0 53 मजदूरों का करीब 2 लाख बकाया, खाने को लाले पड़े तो कोर्ट कहां से जाएं
0 लाने-ले जाने वाला ऑटो चालक भी हलाकान,किश्त सिर पर
कोरबा। रेलवे की उरगा क्षेत्र में निर्माणाधीन लाइन में काम कराने के बाद मजदूरी का भुगतान न मिलने से मजदूर पहाड़ी कोरवा आदिवासी परेशान हैं। अपनी पीड़ा बताकर मजदूरी दिलवाने की उम्मीद में थाना गए तो थानेदार ने पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य मामला बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया जबकि ऐसे मामलों में ठेकेदार से बात करके, थाना बुलवाकर इन मजदूरों को राहत और मजदूरी दिलाई जा सकती थी। थानेदार ने तो बेचारों को अदालत जाने की सलाह दे डाली। अब ये मजदूर अपना पेट भरें की कोर्ट का चक्कर काटें। अब न्याय की गुहार लिए पुलिस और प्रशासन के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कहीं से भी राहत नहीं मिल रही।
बताया जा रहा है कि मजदूरों को भुगतान की बजाय ठेकेदार गायब हो गया है और उसकी पत्नी का रही है कि पति दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद अस्पताल में भर्ती है, तो रुपए कहां से दूं।
कोरबा जिले के ग्राम चुइया निवासी ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि बालको के सेक्टर 4 के निवासी रेलवे ठेकेदार सुनील साहू ने उन्हें काम पर रखा था। ठेकेदार ने समय पर मजदूरी देने का वादा कर दो हफ्ते तक कड़ी मेहनत करवाई, लेकिन भुगतान के समय से पहले ही वह नजर नहीं आ रहा। पीड़ित मजदूरों में अधिकांश पहाड़ी कोरवा आदिवासी हैं।
आज सोमवार को ये ग्रामीण मजदूर पुलिस अधीक्षक कार्यालय कोरबा परिसर में एकत्र हुए। इन्होंने बताया कि वे पहले रेलवे ऑफिस और फिर ठेकेदार के निवास पहुंचे। रेलवे ने कहा कि ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया है जबकि ठेकेदार की पत्नी ने कहा कि एक्सीडेंट के कारण वह अस्पताल में भर्ती है। हालांकि, जब मजदूरों ने खुद जानकारी निकाली, तो पता चला कि यह सब बहाना है और ठेकेदार जानबूझकर भुगतान से बच रहा है।
न्याय की उम्मीद में मजदूर बालको थाना पहुंचे तो उन्हें कोतवाली और कोतवाली से उरगा थाना जाने सलाह दिया गया। उरगा थाना गए तो वहां से भी उन्हें अदालत जाने की सलाह देकर लौटा दिया गया।

आर्थिक रूप से पहले से ही कमजोर ये पहाड़ी कोरवा आदिवासी मजदूर व अन्य मजदूर अब बेहद असमंजस में हैं। उनका कहना है कि जब एक सरकारी प्रोजेक्ट में ऐसा हो रही है और संबंधित विभाग कोई जिम्मेदारी नहीं ले रहा है, तो वे अपनी मेहनत की कमाई कैसे और कहां से हासिल करेंगे? ऊपर से इन्हें लाने-ले जाने के काम में लगे ऑटो चालक संजय दास महंत की मुसीबत बढ़ गई है, उसकी ऑटो की किश्त पटाने के साथ-साथ अन्य पारिवारिक जरूरतों के लिए रुपये इन्हीं मजदूरों से मिलने हैं, जब इनको ही पैसा नहीं मिलेगा तो ऑटो वाले को कहां से देंगे?