0 धारा 40 और 92 की कार्यवाही पर सरपंच को मिला स्थगन
0 रजगामार पंचायत बना ईगो का सवाल,अधिकारी हड़बड़ी में गड़बड़ी कर गए या बात कुछ और….!
कोरबा। कोरबा जिले का रजगामार ग्राम पंचायत जिले से लेकर संभाग और राजधानी रायपुर तक सुर्खियां बटोर रहा है। इस पंचायत की सरपंच श्रीमती रामूला राठिया और उप सरपंच जितेंद्र राठौर के बीच चले आ रहे शिकवा-शिकायतों और प्रशासनिक जांच के दरम्यान गुरुवार को कोरबा एसडीएम द्वारा जारी एक आदेश के तहत सरपंच को सेवा से पृथक कर दिया गया है। साथ ही उनके 6 साल तक चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने का भी आदेश जारी हुआ है।
अब इस आदेश को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है कि उक्त मामले में कमिश्नर कोर्ट के द्वारा कोरबा जिले में चल रही कार्रवाई, जारी कारण बताओ नोटिस दिनांक 6 दिसम्बर 2024 के क्रियान्वयन से लेकर धारा 40 और धारा 92 के तहत जो भी प्रकरण चल रहा है उन सब पर 15 दिन के लिए स्थगन आदेश कल दिनांक 9 जनवरी 2025 को ही जारी किया गया है। इस स्थगन आदेश की सूचना तत्काल मोबाइल के जरिए दोपहर लगभग 2 बजे एसडीएम कोरबा को सरपंच ने अपने लॉयर के माध्यम से दे दी थी। इस स्थगन सूचना और सम्बन्ध में आवेदन देने के बाद भी शाम होते-होते कार्यालय अवधि में सरपंच को सेवा से पृथक करने का आदेश एसडीएम द्वारा जारी कर दिया गया।
यह आदेश सीधे तौर पर कमिश्नर न्यायालय के स्थगन आदेश की अवमानना है, क्या रजगामार पंचायत को लेकर कोई अलग ही खिचड़ी पक रही है। 8 जनवरी 2025 को ग्राम पंचायत का आरक्षण के बाद क्या सरपंच को पुनः चुनाव लड़ने से वंचित करने की मंशा से यह कार्रवाई हड़बड़ी में गड़बड़ी के तौर पर कर दी गई है? यह सवाल रजगामार पंचायत से निकलकर सरपंच के समर्थकों के बीच से सामने आई है। इस मामले में जबकि न्यायालय संभाग आयुक्त बिलासपुर के द्वारा 9 जनवरी को ही समस्त कार्रवाई पर स्थगन आदेश जारी कर दिया गया है और 24 जनवरी 2025 को पेशी से पूर्व वांछित दस्तावेज न्यायालय में अनिवार्य रूप से तलब किए गए हैं, तब सेवा से पृथक की गई इस कार्रवाई का औचित्य क्या रह जाता है? क्या इस तरह आदेश के प्रकाश में एसडीएम द्वारा पुनः आदेश जारी किया जाएगा? वैसे स्थगन आदेश जारी होने और इसकी सूचना मिलने पर भी पृथक करने संबंधी आदेश अपने आप में दूषित आदेश माना जा रहा है।
0 कार्रवाई पर पहले भी लगती रही रोक
बताते चलें कि रजगामार पंचायत के मामले में सरपंच को पदच्युत कर स्थापन्न सरपंच पदस्थ करने से लेकर अन्य तमाम आदेश और कार्रवाई पर न्यायालय से स्थगन मिला हुआ है। न्यायालय में कार्रवाई लंबित/विचाराधीन रहते हुए और प्रकरण का निराकरण हुए बगैर ही वसूली के मामले में वित्तीय अनियमितता का हवाला देकर की गई इस कार्रवाई को लेकर पंचायत की राजनीति गर्म हो गई है, साथ ही प्रशासनिक कार्रवाई भी सवालों के घेरे में आ गई है। सरपंच की ओर से आरोप यह भी लगता रहा है कि उसका पक्ष सुना नहीं जा रहा है। यह भी आरोप है कि एसडीएम कोरबा के न्यायालय में कोई प्रकरण चला ही नहीं और दफ्तर में की जा रही कार्रवाई में भी उसे अनसुना किया जाता रहा है। पहले एक करोड़ 56 लाख रुपए से अधिक की शिकायत पर रिकवरी निकाली गई और आपत्ति पर पुनः जांच कराई गई तब यह रकम घटकर 72 लाख पहुंच गई, लेकिन 72 लाख के भी जो कार्य हुए हैं उन्हें अनसुना और अनदेखा किया जा रहा है। आखिर पंचायत को लेकर यह साजिश किसलिए हो रही है, जबकि जिले में और भी पंचायत के सरपंचों पर लाखों रुपए की रिकवरी से लेकर वसूली की कार्रवाई लंबित है। सवाल है कि क्या रजगामार पंचायत ईगो का प्रश्न बन गया है..?
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