0 तीन थानों की सीमा से गुजरा वाहन, पड़ोसी जिले में पकड़वाया,
0 क्या स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं था मुखबिर को…?
कोरबा। कोरबा जिले के नामचीन क्षेत्रों में अवैध कबाड़ का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। नाक के नीचे से यह कारोबार तब चल रहे हैं, जबकि कप्तान बिल्कुल भी नहीं चाहते कि उनके कार्यकाल में किसी भी तरह का अवैध कारोबार फले-फूले। हालांकि, कप्तान की सख्ती का असर दिखाने के लिए जो कार्रवाई कभी-कभार हो रही है उसे कबाड़ियों के बीच से ही लोग दिखावे की कार्रवाई बताते फिर रहे हैं।
जिले में आलम यह है कि एक बड़ा कबाड़ी दूसरे बड़े कबाड़ी को निपटाने के लिए खुद मुखबिरी करके कबाड़ पकड़वा रहा है।
इसी जून महीने में तीन मामले जिले के तीन थाना क्षेत्र में पकड़े गए और एक बड़ा मामला पड़ोसी जिला रायगढ़ में पकड़ा गया।

विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि कबाड़ के बड़े कारोबार से जुड़े इस मुखबिर को कोरबा जिले की पुलिस पर भरोसा नहीं था कि वह इस कबाड़ी का माल पकड़ेगी, इसलिए उसने रायगढ़ पुलिस को मुखबिरी कर दी। राताखार क्षेत्र के बड़े कबाड़ी का नाम पकड़े गए ड्राइवर ने लिया है और यह सारा माल उसका है जिसकी कीमत 700000 रुपये आंकी गई है, ट्रक सहित 20 लाख।
कोरबा जिले के राताखार से कबाड़ भरा ट्रक लोड होकर कोतवाली-उरगा और करतला थाना की सीमा को पार करते हुए पड़ोसी जिले में प्रवेश कर गया और वहां धरपकड़ हो गई। यह कार्रवाई यदि कोरबा जिले के भीतर होती तो बात बड़ी थी, लेकिन इस बात की चर्चा जोरों से है कि कुछ खाकी वर्दीधारी नहीं चाहते थे कि कबाड़ इस जिले में पकड़ा जाए और जो नजराना का किस्सा चल रहा है उस पर कोई संदेह/बाधा उत्पन्न हो।अल्युमिनियम की नगरी के बड़े कबाड़ी और शहर के बीच के इस कबाड़ी के बीच आपसी खींचतान इस कदर बढ़ गई है कि यह दोनों इस धंधे में अपना सिक्का जमाना चाह रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि ट्रांसपोर्ट नगर के एक डिस्पोजल कबाड़ी जिसके यहां तत्कालीन एसपी के कार्यकाल में बड़ा छापा मारा गया था और बड़े पैमाने पर यहां कबाड़ का ढेर देखकर पुलिस अधिकारियों की आंखें भी फ़टी की फटी रह गई थी, वह उसे अपने सिंडिकेट में संरक्षण दे रहा है जबकि अल्युमिनियम नगरी का कबाड़ी कुछ और लोगों के साथ मिलकर अपना सिंडिकेट चलाने की मंशा रखता है। ऐसे में कटघोरा, छुरी, दर्री, बांकीमोगरा, झगरहा, दीपका, मुड़ापार क्षेत्र के बड़े कबाड़ी भी इन दोनों में से किसी एक के साथ चलकर अपना धंधा चमकाने की जुगत में लगे हुए हैं।
कबाड़ियों के बीच मची आपसी खींचतान में भी पुलिस के मुखबिर कहीं ना कहीं कमजोर साबित हो रहे हैं। यह सवाल तो जायज है कि आखिर कप्तान के भरोसे में कौन-कौन खाकी वर्दीधारी सेंध लग रहे हैं…! यदि यह सेंध ना लगी होती तो सख्ती और कार्रवाई के बीच 7 लाख का कबाड़ कैसे इकट्ठा हो जाता और लोड होकर और कोरबा जिले की सीमा से पार भी निकल गया। फर्जी स्क्रैप बिल, कूटरचित जीएसटी बिल का सहारा जमकर लिया जा रहा है। कहीं ना कहीं न्यायालय की आंख में भी फर्जी स्क्रैप बिल से धूल झोंकने का काम चंद नामचीन कबाड़ी कर रहे हैं, जैसा कि पूर्व के मामलों में उजागर हो चुका है।
शहर और व्यस्त क्षेत्र तथा उप नगरीय इलाकों में जहां कि पुलिस की आसान पहुंच हो सकती है,उनके मुखबिर सक्रिय रहते हैं लेकिन फिर भी अवैध कबाड़ की खरीदी-बिक्री का काम जोरों से चल रहा है। तांबा,अल्मुनियम, सरकारी खंबे,पाइप, केबल तार सब कुछ काटकर बेचे जाते रहे किंतु ऐसे नामचीन कबाड़ियों के यहां पुलिस की लगातार छापेमारी धरपकड़ संभव नहीं हुई तो भला आउटर और दूरस्थ इलाकों में जो गोरखधंधा चल रहा है, वहां तक कैसे पहुंच बनाई जा सकेगी। अवैध कारोबारियों से चंद खाकी मैदानी कर्मियों की मिलीभगत और चंद बड़े संरक्षण में इस तरह के पूरे अवैध कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है, इसमें कोई संदेह नहीं।