0 पकड़े जाने के बाद भी जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं होने से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश
कोरबा-करतला। कोरबा जिले के करतला ब्लॉक अंतर्गत ग्राम खरहरकुड़ा जंगल, सोहागपुर विद्युत फीडर क्षेत्र में शनिवार को एक बड़ा खुलासा हुआ, जब दो व्यक्तियों को करंट प्रवाहित तार बिछाकर जंगली सूअर मारने के आरोप में ग्रामीणों और विद्युत विभाग की टीम ने मौके पर पकड़ लिया। इसमें चौंकाने वाली बात यह रही कि मौके पर मौजूद विभागीय जेई निशा कंवर व उनके अधीनस्थ कर्मचारियों ने ग्रामीणों की आपत्तियों को दरकिनार कर आरोपियों को सिर्फ समझाइश देकर छोड़ दिया। क्या,कार्रवाई के लिए किसी हादसे और तार में उलझकर किसी की मौत होना जरूरी था..? रंगे हाथ पकड़ा जाना कार्रवाई के लिए पर्याप्त वजह नहीं थी?
हमारे समाचार सहयोगी ने बताया कि ग्रामीणों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, करंट तार बिछाकर शिकार करने वाले दोनों लोग पास के पहाड़गांव और मुकुंदपुर से करीब 4 से 5 किलोमीटर दूर से आए थे। इनमें से एक का नाम हेमंत कुमार, निवासी मुकुंदपुर बताया गया है, जबकि दूसरा नंमु सिंह सारथी, निवासी पहाड़गांव है।
0 ग्रामीणों का आरोप, जानबूझकर दबाया मामला
ग्रामीणों ने बताया कि यह गिरोह लंबे समय से करंट बिछाकर जंगली सुअरों का शिकार कर रहा है। इसकी वजह से जानवरों और इंसानों दोनों की जान पर खतरा मंडराता रहता है। हाल ही में करंट की चपेट में आने से आधा दर्जन से ज्यादा मवेशियों की मौत भी हो चुकी है। बावजूद इसके विभागीय अधिकारी गंभीर अपराध को हल्के में लेकर आरोपियों को पुलिस के हवाले करने के बजाय छोड़कर चले गए।

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने बार-बार मांग की कि आरोपियों को पुलिस के हवाले किया जाए ताकि उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो सके, लेकिन जेई और उनकी टीम ने किसी की एक न सुनी।
0 कानून क्या कहता है?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना केवल विभागीय लापरवाही नहीं, बल्कि गंभीर अपराध की श्रेणी में आती है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं जो लागू हो सकती हैं…..
धारा 106 – मृत्यु या चोट कारित करने वाली लापरवाही, आरोपियों द्वारा करंट बिछाना और अधिकारियों की अनदेखी से इंसानों व पशुओं की जान को खतरा पहुँचा। इसमें लापरवाह अधिकारियों को भी शामिल किया जा सकता है।
धारा 111 – किसी कार्य द्वारा अन्य की जान को संकट में डालना, करंट प्रभावित तार बिछाना सीधा-सीधा ग्रामीणों व पशुओं की जान पर संकट लाना है।
धारा 115 – शिकार या अवैध कार्य हेतु खतरनाक साधनों का प्रयोग
बिजली का इस्तेमाल कर शिकार करना खतरनाक अपराध है।
धारा 304 – गैरकानूनी शिकार/जानवर को मारने का अपराध, करंट से जंगली सूअर और मवेशियों की मौत।
धारा 291 – विद्युत का दुरुपयोग कर अपराध करना, बिजली की लाइनों से अवैध करंट प्रवाहित करना और उसका उपयोग अपराध के लिए करना।
धारा 351 – सरकारी कर्मचारी द्वारा पद का दुरुपयोग, जेई व कर्मचारियों ने आरोपियों को छोड़कर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की।
धारा 177 – अपराध की सूचना न देने पर दंड, ग्रामीणों की मांग के बावजूद आरोपियों को पुलिस को न सौंपना।
ग्राम खरहरकुड़ा जंगल में करंट बिछाकर शिकार करने वाले ही नहीं, बल्कि उन्हें बचाने वाली जेई निशा कंवर और विभागीय कर्मचारी भी भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 106, 111, 115, 304, 291, 351 व 177 के तहत समान रूप से दोषी कहे जा सकते हैं।
0 जेई के रवैये पर सवाल
जब मौके पर मौजूद जेई निशा कंवर से इस पूरे घटनाक्रम पर सवाल किया गया, तो उन्होंने मीडिया को कोई जवाब देने के बजाय चुपचाप वहां से निकलना ही उचित समझा। उनका यह रवैया और भी ज्यादा सवाल खड़े कर रहा है कि –
-क्या विभागीय कर्मचारी शिकारियों को संरक्षण दे रहे हैं?
-क्या जानवरों और ग्रामीणों की जिंदगी की कोई कीमत नहीं?
-आखिर क्यों जिम्मेदार अधिकारी कानून को ताक पर रख रहे हैं?
0 ग्रामीणों की नाराजगी और मांग
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में तत्काल आरोपियों के साथ-साथ लापरवाह विद्युत विभागीय अधिकारियों पर भी कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि यह मुद्दा केवल शिकार तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे गांव की सुरक्षा और जान-माल के खतरे से जुड़ा है।
अब देखना होगा कि प्रशासन इन धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज कर दोषियों को सलाखों के पीछे भेजता है या फिर यह मामला भी विभागीय लापरवाही और मिलीभगत की भेंट चढ़कर ठंडे बस्ते में चला जाता है?