0 फर्जीवाड़ा करने वालों पर होगी FIR या लीपापोती में निपटेगा मामला…?
कोरबा। प्रदेश में इन दिनों मुआवजा घोटाला के मामले काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं। इसी कड़ी में कोरबा जिला भी घोटाला की सुर्खियों में आ गया है। हालांकि, यहां भी नेशनल हाईवे और फोरलेन के लिए अधिग्रहित की गई जमीनों का ज्यादा मुआवजा पाने के लिए जमीनों को टुकड़ों में रजिस्ट्री करने के मामले में प्रशासनिक जांच की रफ्तार पूरी तरह से सुस्त पड़ चुकी है लेकिन दूसरी तरफ SECLकी दीपका विस्तार परियोजना में उजागर घोटाले ने चुस्ती ला दी है। पर, इस घोटाले की गूंज साल भर से होने के बावजूद जांच में गड़बड़ी तब उजागर हुई जब पूरा गांव समतल हो गया। अब यह सवाल है कि गड़बड़ी को आगाज से अंजाम तक पहुंचाने वाले गिरोह पर FIR, निलम्बन व अन्य कार्रवाई सम्भव हो पाएगी या लीपापोती कर गुनाहगारों को बचा लिया जाएगा…?
कलेक्टर के निर्देश पर कटघोरा एसडीएम रोहित सिंह ने अपनी टीम के साथ जांच की। एसईसीएल की दीपका विस्तार परियोजना के लिए अधिग्रहित ग्राम मलगांव काफी विवादित रहा। यहां के मुआवजा प्रकरण को लेकर पूर्व के भू अर्जन अधिकारी खुद को पूरी तरह से पाक साफ और मुआवजा निर्धारण को पूरी पारदर्शिता के साथ होना बताते रहे, उनकी पारदर्शिता पर वर्तमान जांच व 152 काल्पनिक मकान ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
मेजरमेंट बुक और इसके आधार पर मुआवजा पत्रक तैयार करने वाले अधिकारियों की टीम अब बेहद गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। अब यह 152 काल्पनिक मकान आखिर किनके नाम पर कागजों में तैयार किए गए, इनकी माप जो की गई और इसके आधार पर कितना राशि का मुआवजा पत्रक तैयार किया गया, उस पत्रक में किन-किन अधिकारियों के हस्ताक्षर हुए, यह फिलहाल सार्वजनिक नहीं हो पाया है। दूसरी तरफ 152 मकान को काल्पनिक बताए जाने की खबर सार्वजनिक होने के बाद चर्चा है कि यह सब तो तभी हो जाना चाहिए था जब मलगांव बसा हुआ था।

मलगांव की भूमि अधिग्रहण व मुआवजा के मामले में स्थानीय जानकारों के मुताबिक तत्कालीन SDM के कार्यकाल में वर्ष 2023 में मलगांव का अधिग्रहण के लिए नापजोख शुरू हुआ। हालांकि इससे पहले के SDM ने सर्वे शुरू कराया था,पर विवाद के कारण रोकना पड़ा जिसे 2023 में आए SDM ने फिर शुरू कराया। यह सब काम कागजों में हो ही रहा था कि उनका तबादला हो गया। इसके बाद 688 लोगों का सर्वे उपरांत मेजरमेंट बुक और मुआवजा पत्रक तैयार कराया, फिर संख्या बढ़कर 1638 हो गई। उस समय रहे SDM के कार्यकाल में भी मेजरमेंट बुक और मुआवजा पत्रक तैयार कराया गया। स्थानीय जानकार बताते हैं कि मलगांव एक ऐसा विस्थापित गांव रहा जहां कि तीन बार सर्वे-नापी हुआ और तीन बार मेजरमेंट बुक तैयार करना पड़ा और फिर पत्रक बनाया गया। यहां SECL और राजस्व विभाग के अधिकारी अपने-अपने हिसाब से आकर काम करते गए। 1638 लोगों का मेजरमेंट बुक और मुआवजा पत्रक को आगे बढ़ाया गया। अब इन सभी पर सवाल उठ गए हैं जब मौजूदा एसडीएम रोहित सिंह ने टीम के साथ जांच पड़ताल की।
0 दीपका हाउस में हुआ खेल, सीबीआई से शिकायत के बाद बढ़ी हलचल
बताया जाता है कि पूर्व में एक बार SECL दीपका प्रबंधन ने नाप जोख कराया फिर एसडीएम की अगुवाई में आर आई, पटवारी ने काम किया। उस समय के SDM ने अपने नजदीकी लोगों को लाभ पहुंचाया जिनमें कुछ भूविस्थापति भी शामिल रहे। इसके बाद वाले SDM की नई मेजरमेंट बुक के साथ दीपका हाउस में बैठक हुई जहां पर इस बार मुआवजा पत्रक बनाने में मुख्य भूमिका चर्चित नाम मनोज गोभिल और श्यामू जायसवाल ने निभाई। पुष्ट सूत्र बताते हैं कि शुरुआती दौर में इन दोनों ने जहां और जैसा चाहा वैसा काम हुआ, बाद में इन्हीं दोनों के नाम से सीबीआई में शिकायत की गई। फलस्वरुप सीबीआई की टीम ने मनोज गोभिल और श्यामू जायसवाल के यहां आकर जांच पड़ताल की। मनोज गोभिल के परिवार व उससे जुड़े कुल पांच लोगों का मुआवजा पत्रक जांच में फर्जी पाया गया। श्यामू जायसवाल के सभी मुआवजों पर सीबीआई जांच पूरी होने तक रोक लगा दी गई है। जिनके मुआवजा निरस्त किए गए उनमें प्रमोद कुमार पिता खिलावन लाल, नीलू पति प्रमोद कुमार, नीलम पति रविंद्र, बरातु पिता मुखी राम और विमला देवी शामिल हैं। इन सभी का फर्जी मुआवजा पत्रक 27 फरवरी 2024 को तैयार किया गया था जिसमें तहसीलदार दीपका, सब इंजीनियर पीडब्ल्यूडी कटघोरा क्रमांक -1 एमएस कंवर, पटवारी विकास कुमार जायसवाल, रेंजर कटघोरा व एक अन्य शासकीय लिखा आधा- अधूरा लगा हुआ सील पर हस्ताक्षर किया गया। अब इस फर्जीवाड़ा में FIR लम्बित है।
0 250 लोग मुआवजा लेने सामने नहीं आ रहे…?
इस समय इतना तो तय हो गया है कि मलगांव में मुआवजा बढ़ाने के नाम पर जो खेल हुआ है वह सही है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने कोरबा से लेकर रायपुर-दिल्ली तक की गई शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया। साल भर से शिकायतों का दौर SECL और अलग-अलग स्तरों पर चला। अब, जब यह सारा घोटाला उजागर हुआ तब गांव समतल हो चुका है। इस बीच हाल फिलहाल यह भी पता चला है कि करीब 250 लोग जिनका मुआवजा पत्रक बना है, लेकिन वह मुआवजा लेने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। तो क्या 152 की यह संख्या 250 हो सकती है? यह सवाल तो जायज है कि तत्कालीन SECL से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों और मेजरमेंट बुक से लेकर मुआवजा पत्रक में सत्यापनकर्ता अधिकारियों ने एक गिरोह की तरह काम किया या फिर मैदानी अमले पर भरोसा करते हुए आंख मूंद कर पत्रक पर हस्ताक्षर करते गए। बात जो भी हो लेकिन इस बड़े मुआवजा घोटाला की जानबूझकर की गई षडयंत्र पूर्वक साजिश में जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध किस तरह की कार्रवाई होगी, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई है। फिलहाल, कटघोरा SDM रोहित सिंह ने कहा है कि SECL प्रबंधन इस टीम के बारे में जानकारी देगा, तब वे कुछ बता सकेंगे। उच्च अधिकारियों के निर्देश व मार्गदर्शन में आगे की कार्रवाई होगी।
0 रलिया-नराईबोथ अभी हॉटस्पॉट
मुआवजा की रकम बढ़वाने के खेल में लगे दलालों की पकड़ एसईसीएल के जिम्मेदार अधिकारियों से इतनी गहरी है कि उन्हें यह पहले ही बता दिया जाता है कि अमुक गांव का अधिग्रहण अब होना है और इसके लिए तमाम तरह के सर्वे-नापी का काम शुरू किया जाएगा। यह सारा कुछ काफी वक्त पहले पता चल जाने के बाद संबंधित लोग या तो खुद की जमीन पर स्वयं निर्माण करते हैं या खुद की जमीन पर दूसरों को निर्माण करने का अवसर देते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा मुआवजा बनवाया जा सके। पुष्ट सूत्रों की माने तो ग्राम रलिया, भिलाई बाजार और नराईबोध का आगामी समय में अधिग्रहण होना है। यहां चालाक किस्म के लोगों ने अपनी- अपनी जमीनों पर दूसरों तो बसा कर यह खेल खेला है। रलिया में तो प्रशासनिक और पुलिस विभाग के जुड़े कुछ कद्दावर लोगों ने भी बड़े-बड़े निर्माण सरकारी अथवा मिलकर दूसरे की जमीन पर कर रखे हैं जिसमें एक सीईओ का नाम काफी चर्चा में है। नराईबोध में तो एक शहरी व्यापारी व एक श्रमिक नेता का निर्माण काफी चर्चा में है। एक अन्य दलाल नुमा व्यक्ति ने तो अपने विशाल क्षेत्रफल में कई लोगों के निर्माण करा दिए हैं। ज्यादा से ज्यादा राशि मुआवजा के रूप में पाने का ताना-बाना बुना गया है।
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