0 लोतलोता, पुरैनाखार में राखड़ बांध के लिए जमीन देने वाले किसानों का भूमि सत्यापन लटका
कोरबा-छुरीकला। कटघोरा ब्लॉक अंतर्गत छुरीकला नगर के समीप ग्राम लोतलोता और पुरैनाखार में सीएसईबी द्वारा राखड बांध बनाने हेतु 30 से 40 किसानों को उचित मुआवजा दे कर भूमि अधिग्रहण किया गया। सीएसईबी प्रबंधन की लापरवाही से 10 किसानों का मुआवजा भूमि सत्यापन नहीं होने से रोक दिया गया जिसके मुआवजा भुगतान को लेकर किसानों द्वारा मांग की जाती रही। 40 साल बाद जिला प्रशासन द्वारा उक्त मुआवजा राशि भुगतान मामले की जनसुनवाई 30 अप्रैल बुधवार को ग्राम लोतलोता ग्राम पंचायत भवन में ग्राम सरंपच श्रीमती रामेश्वरी मझंवार , श्रीमती शारदा लता यादव जनपद सदस्य , संजय कुमार जात्रा अध्यक्ष सहायक प्राध्यापक ए के गुरुकुल काँलेज ढ़ेलवाडीह ,पूर्व पुन:व्यवस्थापन विशेषज्ञ ए केरकेट्टा सेवानिवृत्त तहसीलदार, परियोजना तकनीकी विशेषज्ञ मानसिंह कंवर उप अभियंता लोक निर्माण कटघोरा, चंचल ध्रुव सीएसईबी कार्यपालन अभियंता, विक्रांत तंवर और हल्का पटवारी परमेश्वरी कंवर, ग्राम सचिव श्रीमती सरस्वती महंत एवं भू विस्थापित ग्रामीणों की उपस्थिति में जन सुनवाई की गई । जन सुवाई में उपस्थित अधिकारियों ने बताया कि ग्राम लोतलोता में सन 1985-86 में सीएसईबी द्वारा राखड बांध बनाने हेतु 30-40 किसानों के उपजाऊ भूमि को उचित मुआवजा एवं भू अर्जन किसानों को सीएसईबी द्वारा सारी सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन दे कर अधिग्रहण किया गया था परंतु 10 किसानों के भूमि भू अर्जन करने के बाद भी सीएसईबी प्रबंधन द्वारा 40 साल से मुआवजा रोक दिया गया था।

जिला प्रशासन द्वारा 10 किसानों मे से 3 किसान बिराखन पिता तीज राम , महेत्तर दास पिता अनिदास ,रामरतन पिता बिकूल राम से की गई भू अर्जन की जन सुनवाई की गई तथा 7 किसानों के किये गये भू अर्जन भूमि को निरीक्षण कर भूमि सत्यापन कर फिर से जनसुनवाई किये जाने की बात कही गई ।
जन सुनवाई के दौरान किसान सीएसईबी द्वारा मुआवजा भुगतान में किये जा रहे लापरवाही व विलंब पर प्रबंधन के खिलाफ आक्रोशित नजर आये। ग्रामीण इतवार साय पिता हीरा साय 0.607 हेक्टेयर , छत्रपाल पिता बरातू राम 0.607 हे. धरम पिता धीरा साय 0.466 हे. ,मदन पिता टिकैत राम 0.048 हे., संदीप साहू पिता कृष्णा धर 0.048,हे. सुनती बाई पिता विजय 0.048 हे. इन किसानों के जमीन को भू अर्जन किया तो गया है परंतु मुआवजा राशि भुगतान, नौकरी, पुनर्वास आज 40 वर्ष बीत जाने के बाद नहीं किये जाने से सीएसईबी प्रबंधन की लापरवाही साफ झलक रही है ।