कोरबा (सत्या पाल)। “जैसा समाज वैसी पुलिसिंग” यह कहावत आज कोरबा जिले के मामले में बिल्कुल सटीक बैठ रही है। हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि शांति पसंद नागरिकों के मन में अराजक तत्वों का खौफ गहराता जा रहा है।
✍🏻 एक अजीब सी बेचैनी ने घेरा है मेरे शहर को..
हर पल-हर मोड़ पर एक अनजाने खौफ ने,
घेरा है मेरे शहर को…
न जाने कौन सा सहर-कौन सी शाम….
किस गली-किस सड़क-किस मोहल्ले में…..
अपने शर्मसार खंजर से बेजार कर दे मेरे शहर को……✍🏻
😱 युवाओं में बढ़ता ट्रेंड खतरनाक
युवाओं में एक खतरनाक ट्रेंड तेजी से पनप रहा है जो रील बनाकर फिल्मी स्टाइल में खुद को साबित करने की होड़ है। सड़क पर स्टंट, हथियारनुमा वस्तुओं का प्रदर्शन और सोशल मीडिया पर अपनी दबंगई दिखाने की प्रवृत्ति बढ़ती और आम होती जा रही है। यह दिखावा अब सीधे आपराधिक गतिविधियों में भी बदल रहा है।
💊💉 नशे का बढ़ता कारोबार और घातक असर
अवैध-वैध शराब के बाद अब गंधहीन और सूखे नशीले पदार्थों का चलन युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। इसकी चपेट में सिर्फ युवा ही नहीं, बल्कि किशोर और यहां तक कि बचपन भी आने लगा है। यह समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि नशे की लत ही अधिकांश अपराधों की जड़ होती है।
🔪⚔️ अपराध का बदलता चेहरा
मारपीट, चाकूबाजी, हथियारों का प्रदर्शन और हिंसक घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी ने कानून-व्यवस्था को चुनौती दे दी है। वर्तमान कानून में मौजूद लचीलापन और अपराधियों को मिलने वाली त्वरित राहत, उनके लिए कई मामलों में प्रभावशाली एप्रोच ने उनके मन से कानून का भय लगभग खत्म कर दिया है।
❓पुलिसिंग पर भी सवाल
इन सबके बीच सबसे गंभीर पहलू यह है कि कालांतर में ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें पुलिस विभाग के कुछ मैदानी कर्मियों की मिलीभगत नशा बेचने वालों के साथ रही है। उन्हें इनके अवैध धंधों के फुटकर ठिकानों की पूरी जानकारी होती है। ऐसी प्रवृत्ति पर नकेल कसना उतना ही जरूरी है जितना अपराधियों पर। थाना और चौकी स्तर पर इस तरह की संलिप्तता को खत्म किए बिना बढ़ते सामाजिक अपराधों पर नियंत्रण पाना मुश्किल होगा।
🫵🏻 अब क्यों जरूरी है सख्त पुलिसिंग?
सिर्फ सोशल पुलिसिंग अब काफी नहीं, बल्कि समाज में अनुशासन और कानून का भय बनाए रखने के लिए सख्त पुलिसिंग की जरूरत है। अपराधियों के खिलाफ निष्पक्ष, निडर, त्वरित और कड़ी कार्रवाई ही वह कदम है जो बढ़ते अपराधों की रफ्तार को रोक सकता है। साथ ही पुलिस विभाग को भी आत्ममंथन कर अपनी पंक्ति में खड़े भ्रष्ट तत्वों पर कठोरतम कार्रवाई करनी होगी, सूचना तंत्र को मजबूत, और भी विश्वसनीय व भरोसेमंद बनाना होगा। “लॉ एंड ऑर्डर” का संतुलन बनाए रखने के लिए पुलिसिंग को सोशल से ज्यादा सख्त बनाना होगा, वरना समाज में अपराध का ग्राफ और तेजी से ऊपर जाएगा।