कोरबा। पूर्ववर्ती कांग्रेस के शासनकाल में हुए डीएमएफ घोटाले की जहां फाइल पर फाइल खुल रही है वहीं सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा की सरकार में भी डीएमएफ की राशि में घोटाले हो रहे हैं। इसका एक मामला सामने आया है। अब सवाल है कि डीएमएफ का घोटाला करने की मंशा पालने वाले अधिकारी पर किस तरह की कठोर कार्रवाई संभव हो पाएगी?
कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक में पदस्थ तत्कालीन एसडीओ RES आरके गुप्ता के द्वारा शासन व जिला खनिज संस्थान न्यास की राशि में चपत लगाने की तैयारी की गई है।
इसका खुलासा तब हुआ जब कार्य के भुगतान की अंतिम किस्त प्राप्त करने हेतु प्रस्ताव भेजा गया। अमूमन कार्यों में परिवहन का व्यय सिर्फ दुर्गम क्षेत्र के लिए दिया जाता है, हालांकि इस व्यवस्था को अब खत्म कर दिया गया है लेकिन सामान्य क्षेत्र जो दुर्गम क्षेत्र की श्रेणी में नहीं आते वहां भी सामग्री परिवहन का व्यय होना दर्शाकर 7 से 8 लाख रुपए से अधिक की शासकीय राशि का गबन करने की कोशिश की गई है। यह मामला पकड़ में आने के बाद RES एसडीओ को स्पष्टीकरण हेतु नोटिस जारी किया गया है। उस समय एसडीओ आरके गुप्ता के हस्ताक्षर से सारी प्रक्रियाएं और मेजरमेंट बुक तैयार की गई थी।
जिला खनिज संस्थान न्यास कोरबा द्वारा स्वीकृत निर्माण कार्यों में अंतिम किश्त की राशि जारी करने हेतु मांग पत्र जिला खनिज संस्थान न्यास कार्यालय को प्रेषित किया गया है। सी.सी. रोड निर्माण कार्य छात्रावास से बंधन घर की ओर एवं सी.सी. रोड निर्माण कार्य हनुमान चबुतरा से ‘छात्रावास की ओर दोनों कार्य ग्राम पं. पोड़ी उपरोड़ा के दस्तावेजों के परीक्षण में परिवहन व्यय सम्मिलित पाया गया है, जबकि ग्राम पंचायत पोड़ी उपरोड़ा दुर्गम क्षेत्र में शामिल नहीं है।
उक्त संबंध में अनुविभागीय अधिकारी को अपना स्पष्टीकरण पत्र प्राप्ति के 02 दिवस के भीतर अधोहस्ताक्षर कर्ता परियोजना समन्वयक जिला खनिज संस्थान न्यास के समक्ष उपस्थित होकर प्रस्तुत करने कहा गया है। अन्यथा की स्थिति में छ.ग. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 1,2,3 का स्पष्ट उल्लंघन मानकर अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित करने की चेतावनी भी दी गई है।
0 कोरबा सेफ जोन, फिर से आने की जुगत में
विभागीय सूत्र बताते हैं कि कोरबा इनके घपला करने का सेफ जोन साबित हो रहा है इसलिए यह यहां पर फिर से अपनी पदस्थापना कराने की जुगत लगातार लगाया जा रहा है। बताते चलें कि उनके विरुद्ध जनपद पंचायत महासमुंद पदस्थापना स्थल पर नशा में मदमस्त रहने के कारण थाना में आबकारी एक्ट के अपराध भी दर्ज हो चुका है और विभागीय जांच भी चल रही है। जारी विभागीय जांच के बीच इन्हें पदोन्नति भी प्रदान कर दी गई है,जो सवालों के घेरे में आ चुकी है। ऐसे में यह SDO बन कर फिर से कोरबा जिला में अपनी पदस्थापना हासिल करने के लिए बेताब नजर आ रहे हैं। इस पूरे मामले में समय रहते ही जांच कराने की आवश्यकता है ताकि उनके भ्रष्ट कारनामों को रोका जा सके।