रायपुर/कोरबा। यदि आप OBC के सर्वे में छूट गए हैं तो आपके लिए एक अंतिम अवसर शासन के पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के द्वारा दिया गया है। वैसे दिए गए समयअवधि में शनिवार 5 और रविवार 6 अक्टूबर शासकीय अवकाश हो गया है।
राज्य शासन द्वारा प्रदेश में पिछड़े वर्गों की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन एवं सुझाव व अनुशंसाएँ प्रेषित करने के लिए छ.ग. पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन दिनांक 16.07.2024 को किया गया है तथा आयोग दिनांक 12.08.2024 से कार्यरत है।
आयोग के सचिव हिमांचल साहू द्वारा 3 अक्टूबर 2024 को जारी सार्वजनिक सूचना के अनुसार – आयोग द्वारा पिछड़े वर्ग समुदाय के परिवार व सदस्यों के संबंध में सर्वे के निर्देश जिला कलेक्टरों को कार्यालयीन पत्र क. 27/पिवकआ/2024 दिनांक 16.08.2024 द्वारा 54 कॉलम के प्रपत्र में जानकारी संकलित कर आयोग को प्रेषित करने के निर्देश दिए गए थे। इसके लिए 01 माह का समय दिया गया, उक्त अवधि दिनांक 20.09.2024 को समाप्त हो गई, जिसे दिनांक 30.09.2024 तक बढ़ाया गया।
जिलों से प्राप्त प्रविष्टियों को आयोग की वेबसाइट में संकलित किया गया है, जिसके आधार पर प्रत्येक जिले में पिछड़े वर्गों की परिवार संख्या तथा कुल जनसंख्या के अनंतिम आंकड़े आयोग को प्राप्त हो गये हैं।
अतः आयोग ने निर्णय लिया है कि जिले में किसी पिछड़े वर्गों परिवार व्यक्तियों का नाम छूट गया है तो ऐसे व्यक्ति व परिवार दिनांक 08.10.2024 तक संबंधित नगरीय निकाय/ग्राम पंचायत/जनपद पंचायत के अधिसूचित नोडल अधिकारी से संपर्क कर 54 कॉलम का फार्म प्राप्त कर लेवें और व्यक्तिगत जानकारी भरकर इसे जमा कर देवें। जिला प्रशासन ऐसे छूटे हुए परिवारों के आंकड़ों को सम्मिलित कर प्रविष्टि दिनांक 10.10.2024 तक वेबसाइट में पूर्ण करेंगे, तदोपरांत प्राप्त आंकड़ों को अंतिम माना जायेगा। दिनांक 10.10.2024 के बाद किसी परिवार का नाम सूची में छूट जाता है तो इसके लिए जिला प्रशासन/छ.ग. पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग उत्तरदायी नहीं होगा।
0 विलम्ब से शुरू हुआ कार्य, लिए गए संख्यात्मक आंकड़े
दूसरी तरफ यह सर्वे कार्य कोरबा जिले में 3 सितंबर 2024 को प्रपत्र वितरण और प्रशिक्षण के साथ 4 सितंबर से प्रारंभ हुआ। अपने-अपने विभागीय कार्यों के पूर्ण समय दायित्व निर्वहन के साथ-साथ/पश्चात इस कार्य को किए जाने की जिम्मेदारी सौंपी गई जिसकी वजह से अधिकांश इलाकों में सर्वे पूर्ण रूप से 54 बिंदुओं में नहीं हो पाए हैं। शासन द्वारा लगातार मांगी जा रही जानकारी के मद्देनजर अंततः 19 सितम्बर को उपलब्ध कराए गए एक अन्य प्रपत्र में परिवार के मुखिया का नाम के साथ-साथ उस परिवार में रहने वाले बच्चे से लेकर बूढ़े तक महिला-पुरुष सदस्यों का संख्यात्मक आंकड़ा संकलित किया जाकर संख्यात्मक जानकारी शासन को भेजा जा चुकी है। शासन की मंशा पिछड़ा वर्ग के जनसंख्यात्मक आंकड़े को संकलित कर इसके आधार पर आगे की नीति बनाने की है।
0 सर्वे में छूट रहे मुस्लिम परिवार: इस ओबीसी सर्वे में एक बात यह भी सामने आई है कि मुस्लिम परिवारों को अल्पसंख्यक/सामान्य मानकर छोड़ दिया जा रहा है ।समाज से जुड़े लोगों से चर्चा में यह बात सामने आई है कि मुस्लिम समुदाय में भी दर्जनों ऐसी उपजातियां हैं जो पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में आती हैं और सर्वे में ऐसे लोगों को भी शामिल करने की आवश्यकता है ताकि पिछड़ा वर्ग के परिवारों की सही जानकारी मुस्लिम समुदाय के बीच से भी निकल कर सामने आए।
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