0 आखिरकार नियम विरुद्ध कार्यों की शिकायतों पर लिया संज्ञान
बिलासपुर/कोरबा। मूल रूप से व्याख्याता किन्तु जिला शिक्षा विभाग में सहायक संचालक कार्यरत के आर डहरिया पर आखिरकार जाँच शुरू हो गई है। भ्रष्टाचार, दुर्व्यवहार और नाफरमानी के मामले में शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक बिलासपुर ने केआर डहरिया के खिलाफ जांच बैठा दी है। संयुक्त संचालक ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर 10 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट तलब की है। टीम में बिलासपुर संयुक्त संचालक कार्यालय के सहायक सहायक मुकेश मिश्रा, पाली के बीईओ श्यामानंद साहू और मोंगरा के प्राचार्य एस डिंडौरे शामिल हैं। संयुक्त संचालक ने निर्देश दिया है कि जांच दल प्रकरण की जांच बिंदूवार कर जांच प्रतिवेदन 10 दिन के भीतर प्रस्तुत करें।
0 कलेक्टर भी जांच करवा रहे हैं, पदस्थाना व तबादला से आये चर्चा में
सहायक संचालक डहरिया पर पिछले दिनों गंभीर आरोप लगा है। कोरबा जिले में प्रधान पाठक पदोन्नति उपरांत पदांकन में जमकर लेन-देन का खेल हुआ जिसके प्रमाण भी सामने आए। इसके बाद पिछले दिनों उन्होंने तकनीकी त्यागपत्र दे चुके शिक्षकों की जिले में पुनः नियुक्ति का आदेश अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जारी किया था। ये आदेश उन्होंने तब जारी कर दिया था, जबकि डिप्टी कलेक्टर प्रदीप साहू डीईओ के प्रभार में थे। जब इस मामले में केआर डहरिया से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, उन्होंने जल्दबाजी में हस्ताक्षर कर दिया था। लेकिन अब एक और कारगुजारी सामने आयी है, जिसमें 6 मार्च 2024 को भी डहरिया ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर इसी तरह से शिक्षक को रिलीव किया था। हालांकि संज्ञान में आने के बाद कलेक्टर ने तीनों आदेश निरस्त करने के निर्देश डीईओ को दिए थे। के आर डहरिया की दो वेतन वृध्दि भी रोकी गई है। पिछले महीने ही लोक जनशक्ति पार्टी (रा.) के जिलाध्यक्ष राजकुमार दुबे ने संयुक्त संचालक से मिलकर आवेदन सौंपा व कार्रवाई करते हुए के आर डहरिया को हटाकर मूल शाला में मूल पद व्याख्याता के लिए ट्रांसफर करने व पदस्थ करने का आग्रह किया था। इसके वाद जांच टीम गठित की गई है। दूसरी तरफ कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देश पर जिला सीईओ के द्वारा उस शिकायत की जांच की जा रही है जिसमें शिक्षा विभाग के लिपिकों ने मनमानी,अभद्र व्यवहार की शिकायत कर डहरिया को हटाने की मांग की है।
0 नैतिकता के नाते भी नहीं छोड रहे कुर्सी
तमाम शिकायतों पर जांच होने तक भी नैतिकता के नाते श्री डहरिया कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं जो उनकी हठधर्मिता व शासन को ही आंख दिखाने जैसा है,जबकि वे कर्मचारी संगठन से भी जुड़े हैं। हालाँकि उनकी सहायक संचालक पद पर पदस्थापना शासन द्वारा की गई है लेकिन शिकायत यह भी है कि वे मूलतःव्याख्याता होकर भी खुद को गलत तरीके से प्राचार्य बताकर यह पद प्राप्त कर लिए हैं। उनका प्राचार्य होना भी जांच के दायरे में है। गलत होकर भी कुर्सी पर जमे रहने के उनके रवैये से कहीं न कहीं दूसरे कर्मचारियों में गलत सन्देश प्रसारित हो रहा है,जबकि वे खुद को जिले का सबसे बड़ा नेता बताते हैं।