 का कार्य था जो अभी कुछ माह पहले स्वीकृत किया गया। ऐतमानगर वन परिक्षेत्र के लुदी नाला पर तीन स्टाप डेम और सुंदरहानाला पर दो स्टाप डेम का निर्माण कार्य हाल फिलहाल में ही प्रारंभ किया गया है। स्टॉप डेम के लिए नींव की खुदाई का काम चल रहा है जिसमें जेसीबी मशीन लगवाई गई है, मानव बल तो फिलहाल दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आ रहा है जिससे गांव में ही लोगों को रोजगार देने की मंशा अभी धरी की धरी रह गई है।
0 निर्माण सामग्रियों पर सवालिया निशान
दूसरी तरफ सरकार ने जेम पोर्टल से खरीदी अनिवार्य किया है लेकिन लाखों रुपए के स्टाप डेम के निर्माण के लिए जेम पोर्टल तो दूर विधिवत तरीके से भी खरीदारी नहीं हो रही है। आसपास के नदी-नाला से रेत अवैध तरीके से खनन करवा कर निर्माण स्थल के आसपास डम्प कराया जा रहा है। गिट्टी को लेकर भी झोल-झाल है, सीमेंट की गुणवत्ता पर भी सवाल आगामी दिनों में उठ सकते हैं जब कार्य में गति आएगी, तब गुणवत्तापूर्ण सीमेंट के बीच मिलते-जुलते नाम के गुणवत्ताहीन सीमेंट का भी उपयोग होगा क्योंकि इससे पहले भी ऐसे कारनामे हो चुके हैं। कार्यस्थल पर मिले निर्माण संबंधी कर्मी ने इस बात को स्वीकार किया कि रेत आसपास के नदी-नाला से खोद कर निकल जा रही है यानी कि सैकड़ों ट्रैक्टर रेत का उपयोग पांच स्टाप डेम के निर्माण में होना है, लेकिन किसी भी रेत की रॉयल्टी से सरकार को राजस्व का एक पैसा भी नहीं मिलने वाला। बताया जा रहा है कि डीएफओ के निर्देशन में एसडीओ की देखरेख में बिलासपुर के चहेते ठेकेदार को यह निर्माण काम सौंपा गया है और सप्लायर भी बिलासपुर का ही है।
0 सप्लायर दिखाते रहे हैं कारनामा
इससे पहले जब शमा फारूकी डीएफओ थीं तब कोरबा जिले के सप्लायर तरस गए और बिलासपुर के चहेते को चार चांद लग गए थे। एक सप्लायर ने तो बिलासपुर से निर्माण सामग्रियों की सप्लाई उस समय के बाजार भाव से भी कम कीमत पर निर्माण स्थल कटघोरा वनमण्डल के जंगलों तक पहुंचाकर देने का कारनामा कर दिखाया था, जबकि निर्माण क्षेत्र दूरस्थ, जंगल और पहाड़ी इलाके थे। उस समय से जो स्टाप डैम की कहानी शुरू हुई वह सत्ता परिवर्तन के बाद भी जारी है, बस किरदार बदल गए हैं। वैसे किसी भी मामले में जानकारी लेना हो तो एसडीओ साफ-साफ मना करते हैं कि मुझे तो कुछ पता ही नहीं और मेरे पावर में भी कुछ नहीं है, सारा कुछ डीएफओ सब जानते हैं।
0 पूर्व के उजागर मामलों में जम रही धूल
कटघोरा वन मंडल में स्टाप डैम की आड़ में होने वाले लाखों के भ्रष्टाचार की कहानी को शुरुआत में ही रोकने की आवश्यकता है ताकि सरकार का पैसा यूं ही पानी में ना बह जाए। बताते चलें कि पूर्व के महीने में स्वयं मुख्य वन संरक्षक ने एक बड़ी गड़बड़ी पकड़ी जिसमें जिस स्टाप डेम के निर्माण की स्वीकृति ही नहीं हुई थी, उसका निर्माण बताकर और उस स्टाप डैम के नाम से पुनरीक्षित राशि की मांग के लिए प्रस्ताव दिया गया था। स्टाप डैम की आड़ में किस तरह से खेल खेला जा रहा है, यह विधानसभा में भी उठ चुका है जहां तत्कालीन डीएफओ शमा फारूकी के द्वारा एक स्टाप डेम की जानकारी छिपाई गई।विधानसभा को भी गुमराह करने से कटघोरा वन मंडल के अधिकारी चूक नहीं रहे तो भला उनके सामने कौन टिकेगा..? उस समय भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने विधानसभा को गुमराह करने वाली जानकारी को लेकर सवाल भी उठाए लेकिन होने वाली कार्यवाही पर धूल की परतें जमती जा रही हैं। वन मंडल में होने वाले भ्रष्टाचारों को लेकर समय-समय पर सामने आने वाले शिकायती लोग भी वक्त के साथ रहस्यमय तरीके से अपनी जुबान बंद करते चले गए।