कोरबा। आज जब छल-कपट- बेईमानी-दुराशय की प्रवृत्ति हावी होती जा रही है, ऐसे में भी ईमानदारी जिंदा है। ईमानदारी की यह मिसाल पेश की है शहर के युवा पीयूष अग्रवाल ने।
दरअसल, युवा पत्रकार और इंजीनियर रणविजय सिंह जो कि पावर हाइट्स,घंटाघर मार्ग में निवासरत हैं। कल 12 दिसंबर की रात अपने परिचित को छोड़ने के लिए चार पहिया वाहन से घंटाघर चौक गए हुए थे। वहां दोस्त को कार से उतर कर विदा करने के बाद वापस घर लौट आए, लेकिन इस बीच घंटाघर चौक पर ही असावधानीवश रणविजय सिंह का पर्स पैंट की जेब से निकलकर गिर पड़ा और इसका उन्हें आभास भी नहीं हुआ। जब वह घर लौटे और अपने कमरे में पहुंचे तो पर्स पैंट की जेब से गायब मिला। उन्होंने लगभग आधा घंटा पहले ही एटीएम से 20000 रुपये आहरण किया था और वह रुपए पर्स में रखे थे। साथ ही एटीएम कार्ड, पैन कार्ड, आधार कार्ड और अन्य जरूरी दस्तावेज भी पर्स में मौजूद थे जो उनके पास होना निहायत जरूरी था। पर्स के गिर जाने से रणविजय सिंह परेशान हो गए। वह तथा उनके परिजन पर्स की खोजबीन में पावर हाइट्स की पार्किंग के आसपास जुटे रहे। लगभग 9:30 बजे हुए इस घटनाक्रम को लेकर सब परेशान ही थे कि करीब 15-20 मिनट के बाद एक युवक रणविजय सिंह का नाम पूछते हुए पावर हाइट्स तक पहुंचा। रणविजय सिंह की बेटी से उसका सामना हुआ, बेटी ने रणविजय सिंह से युवक की बात कराई जिसने अपना परिचय पीयूष अग्रवाल के रूप में दिया और मुलाकात होते ही उनका पर्स वापस लौटाया। उस पर्स में पूरे के पूरे 20000 रुपये नगद और सभी दस्तावेज मौजूद थे।
पीयूष अग्रवाल की मानवता औऱ ईमानदारी की तारीफ करते रणविजय सिंह और उनका परिवार थक नहीं रहे। पीयूष अग्रवाल ने जिस तरह से ईमानदारी की मिसाल पेश की है, वह बदलते दौर में बढ़ती स्वार्थपरक प्रवृत्तियों के बीच अनुकरणीय भी है।
KORBA:जिंदा है ईमानदारी,रुपयों से भरा पर्स पाकर भी नहीं डोला पीयूष का ईमान,घर पहुँचाया



