रायपुर/कोरबा। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कच्ची जुबान है। वह जो कहते हैं करते नहीं, उनकी कथनी और करनी में या तो अंतर है या फिर सत्ता और संगठन में तालमेल का अभाव।
यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि इन दिनों कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा संगठन से जुड़े लोगों के बीच चर्चा काफी तेजी से तैर रही है। वह पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर द्वारा 4 अक्टूबर को राजधानी रायपुर में किए जाने वाले धरना आंदोलन के दौरान भाजपा अध्यक्ष किरण सिंह देव से मिले उसे आश्वासन की दुहाई दे रहे हैं जो उन्होंने ननकीराम कंवर से बातचीत में कही थी और एक सप्ताह का समय लेते हुए उन्हें आश्वस्त किया था। 4 अक्टूबर 2025 को राजधानी रायपुर में पूर्व गृहमंत्री ननकीराम स्थानीय प्रशासन के द्वारा गहोई भवन में नजर बंद किए गए। वे बाहर आकर अपनी बात रखने के लिए बेताब नजर आए लेकिन बाहर नहीं आने दिया गया। कड़े पहरे में रखे गए कंवर शाम को रिलीव किए गए। उनके समर्थकों को भी नजदीकी थाने में बिठाया गया और शाम को रिलीव किया गया। उनके मुद्दों को लेकर प्रदेश अध्यक्ष ने आश्वस्त किया था कि एक सप्ताह के भीतर परिणाम दे दिया जाएगा लेकिन अब ननकीराम कंवर भी खुद आश्चर्य में हैं कि आखिर प्रदेश अध्यक्ष का आश्वासन भी झूठा साबित हो रहा है। भाजपा खेमे में ही कई लोगों ने इसे चर्चा का विषय बना लिया और आपसी बातचीत के दौरान कहने से नहीं चूके कि जब प्रदेश अध्यक्ष की जुबान कच्ची निकल गई तो भला संगठन में किस पर भरोसा किया जा सकता है। कांग्रेसी भी इस मसले को लेकर खूब मजे ले रहे हैं कि ननकी राम कंवर जैसे वरिष्ठ आदिवासी नेता को भी संगठन ने गच्चा दे दिया है। क्या कथनी और करनी में इतना अंतर होता है या सत्ता और संगठन में तालमेल का अभाव है?
उनके खास समर्थकों ने हवाले से कहा है कि ननकी राम कंवर इस पूरे घटनाक्रम से काफी आहत हो रहे हैं और उन्होंने कहा है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र अमल नहीं किया गया तो वह अघोषित तौर पर कभी भी कहीं भी धरना दे सकते हैं, क्योंकि बताकर धरना देने पर कैद कर लिया जाता है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कच्ची जुबान…! दोनों पक्ष ले रहे चुटकी, कथनी और करनी में अंतर

